शिष्य ने PM मोदी से की थी गुरु की शिकायत, क्या था महंत नरेन्द्र गिरि और शिष्य आनंद गिरि के बीच का विवाद ?
क्या था महंत नरेन्द्र गिरि और शिष्य आनंद गिरि के आपस में क्यों थी अनबन, शिष्य ने PM Modi से की थी गुरु की शिकायत, Read लेटेस्ट news in Hindi, क्राइम न्यूज़, photos and videos on Crime Tak.
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प्रयागराज में नरेन्द्र गिरि की खुदकुशी और कमरे से मिले सुसाइड नोट में शिष्य आनंद गिरि की नाम मिलने के बाद अब सबका ध्यान आनंद गिरि पर लग गया है। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की सुसाइड को लोग उनके पूर्व शिष्य आनंद गिरि से हुए विवाद से भी जोड़कर देख रहे हैं।
विवाद के बाद आनंद गिरि ने वीडियो जारी कर नरेंद्र गिरि के चरण पकड़कर माफी मांग ली थी और महंत नरेंद्र गिरि ने उन्हें माफ करने का वीडियो भी जारी किया था, लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ था।
आनंद गिरि ने महंत नरेन्द्र गिरि पर आरोपी लगाया था कि वो अखाड़े की संपत्ति को किसी के इशारे पर बर्बाद कर रहे हैं। आनंद गिरि के मुताबिक नरेन्द्र गिरि आश्रम की गौशाला वाली जमीन को किसी के बहकावे में आकर बेचने जा रहे थे और इस बात का विरोध उन्होंने किया ता जिसकी वजह से उन्हें अखाड़े से निकाल दिया गया था।
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उस दौरान आनंद गिरि ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर आश्रम में हुई दो संतों की मौत पर भी सवाल खड़े किए थे। उन्होंने निरंजनी अखाड़े से जुड़े महंत आशीष गिरि जी महाराज और महंत दिगंबर गंगा पुरी जी महाराज की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौतों की जांच कराए जाने की भी मांग की थी।
अपनी हत्या की आशंका जताई थी
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स्वामी आनंद गिरि ने अखाड़े से जुड़ी संपत्ति के विवाद में अपनी भी हत्या की आशंका जताई थी। उन्होंने कहा था कि, अखाड़े की संपत्ति सैकड़ों वर्षों पुरानी है, हमें इसका संभाल और संरक्षण करना चाहिए न कि इसको बर्बाद करना चाहिए. स्वामी आनंद गिरि ने चार मिनट चौबीस सेकंड का एक वीडियो जारी किया था जिसमें कहा गया था कि अखाड़े की सम्पत्ति को बर्बाद करने से रोकने को लेकर ही पूरा विवाद शुरू हुआ है।
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स्वामी आनंद गिरि ने वीडियो में कहा था कि महंत नरेंद्र गिरि उनके गुरु हैं और आगे भी गुरु ही रहेंगे। आनंद गिरि ने इशारा किया था कि ऐसा लग रहा है कि किसी के दबाव में अखाड़े की संपत्ति को वे नुकसान पहुंचा रहे हैं । इसे रोका जाना चाहिए, दुख जताते हुए कहा था कि इस मामले में उन्हें आनन फानन में दोषी ठहरा दिया गया और अखाड़े से निष्कासित भी कर दिया गया।
अभी भी चल रहा था विवाद
सार्वजनिक तौर पर वीडियो जारी करके भले ही गुरु और शिष्य के बीच चल रही लड़ाई को विराम देने की कोशिश की गई हो , लेकिन अंदर ही अंदर लड़ाई चल रही थी। यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा पर आनंद गिरि अपने गुरु नरेन्द्र गुरु की पूजा के लिए नहीं पहुंचे थे। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि विवाद अभी थमा नहीं है।
सीबीआई से शिकायत कर सीएम को भेजी गुरु से जुड़ीं तस्वीरें
स्वामी आनंद गिरि ने निरंजनी अखाड़ा और बाघंबरी गद्दी की अरबों में बेची गई संपत्ति की शिकायत सीबीआई से भी की थी। साथ ही अपने गुरु की कुछ तस्वीरें भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजीं हैं, जिसमें वह अपने मठ के ही एक विद्यार्थी की शादी में नोटों की गड्डियां लुटाते नजर आ रहे हैं। इसके अलावा उनके शिष्यों के आलीशान भवनों की भी तस्वीरें भी भेजी हैं।
स्वामी आनंद गिरि ने कहा था कि महंत नरेंद्र गिरि के करीबी सेवादारों की भी जांच कराई जानी चाहिए, जो जब मठ में आए थे तो उनके पास कुछ भी नहीं था। अब उनके पास करोड़ों के मकान और लग्जरी गाड़ियां और जमीनें कहां से आ गईं?
शिष्य ने गुरु की शिकायत राष्ट्रपति और पीएम से की थी
निरंजनी अखाड़े से निष्कासित महंत आनंद गिरि और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के बीच जमीनों को लेकर विवाद था। इसके बाद महंत आनंद गिरि के शिष्य स्वामी आनंद गिरि ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को पत्र भेजकर अखाड़े के विवाद की शिकायत भी की थी।
आनंद गिरि ने आरोप लगाया था कि प्रयागराज के कीडगंज के गोपाल मंदिर को भी आधा बेच दिया गया है। मठ और मंदिर की बेची गई जमीनों के दुरुपयोग की जांच कराई जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने संगम के बड़े हनुमान मंदिर के लाखों रुपये के चढ़ावे और प्रसाद से होने वाली बेहिसाब आमदनी की भी जांच कराने की मांग की थी।
चढ़ावे के पैसे में घपले की भी की थी शिकायत
स्वामी आनंद गिरि ने सवाल उठाया था कि हनुमान मंदिर में जो चढ़ावा आता है उसको कहां खर्च किया जाता है ? सेना की जमीन पर बने हनुमान मंदिर के लड्डुओं की टेस्टिंग तक नहीं कराई जाती। स्वामी आनंद गिरि ने ये भी आरोप लगाया था कि महंत नरेंद्र गिरि ने गांव छतौना प्रतापपुर में अपने भाइयों के जो मकान बनवाए हैं उसमें भी मठ का पैसा लगाया गया है।
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