सेना की ही जमीन का भूमाफिया ने कर दिया इतने करोड़ में सौदा, जैसे ही मामला खुला तो दौड़ने लगे अफसर

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गाजियाबाद में भूमाफिया ने कर दिया सेना की जमीन का सौदा
गाजियाबाद में भूमाफिया ने कर दिया सेना की जमीन का सौदा
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army land sell by builders: देश की राजधानी दिल्ली से महज 10 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में भूमाफिया ने सेना और सरकार दोनों को सरेआम चूना लगा दिया और सेना की जमीन को सरेआम बेच भी दिया। और इस वारदात का सबसे हैरतअंगेज पहलू ये है कि भूमाफियाओं की इस हरकत का पता अधिकारियों को तब लगा जब जमीन का सौदा हो गया। 

खसरा नंबर 529

गाजियाबाद तहसील में खसरा नंबर 529 का नाम सेना की जमीन के तौर पर दर्ज है। इस जमीन का मालिकाना हक रक्षा मंत्रालय के तहत सैन्य रायफल रेंज के नाम पर चढ़ा हुआहै। लेकिन करीब दस महीने पहले इस जमीन का सौदा हो गया। और सौदा भी हुआ 10.59 करोड़ रुपये में। मगर सेना की जमीन खुलेआम बेची जा रही थी और रक्षा मंत्रालय में किसी को इसके बारे में भनक तक नहीं लगी। 

सेना की जमीन और दस का फेर

ये मामला उस वक़्त सामने आया जब इसके बारे में गाजियाबाद के जिलाधिकारी को इसकी खबर लगी। डीएम ने खबर मिलते ही लेखपाल और एसडीएम से इस मामले की तहकीकात कराई तो सारा सच सामने आ गया। क्या अजीब इत्तेफाक और दस के आंकड़े का फेर है कि दस करोड़ में जमीन का ये सौदा दस महीने पहले हुआ था और लेखपाल और एसडीएम ने सिर्फ 10 घंटे की तहकीकात में सारा सच पता कर लिया। जब सारा सच सामने आ गया तो सब रजिस्ट्रार की तरफ से ये मामला सिहानी गेट थाने में दर्ज कराया गया। 

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सेना की खाली जमीन 

सच्चाई ये है कि गाजियाबाद के विजय नगर इलाके में सेना की ढेर सारी जमीन खाली पड़ी है। लेकिन उसी जमीन के सामने सड़क के दूसरी तरफ घनी आबादी है। इसी बीच मिर्जापुर की खसरा नंबर 529 के नाम सैन्य रायफल रेंज की सेना की जमीन को फर्जी तरीके से बेचने की साज़िश रची गई। इसी जमीन के एक टुकड़े यानी करीब 18, 710 वर्ग मीटर की जमीन का सौदा कर दिया गया। यानी इस जमीन को मोहन नगर के रहने वाले मजीद नाम के शख्स ने जस्सीपुरा गाजियाबाद के रहने वाले समीर मलिक को बेचने के लिए सौदा कर लिया। समीर मलिक असल में सेमटेक एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर भी हैं। ये सौदा 10 करोड़ 50 लाख में हुआ था। और इस जमीन का बैनामा सदर तहसील के सब रजिस्ट्रार के यहां कराया गया था। 

बैनामे में फर्जीवाड़ा

बैनामा करवाते समय इस जमीन के आस पास सब कुछ खाली बताया गया था। सिवाय सड़क को छोड़कर। मजीद ने सब रजिस्ट्रार के यहां जिस खसरा नंबर 529 को खाली जमीन बताया जबकि उसी खसरे में आबादी का जिक्र है। लेकिन बैनामे में इसका कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया था। यानी कागजों में हेराफेरी कुछ इस तरह की गई कि जमीन खाली दिखाकर उसका सौदा कर लिया गया। अब इस मामले में जमीन का सौदा करने वाले और उसको खरीदने वाले दोनों ही गाजियाबाद के रहने वाले हैं। मगर इस जमीन को खरीदने के लिए लोन फरीदाबाद के एक निजी बैंक से लिया गया। और रूपयों का सारा भुगतान NEFT और आरटीजीएस जैसी सुविधाओं से किया गया। 

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एक गलती से खुल गया भांडा

सारी कहानी सेट हो गई थी लेकिन तभी इसमें एक लोचा हो गया और मामला खुल गया। असल में इस जमीन के खरीदार ने इसी जमीन को बेचने के लिए किसी दूसरे डीलर को दिखाई और उसकी रजिस्ट्री कराने की बात भी कर दी। बस यहीं से मामला खुल गया। 

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