मेडिकल स्टूडेंट की थीसिस को HOD ने किया रिजेक्ट, छात्र ने ली अपनी जान, कॉलेज के खिलाफ हुआ प्रदर्शन

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Dehradun: देहरादून के SGRR मेडिकल कॉलेज में एक 25 साल के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के जूनियर डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली. रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेसर द्वारा हैरेसमेंट किए जाने की वजह से दिवेश गर्ग ने अपनी जान ले ली. दिवेश का शव उनके हॉस्टल के कमरे में पाया गया क्योंकि HOD ने उनकी थीसिस को कई बार रिजेक्ट कर दिया था जिस कारण लीथल का इजेंक्शन खुद को लगा कर दिवेश ने अपनी जान ले ली. लेकिन फिलहाल इस पूरे मामले की जांच की जा रही है ताकि सही वजह का पता चल सके. इस घटना से कई डॉक्टर्स में गुस्सा भरा हुआ है, कॉलेज के माहोल को लेकर भी कई सवाल उठाए जा रहें हैं. उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल ने SGRR मेडिकल कॉलेज, पटेल नगर के प्रिंसिपल और पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के HOD को कमेटी के सामने पेश होने को कहा है.  

College Students
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इंसाफ के लिए स्टूडेंट्स ने किया प्रदर्शन

इस पूरी घटना के बाद से ही मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर्स ने कॉलेज के वाइस चांसलर और प्रिंसिपल के ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया. इसके आलावा सभी मेडिकल कॉलेज में सुधार की मांग की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक HOD द्वारा दिवेश गर्ग की थीसिस रिजेक्ट हो जाने पर वो परेशान हो गया था. उसने खुद के लिए लीथल का इजेक्शन तैयार किया और लगा लिया. इसके बाद उसकी तबियत खराब हुई तो उसे हॉस्पिटल ले जाया गया जहां उसने दम तौड़ दिया. United Doctors Front Association ने एक प्रेस रिलीज जारी की है जिसमें उन्होंने कहा कि कॉलेज भेहद ही दुखी है दिवेश की आत्महत्या से, डिपार्टमेंट का थीसिस को स्वीकार ना करना, लंबे घंटों तक ड्यूटी करना और कॉलेज के ऐसे माहोल के होने से मेडिकल सोसाइटी पर बुरा असर पड़ा है. 

Press Release
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मेडिकल एसोसिएशन ने मेंटल हेल्थ को लेकर चिंता जताई

मेडिकल बॉडी ने कहा कि स्टूडेंट्स के लिए ड्यूटी के घंटे तय होने चाहिए. छुट्टियां तय होनी चाहिए ताकि स्टूडेंट्स के दिमाग और शरीर को आराम भी मिल सके. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बच्चों की मेंटल हेल्थ को लेकर भी गंभीर चिंता जताई है. इस पूरी घटना की जांच शुरू कर दी गई है. पुलिस मामले में आगे बढ़ने के लिए शव की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. अभी तक इसमें कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है, कैसी भी औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की गई है. शनिवार को बॉडी घर वालों को सौंप दी गई थी. SGRR मेडिकल कॉलेज ने Director General of Police को लेटर लिखा है जिसमें कॉलेज का कहना है कि सोशल मीडिया पर उनके कॉलेज के खिलाफ फेक बातें फैलाई जा रहीं हैं, जिससे उनके कॉलेज की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा है, इस मामले में एक्शन लिए जाने के लिए कहा गया है. 

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मां-बाप पर क्या गुजरती होगी

डॉक्टर बनने के लिए बच्चे अपना पूरा जीवन दांव पर लगा देते हैं. कई सालों की महनत तब रंग लाती है जब किसी अच्छे कॉलेज में उनका एडमिशन होता है. क्या गुजरती होगी उन मां-बाप पर जो ये सोचकर अपने बच्चों को खुद से दूर भजते हैं कि डॉक्टर बन कर उनका बच्चा लोगों की जान बचाएगा, लेकिन जब वो बच्चा अपनी ही जान ले लेता है तो उन बाकी के मां-बाप का भी दिल सहम जाता है जिनके बच्चे डॉक्टर बनने का सपना देख रहे होते हैं. डॉक्टर बनने के लिए एक बच्चा 10वीं या 12वीं से ही महनत करना शुरू कर देता है. अपनी हर एक खुशी को दबाकर दिन और रात सिर्फ किताबों में ही रहता है. आसपास के लोग घूमने जा रहे होते हैं पर वो अपना मन मारकर पढ़ाई करता है, ताकि एक दिन उसे एक अच्छा कॉलेज मिले और वो भी डॉक्टर बने. इसलिए जब ऐसी खबर सामने आती है कि उस बच्चे को कॉलेज में परेशान किया जा रहा है या खुद कॉलेज ही हैरेसमेंट कर रहा है तो मन में कई सवाल उठते हैं जिनके जवाब हर कोई चाहता है पर मिलके नहीं हैैं.

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