G20 Summit: दिल्ली के चप्पे चप्पे पर हैं CIA और मोसाद के जासूस, एक लाख 30 हजार सुरक्षा कर्मियों से घिरी राजधानी

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G20 Summit: दिल्ली के चप्पे चप्पे पर हैं CIA और मोसाद के जासूस, एक लाख 30 हजार सुरक्षा कर्मियों से ...
G-20 की सिक्योरिटी में जमीन से आसमान तक सख्त पहरा
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Anti-Drone Systems in G-20: G-20  का शिखर सम्मेलन  दिल्ली में है। और दुनिया के टॉप 20 देशों के शीर्ष नेता भारत की राजधानी दिल्ली पहुँच रहे हैं। दुनिया के तमाम बड़े नेताओं को सुरक्षा कवच देने के लिए सुरक्षा का इतना तगड़ा इंतजाम किया गया है कि सुनकर ही आप सिहर सकते हैं। मामला दुनिया के सबसे ताकतवर देश के सबसे ताकतवर शख्स की हिफाजत का सवाल हो तो वहां किसी भी तरह की कोई गुंजाइश रह नहीं जाती। मौर्य शैरेटन के चाणक्य सुइट को खासतौर पर जो बाइडन के लिए तैयार किया गया है। दो कमरों के इस प्रेसिडेंशियल सुइट तक जाने के लिए एक खास लिफ्ट लगाई गई है। इतना ही नहीं, इस होटल की हरेक मंजिल पर निगरानी के लिए अमेरिका कमांडो तैनात रहेंगे। 

G-20 के लिए दिल्ली में सुरक्षा का जबरदस्त इंतजाम

चप्पे पर जासूसों का पहरा

 दुनिया के बड़े नेताओं की हिफाजत के लिए दिल्ली पुलिस तो बस एक बेहद छोटा सा रोल अदा करेगी, जबकि पूरी दिल्ली के चप्पे चप्पे पर नज़र रखने के लिए पैरा मिलिट्री फोर्स के कमांडो, एनएसजी कमांडो, सीआरपीएफ कमांडो के साथ साथ खुफिया एजेंसियों IB और RAW के अलावा ब्रिटेन की तेज तर्रार खुफिया एजेंसी MI-6, रूस की खुफिया एजेंसी एफएसबी, अमेरिकी एजेंसी CIA, इजराइल की खतरनाक एजेंसी मोसाद और सऊदी अरब की सुरक्षा एजेंसी पूरी तरह से मुस्तैद हैं। 

सुरक्षा के नए चैलेंजेस 

नए जमाने की तकनीक की वजह से सुरक्षा के चैलेंजेस भी बदल गए हैं। लेकिन इन तमाम सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने अपने तरकश में नए जमाने की चुनौतियों से निपटने वाले तीरों को भी शामिल किया है। खासतौर पर साइबर अटैक से निपटने के लिए न सिर्फ सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हैं बल्कि साइबर एक्सपर्ट की टीम चौबीस घंटे अलर्ट मोड पर मुस्तैद है। तू डाल डाल मैं पात पात वाली कहावत के मुताबिक सुरक्षा बंदोबस्त के लिए इस बार सीसीटीवी कैमरे में AI का इस्तेमाल किया जा रहा है खासकर चेहरों को पढ़ने के लिए फेस रिकगनीशन टेक्नीक का इस्तेमाल हो रहा है। ताकि संदिग्धों को उनके इरादों के साथ दबोचा जा सके। 

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साइबर सिक्योरिटा का नया चैलेंज

क्विक रिएक्शन टाइम सिर्फ 60 सेकंड

क्विक रिएक्शन टाइम के बारे में सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि चंद सेकंड के भीतर कोई भी संदिग्ध सुरक्षा अधिकारियों के कब्जे में हो सकता है। और किसी भी एक स्पॉट पर पहुँचने के लिए 60 सेकंड का रिएक्शन टाइम रखा गया है। इससे ये अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि किस तरह से दिल्ली के 35 किलोमीटर के दायरे में चप्पे चप्पे पर सुरक्षा का कैसा जबरदस्त इंतजाम है। अगर सुरक्षा सूत्रों से मिली खबरों पर यकीन करें तो करीब दिल्ली और एनसीआर में 50 हजार से ज्यादा सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया और पूरे 100 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 23 पांच सितारा होटलों की 24 घंटे निगरानी की जा रही है। सबसे हैरत करने वाला पहलू ये है कि इन 23 पांच सितारा होटलों के ऊपर के आसमान को नो फ्लाई जोन घोषित कर दिया गया है। कुल जमा एक लाख 30 हजार सुरक्षा कर्मियों के घेरे में रहेगी अगले 72 घंटों तक दिल्ली और एनसीआर का समूचा इलाका। 

दुनिया भर की तमाम सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट पर

अलर्ट मोड पर मिसाइलें

सभी फॉरवर्ड एयरबेस को मिसाइल की मदद से वन अलार्म अलर्ट पर रखा गया है, ताकि किसी भी तरह की हरकत का माकूल जवाब दिया जा सके। पूरे 100 किलोमीटर के दायरे में आसमान में किसी भी प्रकार की हरकत से निपटने के लिए बॉर्डर पर राफेल, जैगुआर और मिग 29 जैसे आधुनिक जैट फाइटर्स के जरिए पेट्रोलिंग का इंतजाम है। 

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भारत मंडपम के अलग अलग जोन

G-20  शिखर सम्मेलन  के ज़्यादातर कार्यक्रम और बैठकें प्रगति मैदान के भारत मंडपम में की जा रही है लेकिन वहां तक पहुँचने के लिए रास्तों को अलग अलग जोन में बांटा गया है। हर जोन में सुरक्षा के लिए अलग अलग कमांडर नियुक्त किए जाते हैं। हर कमांडर विदेशी मेहमानों के सीधे संपर्क में होगा। जिन होटलों में विदेशी मेहमानों को ठहराया गया है, वहां पर होटल के हरेक फ्लोर का प्रोटोकाल अलग है और उस प्रोटोकॉल को फॉलो करने के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया गया है। हर फ्लोर का स्टॉफ अलग है। उनके लिए बाकायदा कार्ड का इंतजाम है और हिदायत ये है कि कोई भी कर्मचारी किसी भी दूसरे फ्लोर पर आ जा नहीं सकता। 

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100 किलोमीटर के दायरे का आसमान सुरक्षा घेरे में

आसमान में तीन लेयर की सिक्योरिटी 

G20 समिट के लिए खासतौर पर 8 से 10 सितंबर तक दिल्ली और उसके आसपास का आसमान भी जमीन की सुरक्षा इंतजाम देख रहे अधिकारियों के कब्जे में होगा और वहां भी तीन लेयर की सिक्योरिटी तय की गई है। गौरतरब ये है कि सभी लेयर इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर से जुड़े होंगे...यानी इन सबका एक कंट्रोल रूम होगा। अब इन तीनों सुरक्षा घेरों को किन किन तीन हिस्सों में बांटा गया है....उसे भी आसानी से समझा जा सकता है...जिनमें लॉन्ग रेंज कवर, मीडियम रेंज कवर और शॉर्ट रेंज कवर शामिल है. 

लॉन्ग रेंज कवर: इस रेंज में फाइटर जेट और लड़ाकू हेलिकॉप्टर को ऑपरेशनल मोड में रेडी प्रीपैरेशन एंड कॉम्बैट एयर पेट्रोल के जरिए अलर्ट पर रखा गया है। सभी फारवर्ड एयर बेस को मिसाइलों की तैनाती है ताकि दिल्ली से 100 किलोमीटर की दूरी पर भी आसमान में कोई हरकत हो तो उससे बखूबी निपटा जा सके। दिल्ली के आसमान पर राफेल, जैगुआर,  मिग29 जैसे आधुनिक फाइटर जेट के जरिये पेट्रोलिंग की जाएगी। 

मीडियम रेंज कवर: G20 के लिए दिल्ली के आसपास के तमाम एयरबेस पर आकाश मिसाइल और पेचोरा मिसाइल तैनात की गई हैं... ताकि 25 से 30 किलोमीटर का दायरा पूरी तरह से सुरक्षा कवच के घेरे में रहे। एयरफोर्स, नेवी और आर्मी ने अपनी एन्टी ड्रोन टेक्नोलॉजी को भी भी तैनात की है.

शॉर्ट रेंज कवर: ये सबसे नाजुक और संवेदनशील घेरा है, लिहाजा इसे IGLA यानी मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम मैन पैड मिसाइल को दिल्ली और आसपास की तमाम लोकेशन को पैनी निगाह के दायरे में रखा जा सके। इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर के जरिए सभी एयरबेस को लाइवफीड से मॉनिटर किया जाएगा। 

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