रूस की जंग में ड्रैगन का क्या काम? क्या उसी ने किया यूक्रेन का काम तमाम
रूस की जंग में ड्रैगन का क्या काम? क्या उसी ने किया यूक्रेन का काम तमाम china drones helping russia army
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रूस और यूक्रेन की जंग में दुनिया दो धड़ों में बंटी हुई है, कहने को अमेरिका इस जंग में शामिल नहीं है लेकिन सब जानते हैं कि पर्दे के पीछे से सारा खेल वही खेल रहा है। अमेरिका और तमाम यूरोपियन देशों की कोशिश है कि रूस पर सीधे और अप्रत्यक्ष तौर पर दबाव बनाया जा सके। और हकीकत ये है कि दबाव बनाया भी जा रहा है। लेकिन चीन, ईरान जैसे कुछ देश हैं जो अभी भी रूस के साथ खड़े हैं और उसकी हर मुमकिन मदद कर रहे हैं।
जंग के बीच यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि ड्रोन बनाने वाली चीनी कंपनी रूसी सेना को अपना UAV, यानी ‘अनआर्म्ड एरियल व्हीकल’ या ड्रोन का इस्तेमाल करने दे रही है। बकौल यूक्रेन उस पर मिसाइल हमलों के कॉर्डिनेशन के लिए रूसी सेना चीन में बने ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है। हांगकांग के पास शेन्जेन में DJI नाम की इस कंपनी की पहचान सिविलियन ड्रोन बनाने वाली कंपनी के तौर पर है। जिसे ड्रोन सेक्टर की एक जानी-मानी कंपनी कहा जाता है।
DJI ड्रोन सैटेलाइट नेविगेशन आधारित सटीक गाइडेंस टेक्नोलॉजी से लैस है, यूक्रेन के उपप्रधानमंत्री मायखाइलो फेडेरोव ने DJI टेक्नोलॉजी कंपनी को अपने प्रोडक्ट्स को रूस में प्रतिबंधित करने को कहा है, क्योंकि इनके जरिए यूक्रेन को टारगेट किया जा रहा है। फेडोरव ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि रूस अपनी मिसाइलों को नेविगेट करने के लिए DJI प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर रहा है।
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DJI ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर ट्वीट कर कहा कि ये हर एक ड्रोन को बंद नहीं कर सकती है। ये एयरपोर्ट्स और दूसरी अहम लोकेशन के पास ड्रोन ऑपरेशन को बंद करने के लिए जियोफेंसिंग या सॉफ्टवेयर प्रतिबंध का इस्तेमाल कर सकता है।
हालांकि, इसकी वजह से यूक्रेन में इस्तेमाल होने वाले हर एक ड्रोन पर इसका प्रभाव होगा, कंपनी का दावा है कि उसके नए ड्रोन में एक सुरक्षा तंत्र है, जो उनके लॉकेशन की जानकारी देता है। साथ ही क्रैश से बचने के लिए 50 किलोमीटर तक के दूसरे ड्रोन को ट्रैक करता है। कंपनी ने कहा है कि वो यूक्रेन के साथ ड्रोन को लेकर आ रही दिक्कतों पर चर्चा करने के लिए तैयार है।
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