'अब मैं किसी को भी जिंदा नहीं छोड़ूंगा, ऐसा कहते हुए अक्षय ने हमारी तरफ दो गोलियाँ चलाईं थी', आरोपी अक्षय शिंदे पर गोली चलाने वाले अधिकारी ने बताया कि वैन में क्या हुआ था?
Akshay Shinde Encounter Latest News Updates: स्कूल में दो बच्ची से यौन शोषण का आरोपी अक्षय शिंदे मुठभेड़ में मारा गया। आखिरी वक्त में ऐसा क्या हुआ था कि पुलिस अधिकारी ने अक्षय पर गोली चला दी। अब इसको लेकर खुलासा हुआ है। पुलिस इंस्पेक्टर संजय शिंदे ने पूरी कहानी बयां की है।
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न्यूज़ हाइलाइट्स
अक्षय शिंदे ने तान दी थी पिस्तौल
इंस्पेक्टर संजय शिंदे ने दिया बयान
पुलिस ने रिकॉर्ड किया बयान
Maharashtra News : 'अक्षय शिंदे ने पिस्तौल लेकर जोर से चिल्लाते हुए कहा कि अब मैं किसी को भी जिंदा नहीं छोड़ूंगा और उसने अचानक हवलदार हरीश तावडे़ की ओर पिस्तौल तानकर जान से मारने के इरादे से दो गोलियाँ चलाईं, लेकिन सौभाग्य से वे गोलियाँ हमें नहीं लगीं। अपने सहयोगियों की सुरक्षा के लिए मैंने अपनी पिस्तौल से अक्षय की ओर एक गोली चलाई, जिससे वह घायल हो गया और नीचे गिर पड़ा और उसके हाथ से पिस्तौल छूट गई।', ये कहना है इंस्पेक्टर संजय शिंदे (Sanjay Shinde) का, जिन्होंने अक्षय पर गोली चलाई थी।
बदलापुर में बच्चियों के साथ यौन शोषण के आरोपी अक्षय शिंदे मुठभेड़ में मारा गया। वैन में आखिरी वक्त में क्या हुआ था, ये जानकारी दी है इंस्पेक्टर संजय शिंदे ने।
इंस्पेक्टर संजय शिंदे का बयान
कल लगभग शाम साढ़े 5 बजे के आसपास तलोजा जेल से आरोपी अक्षय शिंदे को हिरासत में लेने के बाद हम उसे लेकर ठाणे स्थित गणेशा के-1 कार्यालय जा रहे थे। उस समय मेरे साथ सहायक पुलिस निरीक्षक निलेश मोरे, पुलिस हवलदार अभिजीत मोरे और हरीश तावडे़ भी थे। वैन में पीछे अक्षय शिंदे के साथ एपीआई निलेश मोरे, हवलदार अभिजीत मोरे और हरीश तावडे़ बैठे थे और मैं ड्राइवर के बगल में बैठा था। जब वैन शील डाकघर के पास पहुंची तो मुझे सहायक पुलिस निरीक्षक निलेश मोरे का फोन आया, जिन्होंने मुझे बताया कि अक्षय शिंदे जोर-जोर से चिल्ला रहा है।
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इसके बाद मैंने गाड़ी रोकी और पीछे जाकर बैठा। मेरे सामने की सीट पर सहायक पुलिस निरीक्षक निलेश मोरे, उनके बगल में आरोपी अक्षय शिंदे और उसके बाद पुलिस हवलदार अभिजीत मोरे बैठे थे। मैंने अक्षय को शांत करने की कोशिश की, लेकिन वह गाली-गलौज कर रहा था। इसी बीच जब हमारी गाड़ी मुंबई के वाय जंक्शन ब्रिज पर पहुंची, तब करीब शाम सवा 6 बजे अक्षय शिंदे ने अचानक सहायक पुलिस निरीक्षक निलेश मोरे के कमर की पैंट में लगी हुई सरकारी पिस्टल छीनने की कोशिश करने लगा। वह चिल्ला रहा था - मुझे जाने दो।
इस संघर्ष में निलेश मोरे की पिस्तौल लोड हो गई और एक गोली उनके बाएं पैर में लग गई, जिससे वे नीचे गिर गए। अक्षय शिंदे ने पिस्तौल लेकर जोर से चिल्लाते हुए कहा कि अब मैं किसी को भी जिंदा नहीं छोड़ूंगा और उसने अचानक हवलदार हरीश तावडे़ की ओर पिस्तौल तानकर जान से मारने के इरादे से दो गोलियाँ चलाईं, लेकिन सौभाग्य से वे गोलियाँ हमें नहीं लगीं। अक्षय के इस उग्र रूप और उसके इरादों को देखकर हमें पूरा यकीन हो गया कि वह हमें जान से मारने वाला है, इसलिए अपने और अपने सहयोगियों की सुरक्षा के लिए मैंने अपनी पिस्तौल से अक्षय की ओर एक गोली चलाई, जिससे वह घायल हो गया और नीचे गिर पड़ा और उसके हाथ से पिस्तौल छूट गई।
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इसके बाद हमने आरोपी अक्षय शिंदे पर काबू पाया और ड्राइवर को गाड़ी लेकर पास के छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल, कलवा पहुंचने का निर्देश दिया। वहां मैंने आरोपी अक्षय शिंदे और सहायक पुलिस निरीक्षक निलेश मोरे को उपचार के लिए भर्ती कराया। डॉक्टरों ने इलाज शुरू कर दिया, लेकिन मुझे बाद में पता चला कि आरोपी अक्षय शिंदे को अस्पताल में भर्ती करने से पहले ही मौत हो गई थी।
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