Atiq and Ashraf Killed : अतीक और अशरफ की हत्या के बाद जिंदा हो रहे ये सवाल!
Atiq and Ashraf Killed : अतीक और अशरफ को जिस तरह से पुलिस की सुरक्षा के बीच गोलियों से छलनी कर दिया गया, उसने एक ही झटके में कई सवालों को ज़िंदा कर दिया है..
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पुलिस के घेरे में पुलिस की आंखों के सामने और पुलिस के अंदाज में यूपी के माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद को इतने नज़दीक से गोली मारी गई जितने नजदीक तो किसी का भी इन आरोपियों के पास तक पहुँचना भी मुमकिन नहीं था। यानी तीन हमलावर उस वक्त अशरफ और अतीक के नज़दीक पहुँचते हैं और उनकी कनपटी पर रखकर गोली मार देते हैं और जिस वक़्त दोनों को गोली मारी जा रही थी पुलिस के सिपाही शायद जान के डर से पीछे हटते भी दिखाई दिए। ये सब कुछ हुआ रात के ठीक 10 बजकर 37 मिनट पर। अतीक और अशरफ को जिस तरह से पुलिस के कमजोर घेरे में रखा गया और वहां गोलीकांड हो गया तो जो सवाल खडे़ हुए उनके जवाब कौन देगा।
आखिर इन सवालों का जवाब कौन देगा...
जितनी जबरदस्त सुरक्षा घेरे में अतीक को गुजरात के साबरमती जेल से लाया गया, अतीक और उसके भाई के लिए वैसी सुरक्षा का इंतजाम प्रयागराज में क्यों नहीं किया गया?
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क्या प्रयागराज में अतीक अहमद के लिए पुलिस की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे?
साबरमती से प्रयागराज तक के रास्ते में जिस तरह से अतीक को लेकर पुलिस का अमला सुरक्षा घेरा बनाकर चल रहा था, क्या ठीक वैसा ही बंदोबस्त प्रयागराज में उस वक़्त किया गया जब उन्हें थाने से अस्पताल तक लाजा ले जाया जा रहा था
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पुलिस के बड़े अधिकारियों ने असद और गुलाम के एनकाउंटर करने के पीछे जिस दलील की आड़ ली वो थी कि इन दोनों ने साबरमती से आते वक्त पुलिस के काफिले पर हमला करके अतीक को छुड़ाने की साजिश रच ली थी। ऐसे में पुलिस ने प्रयागराज में अतीक की सुरक्षा घेरे को इतना कमजोर क्यों कर दिया जबकि यहां पर उसके चाहने वाले या उसे छुड़ाने वालों की तादाद शायद ज़्यादा भी हो सकती थी।
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इसके अलावा अतीक की हिफाजत में मौजूद और उस वक़्त अतीक के साथ दिखने वाले पुलिस के सिपाही
उस वक़्त क्यों एक्शन नहीं लेते दिखाई जिस वक़्त अतीक को उसी सुरक्षा घेरे में जाकर गोली मारी जा रही थी और पुलिस के सिपाही हथियारबंद होने के बावजूद हमलावरों को रोकने और उनके हमले के बीच में आने की कोशिश करते नहीं दिखे। पहले गोली अतीक को मारी गई। पुलिस वाले इतने सुस्त थे कि अतीक को गोली मारे जाने के करीब 9 सेकंड के बाद अशरफ की तरफ बंदूक तानी थी। ऐसे में क्या पुलिस का रिएक्शन टाइम सवालों के घेरे में नहीं है। और जब हमलावर गोली चला रहे थे...जैसा आसानी से टीवी मीडिया के कैमरों में कैद हुआ...तब पुलिसवालों ने जवाबी हमला करते हुए हमलावरों को क्यों अपनी गोली का निशाना नहीं बनाया?
इन सवालों ने पूरे घटनाक्रम पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं और लोगों को अपनी अपनी समझ के हिसाब से इस पूरे मामले में कयास लगाने का मौका दे दिया है। जाहिर है पुलिस की मौजूदगी में हुई इस घटना के बाद कई ऐसे सवाल खड़े नज़र आएंगे जिनके सवाल देने से पहले पुलिस के आला अफसरों का हलक सूखेगा तो जरूर।
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