आठ दिन में दूसरी बार रो पड़ी बॉलीवुड की शहनाई, 'बंबई से आया मेरा दोस्त' से लेकर 'ऊ ला ला ऊ ला ला' तक सिर्फ़ 'बप्पी दा'

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आठ दिन में दूसरी बार रो पड़ी बॉलीवुड की शहनाई, 'बंबई से आया मेरा दोस्त' से लेकर 'ऊ ला ला ऊ ला ला' त...
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तस्वीर के फ्रेम में सिमट गया एक बड़ा कलाकार

Latest News: वो घुंघराले घने बाल, गोल मटोल मुस्कुराता हुआ नूरानी चेहरा, काले चश्मे के भीतर से झांकती वो तेज़ पारखी निगाहें, और गले में बेशुमार सोने की चेन और ज़ेवर पहनने वाली वो शख्सियत अब बस तस्वीर के एक फ्रेम का हिस्सा बनकर रह गई है। हिन्दुस्तान के फिल्मी संगीत में डिस्को म्यूज़िक की धुनों को पिरोने वाले भप्पी दा, यानी बप्पी लाहिरी अब इस दुनिया में नहीं हैं।

69 साल की उम्र में बप्पी लाहिरी ने जुहू के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली। और जैसे ही ये ख़बर जूहू के क्रिटी केयर अस्पताल से बाहर निकली सुरों की महफिल में अचानक शहनाई रो पड़ी।

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बॉलीवुड से रूठा संगीत

Latest News: फिल्म इंडस्ट्री के लिए बीता एक हफ़्ता क़हर बनकर टूटा है, जिसने एक ही झटके में संगीत को दो सुरों को इस इंडस्ट्री से हमेशा हमेशा के लिए जुदा कर दिया। पिछले ही रविवार की ही तो बात है जब दुनिया ने स्वर कोकिला और आवाज़ की मल्लिका लता मंगेशकर को विदा किया था। और हफ्ता बीतते बीतते लता मंगेशकर समेत अनगिनत आवाज़ों के लिए सुरों को साधने वाला एक खूबसूरत संगीतकार बप्पी लाहिरी भी अनंत यात्रा के लिए विदा हो गए।

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70 और 80 के दशक में इस फिल्म इंडस्ट्री में बप्पी लाहिरी ने अपनी धुनों और गानों में कुछ इस तरह का अलग राग छेड़ा जिसने उन्हें एक नई और अनोखी पहचान दे दी। एक तरफ अगर उनका संगीत और उनकी धुनें फिल्मी म्यूज़िक में कामयाबी की नई तानें छेड़ रहीं थी तो वहीं बप्पी लाहिरी का लुक भी उन्हें अलग तरह की पहचान दिलाने में अहम रोल निभा रहा था। बेहिसाब सोना पहनना और आंखों पर हमेशा काला चश्मा लगाए रखना उनका शौक था जो उनकी पहचान भी बन गया था।

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गले में सोने की मोटी मोटी चेन और हाथों की उंगलियों में अंगूठियों का ढेर की बदौलत लोग मज़ाक में ही उन्हें चलती फिरती सोने की दुकान तक कहने लगे थे। लेकिन उन्होंने इस मज़ाक को सिर्फ मज़ाक की हद तक ही रहने दिया। और न तो कभी इस बात का बुरा माना और न ही कभी इस मज़ाक को कभी दिल से लगाया।

धुरंधरों के बीच गूंजी बप्पी लाहिरी की धुन

Latest News: 1970 के दशक में जिस वक़्त फिल्म इंडस्ट्री में लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, कल्याणजी आनंदजी, और राहुल देव बर्मन यानी पंचम दा के नाम का डंका बज रहा था, उसी दौर में बप्पी लाहिरी ने बॉलीवुड में कदम रखा।

और अपने गीतों में पॉप का वो ठेका लगाया कि हिन्दुस्तान में फिल्मी संगीत को पसंद करने वाले लोगों को नए स्टाइल और नए सुरों का चस्का लग गया और ऐसा चस्का लगा कि आज भी उनके गानों को सुनते ही लोगों के पैर खुद ब खुद थिरकने लगते हैं।

बचपन से देखने लगे बड़े सपने

Latest News: बप्पी लाहिरी का जन्म 27 नवंबर 1952 को कोलकाता के एक धनी परिवार में हुआ था। और जिस उम्र में बच्चे हाथों में पेंसिल और चॉक लेकर काग़ज़ और दीवारों पर आड़ी तिरछी लकीरें खींचकर हाथ चलाना सीखते हैं, उस उम्र में ही बप्पी लाहिरी ने तबले पर हाथ साधना शुरू कर दिया था। यानी उस छोटी सी उम्र में ही बप्पी लाहिरी की नन्हीं आंखों में आसमान से भी ऊंचे सपने पलने लगे थे।

ये बात शायद बहुत कम लोग जानते हैं कि बप्पी लाहिरी बॉलीवुड के अब तक के सबसे कामयाब मशहूर गायक किशोर कुमार से बहुत नज़दीकी रिश्ता था। रिश्ते में वो किशोर कुमार के भांजे लगते थे। लेकिन बप्पी लाहिरी ने संगीत की पूरी शिक्षा अपने माता पिता से ही ली।

19 साल की उम्र में बप्पी लाहिरी को बांग्ला फिल्म दादू के लिए एक गीत गाने के लिए चुना गया था। और वहां से शुरू हुआ उनका ये सफर जीवन भर उनके साथ चलता रहा। सुनहरे पर्दे की इस दुनिया में बप्पी दा हमेशा ही लाइमलाइट में रहे।

बांग्ला फिल्म से की शुरूआत, ज़ख़्मी फिल्म से मिली पहचान

Latest News: बांग्ला फिल्म में गाना गाने के बाद बप्पी लाहिरी अपनी पहचान बनाने की गरज से कोलकाता से मुंबई पहुँच गए। बेशक उस वक़्त फिल्म इंडस्ट्री में किशोर कुमार की तूती बोलती थी, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने मामा के पास जाकर न तो काम मांगा और न ही कभी सिफारिश करने की गुजारिश की।

उनके स्ट्रगल के दौर में 1973 में उन्हें नन्हा शिकारी फिल्म में एक गाना गाने का मौका मिला। मगर उन्हें मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में पहचान मिली 1975 में आई ज़ख़्मी फिल्म से। इस फिल्म में किशोर कुमार और मोहम्मद रफी जैसे मंझे हुए और बॉलीवुड की पहचान बन चुकी आवाज़ों के साथ मिलकर एक गाना गाया और देखते ही देखते इंडस्ट्री की जुबां पर छा गए।

धूम मचाई बप्पी लाहिरी और मिथुन चक्रवर्ती की जोड़ी ने

Latest News: लेकिन इसके बाद ज़माना आया बप्पी लाहिरी और मिथुन चक्रवर्ती की जोड़ी का। जिसने बॉलीवुड में धमाल मचा दिया। इस जोड़ी ने मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में ऐसी धूम मचाई कि पूरा हिन्दुस्तान डिस्को डांस और डिस्को म्यूज़िक का दीवाना हो गया। इस जोड़ी ने डिस्को डांसर, डांस डांस और कसम पैदा करने वाले जैसे साधारण गानों को भी असाधारण बना दिया।

बप्पी लाहिरी ढंग से हिन्दी नहीं बोल पाते थे। बावजूद इसके उन्होंने हिन्दी से बिना कोई छेड़छाड़ किए हिन्दी फिल्मों के लिए ऐसे बेमिसाल संगीत के नए नए सोपान गढ़े जिनकी बदौलत बप्पी लाहिरी पूरी इंडस्ट्री के प्यारे दुलारे बप्पी दा बन गए।

डिस्को म्यूज़िक से थिरका बॉलीवुड

Latest News: यूं तो उनकी उंगलियों ने कई गानों को शोहरत के आसमान तक पहुँचने का रास्ता दिखाया है, लेकिन कुछ गाने ऐसे भी हैं जिन्हें शायद ही कोई कभी भुला सके। जैसे डिस्को डांसर में उनकी आवाज़ में गाना था ‘याद आ रहा है तेरा प्यार’ और ‘सुपर डांसर आए हैं आए हैं’ या फिर कसम पैदा करने वाली की में उनका गाया ‘ऐसे जीना भी क्या जीना है’।

मनोकामना फिल्म का ‘प्यार चाहिए मुझे जीने के लिए’ या नमक हलाल फिल्म से ‘रात बाक़ी बात बाक़ी, होना है जो हो जाने दो’। अनिल कपूर की साहब फिल्म का गाना, ‘यार बिना चैन कहां रे’ या उनके करियर का सबसे आखिरी हिट गाना, जिसने विद्या बालन की डर्टी पिक्चर को सुपर डुपर हिट कर दिया, ‘उ ला ला ऊ लाला’।

किशोर कुमार से छीनकर जब गाया गाना

Latest News: लेकिन बप्पी लाहिरी के ज़िंदगी से जुड़ा एक बड़ा ही मशहूर क़िस्सा जो उनकी हुनर की एक मिसाल भी देता है। बात उस वक़्त की है जब किशोर कुमार का नाम किसी भी फिल्म की कामयाबी की गारंटी हो जाता था। उस दौर में किसी भी प्रोड्यूसर की हिम्मत तक नहीं पड़ती थी कि किशोर कुमार के अलावा किसी और से गाना गवा ले। या उनके गाये गाने को किसी और के गाए गाने से बदल दे।

1977 में एक फिल्म बनी थी आपकी ख़ातिर। इस फिल्म में विनोद खन्ना मुख्य किरदार में थे। मगर उसी फिल्म में शैली शैलेंद्र का लिखा एक गाना बंबई से आया मेरा दोस्त, भी था। पहले ये गाना किशोर कुमार से गवाया जाने वाला था, क्योंकि मस्ती भरे गानों में किशोर कुमार का कोई सानी था ही नहीं।

लेकिन शूटिंग के वक़्त किशोर कुमार किसी दूसरी फिल्म में व्यस्त थे। तो प्रोड्यूसर ने संगीतकार बप्पी लाहिरी से कहा कि वो ये गाना फिलहाल स्क्रैच गा दें ताकि शूटिंग पूरी हो सके और बाद में किशोर कुमार से गाने की रिकॉर्डिंग करवाकर इसे मास्टर कर लिया जाएगा। बप्पी लाहिरी मान गए। और गाना रिकॉर्ड कर लिया।

ये तो बप्पी दा का ही कमाल है

Latest News: लेकिन जब किशोर कुमार को ये बात पता चली तो उन्होंने स्टूडियो पहुँचकर पहले गाना सुना और बप्पी लाहिरी की पीठ ठोंकते हुए कहा ये गाना आने वाले दिनों में मुंबई की पहचान बन जाएगा। इस गाने को बिलकुल भी बदलने की ज़रूरत नहीं है। और आखिर में वही हुआ जो किशोर कुमार ने कहा।

बप्पी लाहिरी ने अपने करियर का सबसे आखिर गाना 2020 में आई बाग़ी 3 फिल्म का भंकस था। जो इत्तेफ़ाक से उतना नहीं चला।

बेशक बप्पी दा अब इस दुनिया को छोड़कर चले गए लेकिन उनके गीत और उनका संगीत हमेशा ही इस बॉलीवुड को नए राग छेड़ने की प्रेरणा देता रहेगा।

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