देखा है दुनिया में इतना बड़ा ताला, जिसके सामने अमिताभ बच्चन भी बौने हो जाएं, तालों का महाबली

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अलीगढ़ में बबलू ख़ान और सुरभि तिवारी के साथ गोपाल शुक्ल की रिपोर्ट

Crime tak Special: तालों में ताला शर्माजी का ताला। ऐसा ताला जो तालों की जमात में महाबली खली जैसी हैसियत रखता है। कद इतना ऊंचा कि उसके सामने खड़े होकर अमिताभ बच्चन खुद को बौना महसूस करें। और काठी इतनी चौड़ी कि महाभारत के तीन भीम एक साथ मिल जाएँ तो भी उसकी बराबरी न कर पाएं।

अलीगढ़ में बना ये ऐसा अनोखा ताला है जिसने अपनी कद काठी की वजह से सिर्फ अलीगढ़ ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सबसे अलग और जुदा पहचान बना ली है। तालों की जमात का ये खली इस वक़्त दुनिया भर की सुर्खियों में छाया हुआ है। और अगर शर्माजी की बातों पर यक़ीन करें तो आने वाले वक़्त में इस खली का भी बड़ा भाई यानी तालों का महाबली बनाकर तैयार कर देंगे।

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अलीगढ़ के तालों का 'दादा'

Crime tak Special: इस वक़्त जो ताला अलीगढ़ के ताला नगरी का दादा बन गया है चलिए उससे अच्छी तरह आपका तार्रुफ करवाए देते हैं। शर्मा जी ने जिस ताले को बनाकर अपने सपनों को नया आसमान देने का इरादा किया है, उसकी लंबाई पूरे 10 फुट है जबकि इसकी चौड़ाई चार फुट साढ़े छह इंच है।

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लेकिन इसका वज़न अपने आप में चौंकाने वाला है। ये क़रीब चार कुंतल यानी पूरे 400 किलो वजनी है। यानी अगर ग़लती से भी ये किसी के ऊपर गिर जाए तो उसकी सांसों की रफ़्तार पर हमेशा हमेशा के लिए ताला लग जाए।दुनिया के इस सबसे बड़े ताले में 10 लीवर लगाए गए हैं। एक एक लीवर छह किलो पीतल से ढालकर बनाया गया है।

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आखिर इतने बड़े तालो को बनाया किसने और क्यों?

Crime tak Special: अलीगढ़ की ज्वालापुरी कॉलोनी में रहने वाले 65 साल के सत्यप्रकाश शर्मा और उनकी पत्नी रुक्मणी देवी ने इस ताले को बनाया है। यूं तो ताा बनाना सत्यप्रकाश शर्मा का ख़ानदानी पेशा रहा है। लेकिन इस खली ताले को बनाने के पीछे उन्होंने दो अलग अलग वजह बताईं।

बकौल सत्यप्रकाश शर्मा जी, इस भारी भरकम खली टाइप का ताला बनाने के पीछे एक बड़ी वजह ये है कि उन्होंने कुछ अरसा पहले अलीगढ़ की नुमाइश के लिए एक छह फुट ऊंचा ताला बनाया था, जिसको देखने के बाद पूरे मुल्क़ से उनके पास इस बात की गुज़ारिश आई थी, कि आपको राममंदिर के लिए ताला बनाना चाहिए।

खली ताला बनाने की ये थी सबसे बड़ी वजह

Crime tak Special: इसके अलावा दूसरी जो बड़ी वजह सत्यप्रकाश शर्मा जी ने बताई कि वो जहां पहले जिस कंपनी के लिए ताला बनाते थे उन्होंने ही कुछ अलग और बड़ा करने के लिए प्रेरित किया। लिहाजा उन्हें और कुछ बड़ा समझ में नहीं आया तो एक बड़ा ताला बनाकर रख दिया...जो आज की तारीख में दुनिया का सबसे बड़ा ताला बन चुका है।

सचमुच इस खली टाइप के ताले को बनाने में सत्यप्रकाश शर्मा और उनकी पत्नी रुकमणी देवी ने अपनी जिंदगी भर की सारी कमाई लगा दी है ताकि वो इस ताले की बदौलत अपना और अपने वतन का नाम पूरी दुनिया में रौशन कर सकें।

तक़लीफ़ों भरा रहा ताला बनाने का सफ़र

Crime tak Special: प्रकाश शर्मा को इस ताले को तैयार करने में न जाने कितनी तकलीफों का सामना करना पड़ा। अभी तक इस ताले को बनाने में सत्यप्रकाश शर्मा अपनी जीवन भर की कमाई से क़रीब डेढ़ लाख रुपये लगा चुके हैं। जबकि इसे अभी अंतिम रूप देने में अभी भी उन्हें डेढ़ लाख रुपये की और ज़रूरत पड़ेगी। उसके बाद ही इस ताले को वो ट्रक पर लादकर अयोध्या के राम मंदिर के म्यूज़ियम तक पहुँचा पाएंगे।

कमज़ोर आर्थिक हालत की वजह से सत्यप्रकाश शर्मा जी के पास इस ताले को रखने के लिए भी घर में जगह नहीं है इसीलिए उन्होंने इस ताले को घर के बाहर गली में रख दिया है। शर्मा जी निश्चिंच शायद इसलिए हैं कि कोई इस ताले को चुरा कर भी नहीं ले कर जा सकता।

इंतज़ार कर रहा है इससे भी बड़ा सपना

Crime tak Special: सत्य प्रकाश शर्मा अपने सपने के बारे में बताते बताते भावुक हो जाते हैं...उनका कहना है कि अब इस ताले को पूरा करने के बाद एक 15 फुट ऊंचा और क़रीब आठ फुट चौड़ा ताला दिल्ली के लिए तैयार करना चाहते हैं जिसका काम शायद अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस बार होली के बाद शुरू भी कर देंगे।

वैसे सत्यप्रकाश शर्मा ने इस ताले का डिज़ाइन एक साधारण अलीगढ़ी ताले के तौर पर ही किया था। सत्य प्रकाश शर्मा का परिवार बीते सौ सालों से ताला बनाने का कारोबार से जुड़ा रहा है। ऐसे में अपने इस खानदानी पेशे को एक नई पहचान देने की गरज से उन्होंने इस महाबली खली ताले को तैयार करने का इरादा किया और इसे तैयार करके पूरी दुनिया में शोहरत कमा ली है।

गिनीज़ बुक में नाम दर्ज कराने का सपना

Crime tak Special: खुद सत्य प्रकाश शर्मा का कहना है कि उन्हें इस ताले को तैयार करने में पूरे एक साल से ज़्यादा का वक़्त लग गया। लेकिन सत्य प्रकाश शर्मा से ज़्यादा इस ताले से जुड़ा उनकी पत्नी रुक्मणी देवी का क़िस्सा है, जो अपने पति को ताले में जूझता हुआ देखकर ताला बनाना सीख गईं और फिर सत्यप्रकाश के साथ मिलकर इस ताले को तैयार करने का काम में जुट गईं थीं।

इस तालों के बाहुबलि को तैयार करने वाले सत्यप्रकाश शर्मा का एक और सपना है। जिंदगी भर जिस ताले को बनाकर उन्होंने अपना परिवार को पाला पोसा उसी ताले की दुनिया में वो एक ऐसा भीमकाय ताला बनाना चाहते हैं ताकि उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो जाए।

हालांकि ये ताला अभी भी अलीगढ़ में ही मौजूद है जिसकी चाबी भी खुद रुक्मणी देवी के पास है, जिसका वजन भी 30 किलो से ज़्यादा है। हालांकि कहते हैं कि ताले किसी भी चीज़ को कहीं भी क़ैद कर देते हैं लेकिन ये शायद दुनिया का इकलौता ऐसा ताला है जिसकी शोहरत बेधड़क होकर पूरी दुनिया में घूम रही है। ज़ाहिर है खली की तरह अब ये ताला भी पूरी दुनिया में अपने नाम की धाक जमाने में कामयाब हो सकता है।

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