Atique Ahmed: पुलिसवाले ने बताई अतीक की अनसुनी दास्तान जिसने अतीक और उसके पिता को पहुंचाया था जेल

ADVERTISEMENT

Atique Ahmed: पुलिसवाले ने बताई अतीक की अनसुनी दास्तान जिसने अतीक और उसके पिता को पहुंचाया था जेल
Social Media
social share
google news

Crime News: आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे जांबाज और कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी के बारे में जो अपने पूरी नौकरी के दौरान जहां पर भी रहे अपराधियों के हौसलों को उन्होंने पस्त करने का काम किया है । मऊ जनपद के घोसी कोतवाली थाना क्षेत्र के कसारा गांव के रहने वाले धीरेंद्र राय जो वर्तमान समय में सन 2015 में सीओ के पद पर रहते हुए लखनऊ से रिटायर हुए हैं और इस समय वह गांव में खेतों के बीच अपना छोटा सा घर बनाकर अपनी पत्नी के साथ रह रहे हैं । अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने लगभग साढ़े तीन साल तक प्रयागराज (Prayagraj) में भी नौकरी की है और उन्होंने एक चर्चित हत्याकांड (Murder Case) मामले में अतीक अहमद (Atique Ahmed) और उनके पिता को गिरफ्तार किया था । धीरेंद्र राय (Dhirendra Rai) ने बताया कि 1996 में प्रयागराज के सिविल लाइन इलाके में घटना हुई थी जिसने अशोक साहू नामक युवक की अतीक अहमद के भाई अशरफ ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड की जांच मुझे मिली । इस मामले में मैंने अतीक अहमद और उसके पिता को गिरफ्तार किया था। और दोनों लोग जेल गए थे । बाद में मेरा तबादला सीबीआई में हो गया।

Crime News: धीरेंद्र राय ने बताया कि जब मैं इस केस की जांच कर रहा था तो एक बार अतीक अहमद की तरफ से हमारे घर पर एक फोन आया और उन्होंने कहा कि मैं आपका शुभचिंतक हूं और अतीक अहमद के बारे में मैं आपको कुछ बताना चाहता हूं उस समय रात के 1:30 बज रहे थे। लोगों के द्वारा जिस दुकान से हमारा सामान आता था उस दुकान पर जाकर भी मेरे बेटे के बारे में पूछा था । मुझे मालूम हो गया किन लोगों के द्वारा ये काम किया जा रहा है। न्यायपालिका पर तो इस रिटायर्ड अधिकारी के द्वारा सीधे तौर पर कोई आरोप नहीं लगाया गया लेकिन ये जरूर कहा गया कि एक बार न्यायालय थे थानाध्यक्ष को ये आदेश हुआ कि वो अतीक अहमद के कुर्क किए गए सामान को ले जाकर उसके घर पहुंचाएं । अगर इन पर शुरुआती दौर में ही कार्रवाई की गई होती तो यह आज यहां तक नहीं पहुंचते ।

 इन बदमाशों को पकड़ने के लिए एडीजी कैंप कर रहे हैं इलाहाबाद में जबकि इनको पकड़ने के लिए एक सब-इंस्पेक्टर ही काफी है । अगर अधिकारियों को राजनीतिक दबाव से मुक्त किया जाए तो इस तरह के अतीक पैदा ही नहीं होंगे । पुलिस के अधिकारी भी इनसे मिले रहते थे । मुख्तार और अतीक यह दोनों आपस में इंटरकनेक्टेड हैं और इनकी आपस की अंडरस्टैंडिंग है । 22 जुलाई 2007 को चित्रकूट में ठोकिया नामक बदमाश के एनकाउंटर में मैं एसटीएस की टीम को लेट कर रहा था और रास्ते में आते समय हम लोगों की गाड़ियों पर बदमाश के आदमियों ने फायरिंग की और उसमें हमारे साथ कई लोग मारे गए थे । अतीक अहमद बहुत शातिर किस्म का अपराधी था और उसके कनेक्शन काफी थे ।

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT

    ऐप खोलें ➜