नेता के इशारे पर हुई अतीक अहमद और अशरफ की हत्या? सुपारी के पीछे सियासी हाथ होने की ये है चौंकानेवाली वजह
Atiq Ahmad Murder: अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की मौत के बाद दोनों को सुपुर्देखाक कर दिया गया है। लेकिन कई सवाल जिंदा हो गए हैं। और उन्हीं सवालों के बीच एक अंदाजा हरेक की जुबान पर है कि कहीं इस हत्या के पीछे कोई सियासी हाथ तो नहीं, कहीं किसी सियास
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Atiq Ahmad Murder: तमाम बिखरे सवालों के बीच ये सवाल जरूर जोर लगाता है कि कहीं किसी ने अतीक और अशरफ की हत्या के लिए इन तीनों का इस्तेमाल किया हो और तीनों को बाकायदा सुपारी दी हो तो फिर वो कौन है जिसने इनके भीतर हत्या की चाबी भरी। इस पूरे हत्याकांड का असली मास्टरमाइंड कौन हो सकता है...क्या कोई सफेदपोश जो हमेशा हमेशा के लिए अतीक और अशरफ को खामोश कर देना चाहता हो?
माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की लाश को अब दफ्न किया जा चुका है, लेकिन कुछ सवाल ज़रूर ऐसे हैं जो अगरबत्ती के धुएं की तरह चारो तरफ फैल चुके हैं। दोनों की हत्या किसने करवाई अब इस सवाल को सबसे ज़्यादा टटोला जा रहा है। इस सवाल के कई चेहरे हो सकते हैं...मगर आम तौर पर कौन है अतीक और अशरफ की हत्या का मास्टरमाइंड...किसने दी थी अतीक और अशरफ की सुपारी जैसे सवालों के साथ इस हत्याकांड की चर्चा जोरों पर है।
इन्हीं चर्चाओं के बीच कुछ लोग उस सफेदपोश नेता की तलाश में भी जुट गए हैं जिस नेता के संपर्क में होने का जिक्र तब से किया जा रहा था जबसे उमेश पाल की हत्या के बाद से डरा हुआ डॉन अतीक लगातार अपने को बचाने के लिए एक माननीय को फोन करने की फिराक में लगा हुआ था और उनसे बराबर शिकायत भी कर रहा था कि वो क्यों अब कन्नी काटने में लगे हुए हैं।
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इसमें कोई शक नहीं कि सत्ता के गलियारों से अतीक अहमद का पुराना साथ रहा है। वो खुद चार बार का विधायक था तो एक बार सांसद भी रहा। ऐसे में सियासी गलियारों में कई ऐसे सियासतदां हो सकते हैं जिनका राबता अतीक के साथ कभी न कभी किसी न किसी शक्ल में रहा हो...। ऐसे में ये भी माना जा सकता है कि सियासी नेता का माफिया डॉन अतीक अहमद के साथ कोई कारोबारी रिश्ता भी रहा हो...क्योंकि जमीन को हड़कपने और प्रॉपर्टी पर अपनी हनक और धौंस के दम पर कब्जा जमाने का उसका पुराना धंधा तब तक जमकर फला फूला जब तक अतीक पुलिस के शिकंजे में नहीं आ गया था।
वो दौर उत्तर प्रदेश और खासतौर पर प्रयागराज से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में अतीक के नाम का डंका बजता था। उसकी फोन की धमकियों की धमक से ही लोग जमीन छोड़कर खड़े हो जाते थे और उसकी जुर्म की हुकूमत पूरे प्रदेश में चलती थी। ऐसे में अतीक के नजदीकियों में उन तमाम सियासी लोगों का भी नाम रहा होगा जिन्हें अतीक ने किसी न किसी सूरत में फायदा पहुँचाया होगा।
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कुछ अरसा पहले अतीक का साबरमती जेल से किसी नेता को किया गया उसका फोन सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ था। उस नेता के बारे में अभी तक ये खुलासा नहीं सामने आ सका है कि असल में उस आवाज का चेहरा कौन था। वो माननीय किस सियासी पार्टी के थे और वो अतीक की किस तरह से मदद कर सकते थे। इतना ही नहीं। अतीक का जो फोन ऑडियो वायरल हुआ था उससे दो बातें जरूर साफ हो रही थीं कि एक अतीक उनसे अपनी नाराजगी जाहिर कर रहा था, क्योंकि वो उसे न पहचानने का नाटक कर रहे थे और दूसरा वो जिस अंदाज में नेता जी से मुखातिब था उससे यही पता चल रहा था कि दोनों के बीच अच्छी खासी छनती रही होगी।
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लेकिन जिस बात पर शायद बहुतों ने गौर किया हो...नेता जी अतीक के फोन को टालने की फिराग में ज़्यादा थे। यानी वो किसी भी सूरत में नहीं चाहते थे कि अतीक के साथ उनके रिश्तों का खुलासा हो सके। ऐसे में अब अतीक और अशरफ की हत्या के बाद ये बात अंदाजे के तौर पर हवा में तैर रही है कि कहीं उन्हीं माननीय ने तो अतीक और अशरफ का मुंह बंद कराने के लिए अपने किसी साथी या सहयोगी का सहारा लेकर तीन सुपारी किलर्स को अतीक और अशरफ का मर्डर करने का पूरा खाका तैयार किया हो?
यानी सीधी सादी जुबान में कहा जाए तो अतीक और अशरफ की हत्या के पीछे किसी सियासी रसूख वाले का तो कोई हाथ नहीं। उस सियासी नेता ने अपना नाम उजागर होने से बचाने के लिए हमेशा हमेशा के लिए उस माफिया डॉन का मुंह बंद करवा दिया जो अब पुलिस के सामने मुंह खोलने लगा था। क्योंकि ये बात दबी छुपी जुबान में ही सही लेकिन कही तो जा ही रही है कि अतीक ने अपने दौर में न जाने कितने नेताओं का काल धन सफेद किया है। या वो कई नेताओं और मंत्रियों के काले कारनामों का गवाह रहा है।
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