हाथरस कांड पर सीएम योगी बोले - सेवादार लोगों को धक्का दे रहे थे, रिटायर्ड जज करेंगे हाथरस मामले की जांच
Hathras CM Yogi: यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी ने कहा - सत्संग में जो भगदड़ हुई, उसके पीछे साजिश हो सकती है, गंभीरता से जांच की जा रही है।
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Hathras CM Yogi: यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी ने कहा है कि सत्संग में जो भगदड़ हुई, उसके पीछे साजिश हो सकती है। सेवादार लोगों को धक्का दे रहे थे। सत्संग का मैनेजमेंट सेवादार संभाल रहे थे। हादसे में लोग मरते रहे, सेवादार वहां से खिसकते रहे। इसमें साजिश हो सकती है। सेवादारों ने सबूतों से छेड़छाड़ की। जो भी इसके लिए जिम्मेदार होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सीएम ने कहा कि SIT जांच चल रही है। रिटायर्ड जज इस मामले की पूरी जांच करेंगे। ज्यूडिशियल enquiry करने वाली कमेटी अपनी सिफारिश देगी कि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।
कौन है बाबा?
भोले बाबा एटा जिले के बहादुर नगरी गांव के रहने वाले हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई एटा जिले में हुई। वो कांशीराम नगर में पटियाली गांव के रहने वाले हैं। बचपन में पिता के साथ खेती-किसानी करते थे। जवान हुए तो पुलिस में भर्ती हो गए। उनकी पोस्टिंग यूपी के 12 थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में रही। 18 साल की नौकरी के बाद उन्होंने 90 के दशक में VRS ले लिया। अब वो अपने गांव में ही झोंपड़ी बनाकर रहते हैं। आध्यात्म की तरफ जाने के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर साकार विश्व हरि रख लिया, जो भक्तों की नजर में भगवान हैं।
12 थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में पोस्टिंग
कोरोना काल में भी भोले बाबा के सत्संग को लेकर विवाद हुआ था। मई 2022 में जब देश में कोरोना की लहर चल रही थी तब भोले बाबा ने फर्रुखाबाद में सत्संग का आयोजन किया था, जिससे उमड़ी भीड़ के चलते शहर की यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी। भोले बाबा के सत्संग में जो भी जाता है, उन्हें वहां पानी पिलाया जाता है। बाबा के अनुयायी ऐसा मानते हैं कि इस पानी को पीने से उनकी समस्याएं खत्म हो जाती हैं। बाबा का पटियाली तहसील के बहादुर नगरी गांव के आश्रम में भी दरबार लगता है। यहां आश्रम के बाहर एक हैंडपंप भी है, दरबार के दौरान इस हैंडपंप का पानी पीने के लिए भी लाइन लगती है।
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कैसे हुआ था हादसा?
सिकंदरामऊ थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। एफआईआर में खास बात ये है कि बाबा नारायण साकार हरि के सत्संग के बाद भगदड़ का तो जिक्र है लेकिन आरोपी के तौर पर उनका नाम नहीं है। हादसे का आरोपी मुख्य सेवादार देव प्रकाश मधुकर और अज्ञात सेवादार व आयोजकों को बनाया गया है। एफआईआर के मुताबिक, लाखों की भीड़ का अंदाजा होने के बावजूद आयोजकों ने मंजूरी लेने में ये बात छिपाई और सिर्फ 80 हजार लोगों के आयोजन की अनुमति ली।
80 हजार लोगों के आयोजन की अनुमति
पुलिस के मुताबिक, प्रवचन के बाद जब बाबा ने प्रस्थान किया तो श्रद्धालु उनके मार्ग की धूल लेने लगे, लेकिन भीड़ का दबाव इतना ज्यादा था कि धूल लेने झुके या बैठे लोग कुचलते चले गए। एफआईआर के मुताबिक, सेवादारों के कुप्रबंधन की वजह से भगदड़ मची। सेवादारों ने डंडों से भीड़ को जबरन रोकने की कोशिश की, जिससे भीड़ के दबाव में लोग कुचले गए। एफआईआर में कहा गया है कि अस्सी हजार लोगों के मुताबिक पुलिस प्रशासन की तरफ से पुख्ता इंतजाम था, लेकिन जब मामला बेकाबू हुआ तो सेवादारों ने कोई मदद नहीं उलटा जिन लोगों के चप्पल और सामान छूटे उन्हें पास के खेतों में फेंककर सबूत मिटाने की कोशिश की।
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