देश को मिली पहली ट्रांसजेंडर दरोगा, मानवी मधु बनीं सब-इंस्पेक्टर! देखें वीडियो
Bihar First Transgender Sub inspector: बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग ने दारोगा के 1275 पदों के लिए वेकैंसी निकाली थी। इसका फाइनल रिजल्ट आ गया है। इस रिजल्ट में तीन ट्रांसजेंडर सफल हुए हैं। बिहार की मानवी मधु कश्यप देश की पहली ट्रांसजेंडर दरोगा बनीं हैं।
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न्यूज़ हाइलाइट्स
देश को मिली पहली ट्रांसजेंडर दरोगा
मानवी मधु बनीं बिहार पुलिस में सब-इंस्पेक्टर
भागलपुर की रहने वाली हैं मानवी मधु कश्यप
Bhagalpur: अगर इंसान ठान ले तो वो क्या कुछ नहीं कर सकता? नाम - मानवी मधु कश्यप। पहचान - ट्रांसजेंडर। मधु की मुस्कान ये बताने के लिए काफी है कि उसने वो कर दिखाया है, जो उसका सपना था। उसका सपना पुलिस की नौकरी करने का था और अब वो इसमें सफल हो गई है। देश को पहली 'ट्रांसजेंडर सब इंस्पेक्टर' मिल गई है। बिहार की रहने वाली मानवी मधु कश्यप देश की पहली ट्रांसजेंडर दरोगा होंगी। उन्होंने बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग का एग्जाम क्रेक किया है। सब इंस्पेक्टर की परीक्षा के लिए वो 2021 से तैयारी कर रही थीं।
बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग ने दारोगा के 1275 पदों के लिए वैकेंसी निकाली थी। इसका फाइनल रिजल्ट आ गया है। इस रिजल्ट में तीन ट्रांसजेंडर सफल हुए हैं। बिहार की मानवी मधु कश्यप देश की पहली ट्रांसजेंडर दारोगा बनीं है। तीन ट्रांसजेंडरों में दो ट्रांसमेन हैं।
कौन है मधु कश्यप?
मानवी मधु कश्यप बिहार के भागलपुर की रहने वाली है। वो एक छोटे से गांव में रहती हैं। मानवी मधु कश्यप ने वीडियो जारी कर कहा - मैं मानवी मधु कश्यप आज मुझे बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि मेरा बिहार SI में सिलेक्शन हुआ है। इसके लिए मैं अपने मुख्यमंत्री, गुरु रहमान सर, रेशमा मैम, सुल्तान सर और अपने माता-पिता को बहुत धन्यवाद करती हूं। आज मैं बहुत खुश हूं क्योंकि ट्रांसजेंडर का यहां तक आना बहुत मुश्किल होता है। मेरे लिए भी मुश्किल रहा। मगर, मेरे गुरु और माता-पिता सपोर्ट में रहें और हमेशा हिम्मत देते रहें। इस कारण मैं यहां तक पहूंच पाई हूं। मेरा सपना आईएएस बनने का है। आपको बता दें कि मधु पिछले 10 सालों से अपने घर नहीं गई हैं। पटना में उसकी मुलाकात गुरु रहमान सर से हुई। इसके लिए रहमान सर ने मधु को पढ़ाया। मधु कहती है कि मेरा सपना यूपीएससी क्लियर करने का हैं।
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क्या बोले मधु के गुरु?
गुरु रहमान ने कहा -इसके पापा कहते थे या तो हमें मार दो या तुम मर जाओ। शुरु में घर-घर भेजकर बधाई करवाई जाती थी। गलत काम करवाया जाता था। मधु ने कई कोचिंग संस्थान में एडमिशन का ट्राई किया, लेकिन कहीं एडमिशन नहीं मिला। कोचिंग वालों का कहना था कि माहौल खराब हो जाएगा। इसके बाद ये मुझसे मिली और बच्ची ने पढ़ाई में फोकस किया। आज उसकी मेहनत रंग लाई है।
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