मणिपुर में IRB कैंप पर अटैक, बेकाबू भीड़ गोला बारूद और हथियार लूटने की कोशिश में एक मारा गया

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मणिपुर में IRB कैंप पर अटैक, बेकाबू भीड़ गोला बारूद और हथियार लूटने की कोशिश में एक मारा गया
मणिपुर में सुरक्षा बल कैंप पर हमला करके हथियार लूटने की कोशिश
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IRB camp under attack: पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर  में जारी हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही। मंगलवार को थौबल जिले में एक बार फिर बवाल देखने को मिला, जब भीड़ ने इंडियन रिजर्व फोर्स यानी IRB के कैंप पर हमला करके वहां रखा गोला बारूद और हथियार लूटने की कोशिश की गई। उत्पाती भीड़ को रोकने के लिए वहां तैनात सुरक्षा कर्मियों ने जब हवाई फायरिंग की तो एक आदमी की मौत हो गई। 

मणिपुर के खंगाबोक इलाके में IRB के कैंप पर हमला किया गया

भीड़ ने हथियार और गोला बारूद लूटने के लिए हमला

अधिकारियों की बातों पर यकीन किया जाए तो भीड़ ने हथियार और गोला बारूद लूटने के लिए खंगाबोक इलाके में तीसरी बटालियन के कैंप पर हमला करने की कोशिश की थी। लेकिन सुरक्षा बलों ने हालात को अपने काबू से बाहर नहीं जाने दिया। इसके लिए भीड़ पर आंसू गैस के गोले दागे गए और फिर रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया गया। लेकिन तभी भीड़ में से किसी ने गोली चलानी शुरू कर दी, जिसके जवाब में सुरक्षा बल ने भी जवाबी फायर किए। इसी जवाबी कार्रवाई में एक नौजवान को गोली लग गई। जबकि असम राइफल्स के एक जवान के पैर में गोली लगी। 

सेना की गाड़ी आग के हवाले

इसके बाद बेकाबू हुई भीड़ ने सेना की गाड़ी में आग लगा दी। जिस नौजवान को गोली लगी उसकी पहचान रोनाल्डो के तौर पर हुई है। जिसे थौबल अस्पताल ले जाया जा रहा था लेकिन हालत ज़्यादा खराब होने के बाद उसे इंफाल के लिए रैफर किया गया लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। इसके अलावा सुरक्षा बल की कार्रवाई के बाद दस और लोग भी जख्मी हुए। हालांकि हालात काबू में है। सेना के एक अधिकारी के मुताबिक एक रोज पहले यानी 4 जुलाई को भी मणिपुर के थौबल जिले के खंगाबोक में IRB बटालियन से हथियार लूटने की कोशिश को विफल किया गया था। 

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पूरे इलाके की नाकाबंदी

भीड़ को रोकने के लिए सेना ने पूरे इलाके में नाकाबंदी कर दी है। और असम राइफल्स के साथ साथ रैपिड एक्शन फोर्स की टुकड़ियों ने स्थिति को नियंत्रण में कर लिया है। 

3 मई को भड़की की हिंसा

मालूम हो कि अनुसूचित जनजाति यानी ST का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था और 3 मई को पहली बार हिंसा भड़की थी। और अब तक यानी पूरे 63 दिनों के बाद भी इस राज्य के पहाड़ी हिस्सों में फैली हिंसा रूकने का नाम ही नहीं ले रही और अब तक इस हिंसा की आग में 100 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं जबकि घायलों की संख्या डेढ़ सौ का भी आंकड़ा पार कर चुकी है। इतना ही नहीं हजारों लोग अपना घर बार छोड़कर राहत शिवरों में रहने को मजबूर हैं। 

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