अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के पीछे कहीं ये खेल तो नहीं!

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अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के पीछे कहीं ये खेल तो नहीं!
अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी ने कई सवालों को जन्म दिया
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वारिस पंजाब दे का सरगना अमृतपाल सिंह पंजाब पुलिस को पिछले 36 दिनों से छका रहा था...जिस अमृतपाल सिंह की परछाईं तक पुलिस को ढूंढ़े नहीं मिल पा रही थी...उसका यूं अचानक पुलिस के शिकंजे में आना और खुद को कानून के हवाले करना ये बात कई सवालों को जन्म दे देती है। 
बकौल पुलिस अमृतपाल सिंह के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत केस दर्ज हैं। उसे पंजाब पुलिस और इंटेलिजेंस यानी खुफिया एजेंसियों के मिले जुले ऑपरेशन के तहत गिरफ्तार किया गया है। इतना ही नहीं पंजाब में किसी भी तरह के उपद्रव से बचने के लिए पुलिस ने उसे पंजाब से 2500 किलोमीटर दूर असम के डिब्रूगढ़ जेल भेजा गया है। 
यहां तक तो बात समझ में आती है...लेकिन सब कुछ इतना सीधा तो नहीं है जितने पुलिस इसे दिखाने की कोशिश कर रही है। कहीं अमृतपाल सिंह का यूं अचानक गिरफ्तार होना किसी बड़ी प्लानिंग का हिस्सा तो नहीं...कहीं ये कोई ऐसी गहरी साज़िश है जिससे समझने में देरी लग रही हो? आखिर अमृतपाल जो भगोड़ा होने से पहले ही पंजाब की हद से बाहर निकल चुका था...उसने खुद को कानून के हवाले करने के लिए भिंडरवाले का गांव ही क्यों चुना...?
ऐसे अनगिनत सवाल हैं जो अब भी वारिस पंजाब दे के सरगना की गिरफ्तारी के बाद से ही उठने शुरू हो गए हैं। 

फरारी के दौरान अमृतपाल सिंह और पप्पलप्रीत सिंह ने जमकर पुलिस को छकाया था


इन सवालों की तह तक जाने के लिए हमें एक बार फिर से अमृतपाल सिंह के अतीत में झांकना होगा। अमृतपाल सिंह वारिस पंजाब दे संगठन का सरगना है। और ज़्यादा नहीं करीब पांच से छह महीने पहले ही उसने इस संगठन की कमान संभाली थी। वैसे अमृतपाल सिंह का ताल्लुक अमृतसर के जंडुपुर खेड़ा गांव से है और बताते हैं कि 2012 से पहले ही अमृतपाल सिंह का पूरा परिवार दुबई चला गया था और वहां अमृतपाल अपने घरवालों और पप्पलप्रीत सिंह के साथ मिलकर ट्रांसपोर्ट के कारोबार में लगा हुआ था। चश्मदीदों के मुताबिक साल 2022 के अगस्त में अमृतपाल सिंह अकेला ही पंजाब आया था। और अक्टूबर के महीने में अमृतपाल सिंह पहली बार उस वक़्त सुर्खियों में आया जब उसने जरनैल सिंह भिंडरवाले के गांव रोडे में जाकर वारिस पंजाब दे संगठन के नए मुखिया के तौर पर गद्दी संभाली। असल में ये संगठन पहले से ही खुफिया एजेंसियों के रडार पर इसलिए भी था क्योंकि दिल्ली में हुए किसान आंदोलन के दौरान ही दिल्ली हिंसा का आरोपी दीप सिद्धू ने इस संगठन को तैयार किया था। इस संगठन के मुखिया की गद्दी को संभालने के दौरान ही अमृतपाल सिंह ने एक ऐसी बात कही थी जिसकी वजह से खुफिया एजेंसियां सतर्क हो गई थीं। उसने कहा था कि वो जरनैल सिंह भिंडरवाले को मानने वाला है और सिख नौजवानों को अब अगली जंग के लिए तैयार रहना चाहिए। 
खुलासा ये है कि दीप सिद्धू से भी पहले दुबई में अमृतपाल सिंह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के रडार पर आ गया था। और वहीं उसने खालिस्तान जैसे कट्टर उग्रवादी संगठन की विचारधारा का पाठ पढ़ लिया था। मगर अमृतपाल सिंह इसी साल फरवरी के महीने में उस वक्त अचानक सुर्खियों में छा गया जब उसने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धमकी दे डाली थी।
लेकिन बात अब भी जस की तस है कि आखिर अमृतपाल सिंह इस तरह अचानक कानून के शिकंजे में कैसे आ गया। कानून को समझने और पुलिस के अलग अलग पहलुओं को समझने वाले जानकारों की मानें तो इसे अमृतपाल सिंह की पत्नी किरणदीप कौर की गिरफ्तारी और फिर उसे उसकी ससुराल भेजने से जोड़कर देखे जाने की जरूरत है। क्योंकि तभी इसका सिरा मिल सकता है कि हो न हो ये सब कुछ किसी गहरी साज़िश और बड़ी चाल का हिस्सा हो सकता है। 
पंजाब के रिटायर्ज आईपीएस की बातों पर यकीन किया जाए तो जिस अंदाज में अमृतपाल सिंह क़ानून के शिकंजे में आया उससे ये तो साफ हो जाता है कि पंजाब पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए कोई पसीना नहीं बहाया बल्कि ये सब कुछ पहले से तय स्क्रिप्ट जैसा महसूस हो रहा है। 


रिटायर्ड पुलिस अफसर की बातों पर गौर किया जाए तो जिस अमृतपाल को तलाश करने के लिए पुलिस लगातार पंजाब का चप्पा चप्पा छान रही थी तो फिर अचानक भगोड़ा अमृतपाल कैसे भिंडरवाले के गांव पहुँच गया और उसके सामने आने के कुछ ही देर बाद पुलिस भी उसके पास पहुँच गई। यहां इस पूरी स्क्रिप्ट में सवाल खड़ा होता है कि क्या कहीं ये किसी बड़ी साज़िश का हिस्सा तो नहीं। क्योंकि 20 अप्रैल को ही अमृतपाल सिंह की पत्नी को गिरफ्तार किया गया। किरणदीप कौर भारत छोडकर लंदन जाने की फिराक में थी। लेकिन पुलिस ने उसे पकड़ लिया और बाद में ज़मानत पर छोड़कर उसे ससुराल भेज दिया गया। ऐसे में एक संभावना ये भी है कि मुमकिन है कि अमृतपाल सिंह ने अपनी पत्नी और अपने परिवार के लोगों की तरफ से ध्यान हटाने की गरज से खुद को क़ानून के हवाले करवा दिया हो। ताकि पुलिस का शिकंजा उसकी पत्नी की तरफ से ढीला हो और वो भारत से निकलकर लंदन चली जाए और फिर वहां से अमृतपाल सिंह की मदद की जा सके। 

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अमृतपाल गिरफ्तारी में कही  किरणदीप के साथ कोई गहरी साजिश तो नहीं


ऐसे में एक सवाल जरूर झकझोरता है कि अगर अमृतपाल सिंह खुद को वाकई कानून के हवाले करना ही चाहता था तो फिर उसने भिंडरवाले का गांव ही क्यों चुना? पंजाब पर गहरी पकड़ रखने वाले और वहां के सारे सामाजिक ताने बाने की परख रखने वाले सीनियर जर्नलिस्टों का कहना है कि भिंडरवाले के गांव तक जाना और वहां के गुरुद्वारे से खुद को कानून के हवाले करने के पीछे भी एक बड़ी चाल हो सकती है क्योंकि आज भी पंजाब में जरनैल सिंह भिंडरवाले की बड़ी इज्जत है। पंजाब में लोगों ने कभी भी उसे विलेन नहीं माना ऐसे में खुद को भिंडरवाले की परछाई बताना और साबित करना अमृतपाल सिंह के लिए बड़ी फायदेमंद साबित हो सकती है क्योंकि इससे उसे लोगों की भावनाएं से जुड़ने का मौका मिल सकता है। और यही बात उसके हक में जाती महसूस होती है क्योंकि इसके जरिए वो जब चाहेगा तब वहां के लोगों को अपने हक में भड़का भी सकता है। 
 

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