... अपने पिता को सिर पर तब तक मारता रहा, जब तक उन्होंने तड़पना बंद नहीं कर दिया, फिर से सैनिटाइजर से जलाया

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... अपने पिता को सिर पर तब तक मारता रहा, जब तक उन्होंने तड़पना बंद नहीं कर दिया, फिर से सैनिटाइजर स...
Chhattisgarh Son Killed his Father,Mother and Grandmother
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अरविंद यादव के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट

Chhattisgarh Crime News:  उदित छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में रहता था। इस जिले में एक गांव है पुटका। वहां पूरा परिवार रहता था। उसके पिता प्रभात भोई गांव के जान-माने शिक्षक थे। प्रभात की पत्नी का नाम सुलोचना भोई था। साथ में प्रभात की बूढ़ी मां भी रहती थी। वो 75 साल की थी। प्रभात के दो लड़के थे, जिनमें एक उदित था। घर का माहौल पढ़ाई वाला था। यानी पिता जी खुद चूंकि पढ़े-लिखे थे, लिहाजा चाहते थे कि दो बच्चे काबिल बने। उदित का भाई अमित पढ़ाई में अच्छा था। वो डाक्टर बनना चाहता था, उसके लिए पिता जी ने उसे रायपुर भेज दिया था। वहां वो एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था। घर में सब कुछ ठीक-ठाक था, लेकिन एक दिक्कत थी और वो ये कि उदित पढ़ाई में ढीला था। उसका मन दूसरी चीजों में ज्यादा लगता था। इस वजह प्रभात भोई एक को प्यार तो दूसरे को यानी उदित को खूब डांटते थे। क्यों उदित अमित की तरह नहीं था? क्यों उसका मन दूसरी चीजों में ज्यादा लगता था?

इसी जगह पर उदित ने शवों को जलाया

 

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उदित की कंपनी बिगड़ती चली गई

 

ये सिलसिला कई सालों तक चला। उदित परेशान रहना लगा। अमित की कंपनी बिगड़ती जा रही थी। वो शराब का आदी हो चुका था। कमाई का कोई जरिया नहीं था, लिहाजा वो घरवालों से पैसे लेता था। शुरुआत में तो जब घरवालों को ये पता था कि उदित ये पैसे कुछ खाने-पीने के लिए लेता है, तो उस वक्त उसे पैसे दे दिया करते थे, लेकिन धीरे-धीरे सच्चाई सामने आने लगी। पता चला कि वो तो शराब की बोतल को ही जिंदगी समझ रहा है। उसी में पैसा लुटाता जा रहा है। अब घरवाले भी उसकी हरकतों से बेहद परेशान हो चुके थे। रोजाना उसे डांटते थे, लेकिन वो सुधरता नहीं था। उसे ये शर्म नहीं आती थी कि घरवाले उससे दुखी हो रहे हैं। बस उसे अपनी चिंता थी।

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रोज डांट खा-खा कर उदित कई बार बिफर जाता था। अब ये सिलसिला ज्यादा होने लगा था। रोज उसकी बेज्जती होती। वो रोज खून का खूंट पीता रहता, लेकिन एक दिन उसके दिमाग में ये बात घर कर गई कि अब वो और बर्दाश्त नहीं करेगा। उसने ये निर्णय किया कि अब अगर उसे कुछ कहां गया तो वो सारे परिवार को ही खत्म कर देगा। ये और बात है कि उसके मन में ये बात नहीं आई कि इतनी डांट खाने के बाद वो सुधार क्यों नहीं जाता।

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उदित के माता-पिता

 

बस अब इंतकाम की आग धधक रही थी

 

बस अब अपने अंदर आग लिए उदित बैठा था। फिर एक दिन पिता जी ने खूब डांटा और शराब को लेकर खूब ताने सुनाए। वो 7 मई का दिन था। बस, अब उदित ने अपने पिता की हत्या करने का प्लान बना ही लिया। रात हुई। सब सो रहे थे। पूरे दिन उसके दिमाग में ये बात घर कर गई थी। उदित के दिमाग में कई विचार आ रहे थे कि मार डालू अपने पिता को। फिर क्या होगा? जेल हो जाएगी। पूरा परिवार बिखर जाएगा। लोग क्या कहेंगे? भगवान माफ नहीं करेगा। लेकिन दिमाग के एक कोने में ये बात भी थी कि कोई अपनी औलाद को इस तरह से डांटता है। जलील करता है। अब हत्या के लिए उसे हथियार तलाश थी। घर में एक स्टिक रखी थी। आवेश में आकर रात 2 से 3 बजे के बीच उसने हॉकी स्टिक अपने पिता के सिर पर जोर से दे मारी। वो चिल्लाए और खूनमखून हो गए। अचानक उदिक की मां उठ गई। मां के सिर पर भी उदित ने जोर की स्टिक मार दी। वो दोनों के सिर पर तब तक स्टिक मारता रहा, जब तक वो तड़पने नहीं लगे। थोड़ी देर में शांति फैल गई। दोनों बदहवास हालत में पड़े थे। गुस्सा में लाल उदित उनकी तरफ देख रहा था। चारों तक खून की छींटें थी।

 

आरोपी उदित 

तब तक मारता रहा, जब तक उन्होंने तड़पना बंद नहीं कर दिया

 

लेकिन अभी हैवानियत खत्म नहीं हुई थी। दादी जी उठ गई। फिर बूढ़ी दादी को भी उदित ने ऐसे ही मार डाला। अब घर में सब मर चुके थे। चारों तरफ खून था। उदित का गुस्सा शांत हुआ। फिर वो रोने लगा। सोचना लगा कि ये क्या कर डाला उसने? लेकिन रोते-रोते दिमाग में ये बात आ रही थी कि अब जेल न जाना पड़े। सोचिए जिस आदमी को गिल्ट आनी चाहिए, वो ये सोचने लगा कि अब शवों को कैसे ठिकाने लगाए ताकि वो बच जाए।

 

लाश को सैनिटाइजर डाल कर जलाया...

 

एक-एक करके लाशों को उठा कर बाथरूम में रख दिया। अब उसे लगा कि शवों को अगर वो जला देगा तो बच सकता है। किसी को पता भी नहीं चलेगा। दरअसल, जिस जगह पर उसका घर था, उसके आसपास कोई घर नहीं था। वो रात का इंतजार करने लगा। रात हुई। उसने तीन शव एक-एक करके घर के पीछे की तरफ बाहर निकाल दिए। लकड़ियां लाया और घर में मौजूद सैनिटाइजर ले आया। शवों पर लकड़ियां रखी और आग लगा दी। सैनिटाइजर से आग और भड़क गई। ये सिलसिला दो दिनों तक चला। हालांकि पहले ही दिन काफी कुछ जल चुका था, लेकिन उदित ये चाहता था कि एक दिन रात में फिर बचे हुए अवशेषों को जला दे ताकि कोई सबूत न रह जाए।

शिक्षक का घर 

 

पुलिस को अजीबोगरीब कहानी बताई

 

तीसरे दिन यानी 10 मई को उसे ये विश्वास हो गया था कि अब किसी को कुछ भी नहीं पता चलेगा। इसके बाद उसके दिमाग में एक और प्लान आया। वो 12 मई को थाने पहुंचा। उसने पुलिस वालों से कहा कि उसके पिता, मां और दादी गायब हो गई है। पुलिस ने जांच शुरू की।

इस बीच उदित के भाई को भी सारी जानकारी दी गई। वो रायपुर से पुटका गांव पहुंचा। उसने देखा कि घर में ताला लगा हुआ है। इसके बाद अमित पीछे की बाउंड्री से कूदकर अपने घर में दाखिल हुआ। उसने देखा कि घर में खून के छींटें मौजूद है और परिसर में कोई चीज जलाने के निशान होने के साथ ही मानव हड्डियां भी पड़ी थीं। अमित को यकीन होने लगा कि शायद उसके माता-पिता की हत्या हो गई और उदित ने ये काम करा है। उसने सिंघोड़ा थाने जाकर घटना की जानकारी पुलिस को दी।

 

उदित ने घर को बंद किया और...

 

उदित घर में ताला लगा कर आसपास घूम रहा था। वो अपने पिता का मोबाइल फोन अपने साथ ले गया था। उसके शातिर दिमाग में एक और बात आई। उसने अपने पिता के मोबाइल से अमित को मैसेज किया ताकि ये लगे कि वो जिंदा है।

पुलिस ने मोबाइल की लोकेशन निकाली तो वो घर के आसपास आ रही थी। सूचना के आधार पर पुलिस ने उदित को पकड़ लिया।

12 मई को सिंघोड़ा थाना पुलिस उसके घर पहुंची। घर में खून के छींटे मौजूद थे। जले हुए मानव अवशेष भी थे। जब पुलिस ने उदित से सख्ती से पूछा तो वो डर गया। रोने लगा। उसने सारी बात बता डाली।

 

पुलिस ने ऐसे पकड़ा आरोपी को

 

पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह छवाई ने बताया कि 12 मई को मोबाइल की लोकेशन निकाली तो घर के पास ही होने की जानकारी मिली। गांव के लोगों ने पुलिस को बताया कि यहां दो दिन से धुआं उठ रहा था। पता चला कि वो लोगों से ये पूछ रहा था कि अनुकंपा नियुक्ति कैसे होती है? सख्ती से पूछताछ करने पर उदित ने सब कुछ बता दिया। बाद में इस सिलसिले में आरोपी उदित को अरेस्ट कर लिया गया।

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