दिल्ली के बीजेपी नेता की मौत का राज क्या है? किन लोगों से रुपए ले रखे थे, आखिर क्यों की खुदकुशी?
Delhi BJP Leader Karn Banka Death Mystery: ग्रेटर कैलाश-एक में भाजपा नेता व सामाजिक कार्यकर्ता की गोली लगने से मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
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Delhi BJP Leader Karan Banka Death Mystery Update: दिल्ली के ग्रेटर कैलाश-एक में भाजपा नेता व सामाजिक कार्यकर्ता की गोली लगने से मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इसको लेकर दिल्ली पुलिस का बयान सामने आया है। डीसीपी साउथ चंदन चौधरी का कहना है कि जिस दिन (बीते बुधवार) ये घटना हुई थी, उस दिन किसी संदिग्ध का काल नहीं आया था। करण बीजेपी युवा मार्चा में महामंत्री था।
घटना के दिन कोई संदिग्ध कॉल नहीं आई - दिल्ली पुलिस
डीसीपी चंदन चौधरी के मुताबिक, घटना के करण के जीके वाले घर पर तीसरी मंजिल पर अनिल बांका (करण के पिता), सुश्री लिली (करण की मां) और श्री मोहन (कुक) मौजूद थे। पीएसओ दिनेश कुमार, लकी नाम का लड़का और एक नौकर संजीव पार्किंग में थे। सीसीटीवी फुटेज विश्लेषण के दौरान भी यह बात अच्छी तरह से स्थापित हो गई है। घटना के समय तीसरी मंजिल पर किसी भी व्यक्ति को आते-जाते नहीं देखा गया है। इसके अलावा परिवार के सदस्यों, रसोइया, ड्राइवर और पीएसओ ने भी यही तथ्य बताए हैं। सीडीआर विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि घटना के दिन कोई संदिग्ध कॉल नहीं आई।
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करण ने ले रखा था भारी कर्जा - दिल्ली पुलिस
करण ने भारी कर्ज लिया था, लेकिन अभी तक पुलिस या करण के परिवार के पास लोन के लिए कोई दावेदार सामने नहीं आया है। करण के मोबाइल्स का आईपीडीआर और उसका बैंक स्टेटमेंट निकाला जा रहा है। करण के पीएसओ से लंबी पूछताछ की गई है, जिसने यह भी स्पष्ट रूप से बताया कि करण बांका के निर्देश पर उसने अपनी लोडेड लाइसेंसी रिवॉल्वर करण के कमरे में रखी थी क्योंकि करण ने उससे कहा था कि उसे बीजेपी कार्यालय जाना है। यहां सवाल ये भी है कि कर्जा आखिर गया कहां?
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जिस हथियार से मरा करण बांका, उसके मालिक को पुलिस ने किया अरेस्ट
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पुलिस ने शस्त्र लाइसेंस के लाइसेंसिंग मानदंडों का पालन नहीं करने पर धारा 30 शस्त्र अधिनियम के तहत एफआईआर पहले ही दर्ज कर ली है। गहन पूछताछ के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उनका हथियार यानी लाइसेंसी रिवाल्वर, 05 जिंदा कारतूस और एक खाली कारतूस का खोखा और चला हुआ सीसा भी बरामद किया गया है।
कैसे हुई थी घटना
बुधवार रात बीजेपी नेता करण बांका (28 साल उम्र)घर के बाथरूम में लहुलूहान अवस्था में पड़ा मिला था। वो जीके में अपने परिवार के साथ रहता था। उसे तुरंत प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया। इलाज के दौरान करण बांका की शुक्रवार शाम को मौत हो गई। करण बांका की मौत गोली लगने से हुई है। उसके सिर में गोली लगने के निशान पाए गए हैं। गोली दाएं ओर से सिर में लगी है और बायीं ओर से निकल गई है। उसे गोली मारी गई या उसने खुदकुशी की, इसकी जांच जारी है।
करण बांका ग्रेटर कैलाश-एक स्थित एस-409 में परिवार के साथ रहता था। उनके पिता अनिल बांका का व्यवसाय है और वह पिता के व्यवसाय को संभालते थे। करण ने कई लोगों से लाखों रुपए ले रखे थे और उन रुपयों को वो निवेश करता था। उसके पास प्राइवेट सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) भी थे।
जी के पुलिस को 20 सितंबर की रात करण बांका के बाथरूम में गिरने और उससे सिर में गहरी चोट आने की सूचना मिली थी। ग्रेटर कैलाश-एक के एसएचओ अजीत सिंह अपने टीम के साथ मैक्स अस्पताल पहुंचे और जांच शुरू की। शुरुआती तौर पर कहा जा रहा है कि करण ने अपने पीएसओ दिनेश की लाइसेंसी पिस्टल से खुद को गोली मारी थी। वह पिस्टल घर पर ही छोड़ गया था।
करण के मोबाइल फोन की जांच की जा रही है। ऐसा कहा जा रहा कि उसने कई पुलिसवालों से भी पैसे ले रखे थे। ये भी कहा जा रहा है कि साक्षी महाराज उसके नाना है। उसका साक्षी महाराज के साथ एक तस्वीर सोशल मीडिया पर मौजूद है।
सवाल ये है कि
वो पीएसओ क्यों रखता था?
क्या उसे कोई धमकी दे रहा था?
किन-किन लोगों से उसने रुपए ले रखे थे?
लोग किस आधार पर बांका को रुपए दे देते थे?
इन रुपयों को वो कहां इंवेस्ट करता था?
क्या बांका ने कुछ पुलिसवालों से भी रुपए ले रखे थे?
पुलिस बांका के एकाउंट डिटेल्स और मोबाइल डिटेल्स खंगाल रही है। उसके घर की तलाशी भी ली जाएगी ताकि पता चल सके कि बांका के पास क्या-क्या था?
क्या करण वित्तीय संकट से गुजर रहा था?
कहां नुकसान हुआ था आरोपी का ?
उसकी कहां-कहां से इनकम हो रही थी?
कहां- कहां उसके खर्चें हुए?
कहां - कहां उसने सेविंग कर रखी थी?
ये तमाम जानकारियां पुलिस जुटा रही है। साथ-साथ उसके पास कितना कैश घर में और कितना सोना, प्रापर्टी, शेयर, फंड और दूसरी चीजें थी, इसकी भी जांच की जा रही है।
पुलिस को उसका मोबाइल फोन अलमारी में रखा हुआ मिला है।
संबंधों का करता था इस्तेमाल
बांका के कई भाजपा नेताओं से अच्छे संबंध बताए जा रहे हैं और उनकी मौत के बाद सांसद मनोज तिवारी, सांसद साक्षी महाराज आदि भाजपा नेताओं के साथ उनकी फोटो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो गई। वहीं, दक्षिणी दिल्ली, नई दिल्ली जिले के तमाम स्थानीय नेताओं के भी काफी करीबी बताए जा रहे हैं। ये भी पता चला है कि उसने कई पुलिसवालों के ट्रांसफर तक करवाए थे। उसकी राजनेताओं और ब्यूरोक्रेसी में अच्छी पैठ थी। उसके कई केंद्रीय मंत्रियों से संबंध थे। अब पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है।
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