Bihar Crime: हत्या का सबूत ‘मिटाने’ पहुंची पुलिस, गांव वालों ने बना लिया बंधक!
Bihar News: पुलिस ने सबूत जुटाने के लिए जाने की बात कही, आरज़ू-मिन्नत के बाद छूटा पीछा, कैमरे में ‘नंगे हाथों’ से देसी कट्टे को बरामद करती नज़र आई पुलिस।
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Bihar Crime News: बिहार के आरा में पुलिस (Police) को एक क्राइम सीन (Crime Scene) रीक्रिएट (Recreate) करने लिए जाना ही भारी पड़ गया। सादे लिबास में पुलिसवालों को देख कर गांव वाले कुछ इतना भड़क गए कि उन्होंने सीधा इलाके के थाना अध्यक्ष समेत उनकी टीम को ही घेर लिया और बंधक बना लिया। वो तो पुलिस टीम को बंधक बनाए जाने की खबर मिलने पर आनन-फानन में दल-बल के साथ एडिशनल एसपी मौका ए वारदात पर पहुंचे।
एसपी साहब अपने मातहतों को किसी तरह गांव वालों के चंगुल से छुड़ा कर अपने साथ लाने में कामयाब हो गए। लेकिन पुलिसवाले भी कम नहीं थे, वो गए तो थे सबूत जुटाने के लिए खुद ही अपने नंगे हाथों से आरोपी के घर से देसी कट्टा बरामद करते हुए कैमरे में कैद हो गए और ये सबूत जुटाने के नाम पर घनघोर लापरवाही थी।
इस मामले की शुरुआत होती है, 31 अक्टूबर से जब छठ पूजा के बाद विसर्जन के दौरान सिंगही खुर्द गांव के कुछ लोगों के बीच विवाद हो गया था। जिसके बाद एक पक्ष के बदमाशों ने दूसरे पक्ष पर धारदार हथियारों के साथ-साथ गन और गोलियों से भी हमला कर दिया। नतीजा ये हुआ कि इस हमले में हेमंत नाम के 26 साल के एक नौजवान की जान चली गई।
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जबकि अभिषेक और सागर नाम के दो भाई गोली लगने से जख्मी हो गए। इस सिलसिले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की तफ्तीश शुरू कर दी और वो मंगलवार को इसी सिलसिले में एक आरोपी के घर पहुंची थी घरवाले पुलिस के डर से पहले ही फरार हो चुके थे।
पुलिसवालों का सादे लिबास में क्राइम सीन रीक्रिएट करने पहुंचना ही उल्टा साबित हुआ। असल में किसी ने सादे लिबास में पुलिसवालों को देकर उन्हें कातिलों का हमदर्द बताते हुए ये इल्जाम लगा दिया कि वो हमलावरों के घर में सबूत मिटाने के लिए पहुंच हैं। बस फिर क्या था, सैकड़ों गांव वालों ने पुलिस टीम को घेर लिया और हंगामा करने लगे। हालत ये हुई कि थाना अधिकारी अनिल कुमार लाख सफ़ाई देते रहे।
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पुलिसवाले बताते रहे कि वो सबूत मिटाने नहीं, बल्कि फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स के साथ सबूत जुटाने और क्राइम सीन रीक्रिएट करने पहुंचे हैं। लेकिन कोई भी उनकी बात सुनने को तैयार नहीं था और तब जब ये खबर आला अधिकारियों तक पहुंची, तो आरा के एडिशनल एसपी हिमांशु कुमार को अपनी टीम को आज़ाद करवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
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एएसपी हिमांशु कुमार पूरे लवाज़मे के साथ मौका ए वारदात पर पहुंचे इसके बाद उन्होंने ना सिर्फ़ गांव वालों को समझा बुझा कर अपनी टीम को उनके कब्जे से आजाद करवाया, बल्कि आरोपी के घर की तलाशी भी ली। जहां पुलिस को एक देसी कट्टा और कई जिंदा कारतूस मिले। विडंबना देखिए कि यहां भी पुलिस बगैर किसी एहतियात के अपने हाथों से देसी कट्टे को बरामद करती हुई कैमरे में कैद हुई।
फॉरेंसिक एविडेंस जुटाने के लिहाज़ से देखे, तो इसे हिफ़ाजत से ग्लव्स वगैरह के जरिए बरामद करना चाहिए था, ताकि सबूत मिटने से बच जाते लेकिन गांव वालों के विरोध और बवाल के बावजूद पुलिसवालों ने वही किया, जो उन्हें करना चाहिेए था। बहरहाल, कत्ल और जानलेवा हमले के मामले में फिलहाल आरा पुलिस की जांच जारी है लेकिन पुलिस जिस तरह जांच कर रही है उससे गुनहगारों को सज़ा कब मिलेगी, इस पर एक बड़ा सवाल है।
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