इन सवालों में दफ्न है अतीक और अशरफ की हत्या का पूरा सच!
Atiq and Ashraf Murder Reality : अतीक अहमद और अशरफ को रविवार की रात दफ्न कर दिया गया लेकिन अभी आठ ऐसे सवाल बाहर ज़िंदा खड़े हैं जिन्हें अगर ढंग से टटोला जाए तो हत्याकांड का पूरा सच सामने आ सकता है।
ADVERTISEMENT
Eight Question and the Truth of Atiq and Ashraf Murder: कसारी मसारी कब्रिस्तान की जमीन में दफ्न हो चुके हैं अतीक और अशरफ। लेकिन कॉल्विन अस्पताल के बाहर अब भी अतीक और अशरफ का खून बिखरा हुआ है...वहीं कारतूस के वो खाली खोखे भी पड़े हैं जिन्होंने अतीक की जान ली लेकिन खून और खाली खोखों के बीच कुछ सवाल भी पड़े हुए हैं...जिनके जवाब की तलाश सभी को है।
1)- तीनों हमलावर एक साथ कैसे आए?
अतीक अहमद और अशरफ को मारने वाले हमलावर तीन लोग थे। अरुण मौर्या, लवलेश तिवारी और सन्नी। लेकिन तीनों ही हमलावर तीन अलग अलग शहरों या इलाकों से ताल्लुक रखते हैं। सनी हमीरपुर का रहने वाला है जबकि अरुण उर्फ कालिया कासगंज से ताल्लुक रखता है और लवलेश तिवारी का घर बांदा में है। यानी एक बात जो खटक सकती है वो ये कि आखिर ये तीनों अलग अलग शहर या इलाके के होने के बावजूद अतीक को मारने के एक मकसद से कैसे एक साथ मिले और कैसे मिलकर प्लानिंग की।
ADVERTISEMENT
2)- तीनों ने मिलकर कब, कहां और कैसे प्लानिंग की?
अतीक ही हत्या के बाद जो पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है उसके मुताबिक आरोपियों का कहना है कि वो तीनों अतीक और अशरफ को सिर्फ मारने के इरादे से ही आए थे और पत्रकार बनकर प्रयागराज में दाखिल हुए थे। इसके लिए उन्होंने बाकायदा रेकी भी की लेकिन सही समय न मिल पाने की वजह से वो मार नहीं पा रहे थे। और शनिवार की रात उन्हें अचानक मौका मिला तो उन्होंने मिलकर हत्या कर दी? इस पूरे वाक्य में कहीं भी प्लानिंग का कोई ज़िक्र नहीं है? सवाल उठता है कि वो अतीक जैसे माफिया डॉन को मारने के इरादे से आए थे और वो भी पुलिस के घेरे में तो क्या बस सोचा और कर दिया...इसके लिए उन्होंने कोई ब्लू प्रिंट तैयार नहीं किया था...ये बात ज़रा हजम नहीं होती है?
ADVERTISEMENT
3)- बिना तैयारी नाम कमाने निकले?
ADVERTISEMENT
पुलिस की FIR कहती है कि तीनों लड़कों को नाम कमाने और यूपी में अपना रुतबा कायम करने का जुनून सवार था। इसी लिए इस वारदात को अंजाम दिया। पुलिस की पूछताछ में उन लड़कों ने ये बात भी कुबूल कर ली कि वो डॉन अतीक और अशरफ का सफाया करना चाहते थे क्योंकि ऐसा करने से उनका नाम पूरे प्रदेश की जुर्म की दुनिया में फैल जाएगा और लोग उनके नाम से डर जाएंगे...ये बात भी जरा गले नहीं उतरती...अगर तीनों वाकई जुर्म की दुनिया में नाम कमाने पर आमादा थे तो क्या उन्हें पुलिस के घेरे का भी अंदाजा नहीं था.. अगर सिर्फ जुर्म करना ही उनका मकसद था तो फिर उन लोगों ने पुलिस पर गोली क्यों नहीं चलाई...क्यों फौरन हथियार डालकर खुद को सरेंडर कर दिया। जाहिर है लड़कों का तर्क और दलील बेहद कमजोर और बेबुनियाद सी लगती है जो किसी भी सूरत में हलक से नीचे नहीं उतरती।
4)- इस पूरे हत्याकांड का असली मास्टरमाइंड कौन?
अब सवाल ये है कि इन तीन लड़कों ने अतीक और अशरफ को तो गोली मार दी। लेकिन असल में ये गोली उन तीनों ने किसके इशारे पर चलाई और उन्हें हथियार किसने मुहैया करवाया। क्योंकि पुलिस की एफआईआर में जो जिक्र है वो तो तर्कहीन लगता है लिहाजा ये बड़ा सवाल बनकर खड़ा हो रहा है कि आखिर इस पूरे तमाशे के पीछे का असली वो किसके हाथ हैं जिसकी उंगलियों में फंसी डोर के सहारे चलकर ये तीनों यहां तक पहुँचे।
5)- कैसे सामने आया सुंदर भाटी गैंग का नाम?
एफआईआर कहती है कि अतीक की हत्या में शामिल सन्नी का ताल्लुक हमीरपुर जेल में बंद पश्चिम उत्तर प्रदेश के गैंग्स्टर सुंदर भाटी से था और जेल में रहने के दौरान सन्नी सुंदर भाटी का करीबी हो गया था। लिहाजा जेल से छूटने के बाद वो सुंदर भाटी गैंग के लिए काम करने लगा। और ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि इस हत्याकांड में जिस जिगाना पिस्तौल का जिक्र हो रहा है वो गन भी सुंदर भाटी गैंग से ही मिलने का शक जताया जा रहा है। सवाल यही है कि आखिर सुंदर भाटी सन्नी जैसे छुटभैये की मदद क्यों कर रहा था...क्या सुंदर भाटी की अतीक के साथ कोई पुरानी रंजिश थी या सुंदर भाटी किसी भी सूरत में अतीक को मरवाने की प्लानिंग कर रहा था, इसका कहीं से कोई तार जुड़ता दिखाई नहीं दे रहा?
6)- तीनों कैसे साथ आ गए?
एफआईआर के मुताबिक तीनों हमलावर अतीक को मारकर नाम कमाना चाहते थे...एक बार ये बात किसी भी सूरत में मान भी ली जाए कि सुंदर भाटी ने अपने चेले के तौर पर सनी की मदद कर दी। तो भी बाकी दोनों कहां से आ गए। क्योंकि लवलेश और अरुण मौर्या का तो भाटी के साथ कोई कनेक्शन जुड़ता दिखाई ही नहीं देता...तो फिर ये तिकड़ी कैसे इतना बड़ा कांड करने को राजी हो गई और वो भी इतने नए और आधुनिक हथियारों के साथ?
यहां ये गौर करना जरूरी है कि FIR में तीनों के मिलने और आपस में ताल्लुकात कायम होने का कोई जिक्र नहीं मिलता। इससे ये भी पता नहीं चलता कि ये तीनों आपस में एक दूसरे को कितना जानते हैं कितना तीनों में याराना है और कैसे ये लोग इतनी बड़ी वारदात को करने को एक साथ राजी हो गए।
7)- इतने महंगे और आधुनिक हथियार कहां से कैसे मिले?
अब जरा तीनों के पास से बरामद हथियार पर एक नज़र डाल लीजिए। एक कंट्रीमेड पिस्टल (7.62) यानी देसी जवान में कहें तो कट्टा। एक 9 MM गिरसान पिस्टल, मेड इन टर्की, एक 9 MM जिगाना पिस्टर, मेड इन टर्की। एक दम नौसिखिये और देखने में कमजोर और बेहद लो प्रोफाइल से दिखने वाले तीनों हमलावरों के पास इतने आधुनिक हथियार कैसे पहुँचे...ये सवाल सबसे ज़्यादा खटक रहा है। अगर सन्नी को सुंदर भाटी ने जिगाना पिस्टल दिला दी तो फिर इनके पास मेड इन टर्की गिरसान पिस्टल कहां से मिली। क्योंकि ये पिस्टल भी 6 से 7 लाख रुपये में मिलती है...और इन तीनों की हालत देखकर कहीं से नहीं लगता कि ये लोग इतनी महंगी पिस्टल खरीद भी सकते हैं।
8)- कहीं पैसों के लिए किसी सफेदपोश ने इन्हें सुपारी तो नहीं दी?
तमाम बिखरे सवालों के बीच ये सवाल जरूर जोर लगाता है कि कहीं किसी ने अतीक और अशरफ की हत्या के लिए इन तीनों का इस्तेमाल किया हो और तीनों को बाकायदा सुपारी दी हो तो फिर वो कौन है जिसने इनके भीतर हत्या की चाबी भरी। इस पूरे हत्याकांड का असली मास्टरमाइंड कौन हो सकता है...क्या कोई सफेदपोश जो हमेशा हमेशा के लिए अतीक और अशरफ को खामोश कर देना चाहता हो?
ADVERTISEMENT