दिल्ली में G-20 से पहले कानून-व्यवस्था की उड़ी धज्जियां, बदमाशों ने अंधाधुंध चलाई गोलियां, सिर में मारी गोली, एक की मौत, दूसरा जख्मी
Delhi Crime News: दिल्ली के भजनपुरा इलाके में पुलिसिंग पर बेहद गंभीर सवाल उठ गए। यहां कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ गई। सरेआम बदमाशों ने इलाके में कई राउंड गोलियां चला दी।
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Delhi Crime News: दिल्ली के भजनपुरा इलाके में पुलिसिंग पर बेहद गंभीर सवाल उठ गए। बदमाशों ने यहां कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ गई। सरेआम बदमाशों ने इलाके में कई राउंड गोलियां चला दी। हाथों में बंदूक लिए बदमाश अंधाधुंध गोलियां चलाते रहे। डर के मारे लोग घरों में दुबक गए। ऐसा लगा कि मानो इलाके में बदमाशों का ही राज हैं। बदमाश गोलियां चलाते रहे और आसपास लोग थर्राते रहे। बदमाशों ने दो लोगों को टारगेट किया, जिनमें से एक ही मौक पर मौके हो गई। दूसरा सड़क पर तड़पता रहा। बाद में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उसकी हालत गंभीर है। गोविंद हरप्रीत का मामा है। क्या ये रोड रेज का मामला है या कुछ और, अभी जांच जारी है?
ये वारदात हुई North East District के भजनपुरा के सुभाष विहार इलाके में। घटना देर रात हुई। कुल पांच बदमाश स्कूटी और बाइक पर आए। इनके टारगेट पर थे हरप्रीत गिल और गोविंद सिंह नाम के दो युवक। हरप्रीत अमेज़न में सीनियर मैनेजर था। गोविंद भजनपुरा में 'हंग्री बर्ड' के नाम से मोमो की दुकान चलाता है। दोनों भजनपुरा के रहने वाले हैं। हरप्रीत देर रात करीब साढ़े 11 बजे के आसपास सुभाष विहार इलाके से गुजर रहा था। दोनों बाइक पर थे। अचानक बदमाशों ने इन पर धावा बोल दिया।
बदमाशों ने अंधाधुंध तरीके से गोलियां चलाना शुरू कर दिया। हरप्रीत को मौके पर गोलियों से छलनी कर दिया, जब कि किस्मत से गोविंद अभी तक बचा हुआ है। उसका इलाज लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल में चल रहा है, जब कि हरप्रीत की मौत हो गई है।
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पुलिस घटना के बाद मौके पर पहुंची। अब आरोपियों को पकड़ने की कोशिश जारी है, लेकिन वारदात को रोक पाने में पुलिस असफल रही। हालांकि पुलिस ये कह सकती है कि ये रंजिश का मामला है, लेकिन ये वारदात खुलेआम सड़क पर होने से दिल्ली पुलिस पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। खासकर तब , जब जी 20 सम्मेलन होने में कुछ ही दिन बचे हैं। डीसीपी जॉय टिर्की के मुताबिक, जांच जारी है।
ऐसे में कई सवाल खडे़ हो गए हैं -
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क्या इस तरह की वारदात को रोक पाना दिल्ली पुलिस के बस की बात नहीं?
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कब तक आरोपी पुलिस की गिरफ्त में होंगे?
क्या दूरदराज इलाकों में पुलिसिंग नहीं होती?
क्या जी-20 के चक्कर में पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगी हुई है, जिस वजह से मौजूदा पुलिस बल दिल्ली की सुरक्षा के लिए कम है?
क्या अब स्टाफ की कमी का रोना फिर दिल्ली पुलिस रोएगी?
इस तरह की वारदातें कई सवाल खड़े करती है, बेशक दिल्ली पुलिस अच्छा काम भी कर रही है, लेकिन जब कोई इस तरह की घटना होती है तो पुलिस पर गंभीर सवाल उठना लाजिमी है।
ऐसे में कुछ और सवाल, जो यहां खड़े हुए हैं -
गोलियां कैसे चल गई?
हथियार कहां से लाए आरोपी?
क्या अपराधियों के आगे बौनी साबित हो रही है पुलिस?
क्या पुलिस का डर खत्म?
क्या पुलिस कर्मियों पर है काम का बोझ?
क्या पुलिस कर्मी नहीं करना चाहते काम?
क्या मोटिवेशन की है कमी?
क्या पुलिस अपराधों पर लगाम नहीं लगा पा रही है?
क्या इस तरह की वारदातें कभी नहीं रुकेगी?
क्या पुलिस में और भर्तियां होनी चाहिए?
क्या डीसीपी का इलाका बेहद बड़ा है?
क्या पुलिस कर्मी दिल से नहीं करते हैं काम?
क्या पुलिसकर्मियों पर है बहुत प्रेशर?
क्या पुलिसकर्मियों के काम की क्वालिटी पर आ रहा असर?
ये वो सवाल है , जो पुराने हैं, लेकिन सिस्टम में सुधार हो रहा है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।
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