तालिबान लोगों की सुरक्षा करे : UNSC अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से पैदा हुए हालात पर हुई आपात बैठक
Afghan crisis: Broader representation must, says India
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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से पैदा हुए हालात पर एक आपात बैठक की। बीते एक हफ्ते में सुरक्षा परिषद की यह दूसरी बैठक थी। बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि मैं सभी पक्षों खासकर तालिबान से गुजारिश करता हूं कि वे लोगों के जीवन की रक्षा करने के लिए संयम बरतें और मानवीय जरूरतों को पूरा करना सुनिश्चित करें। भारत ने भी अपना पक्ष रखा। भारत की तरफ से कहा गया कि हम उम्मीद करते हैं कि हालात जल्द सामान्य हो जाएंगे और संबंधित पार्टियां मानवीय और सुरक्षा मसले का हल निकालेंगी।
गुटेरस ने याद दिलाए दायित्व
अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में जारी संघर्ष ने हजारों लोगों को घर छोड़ने को मजबूर कर दिया है। मैं सभी पक्षों को नागरिकों की रक्षा के लिए उनके दायित्वों की याद दिलाता हूं। एंटोनियो गुटेरस ने कहा- ''मैं सभी देशों से शरणार्थियों को स्वीकार करने की अपील करता हूं।'' अफगानिस्तान में वैश्विक आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए पूरी दुनिया को एकजुट होना होगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होना होगा कि अफगानिस्तान को दोबारा कभी आतंकवादी संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनने दिया जाएगा। मैं सभी पक्षों को अफगानिस्तान के नागरिकों की रक्षा के लिए उनके दायित्वों की याद दिलाता हूं।
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अफगानिस्तान में लोगों में दहशत- भारत
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा अफगानिस्तान के पड़ोसी और यहां के लोगों के दोस्त होने के नाते भारत अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर चिंतित है। अफगानिस्तान के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों में लगातार दहशत का मौहाल है। वे लोग अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित है। हर कोई अफगानिस्तान में लोगों के अधिकारों के बढ़ते हनन को लेकर चिंतित है। अफगानी लोगों में चिंता है कि क्या वह अपने अधिकारों और सम्मान के साथ वहां रह पाएंगे। भारत की तरफ से कहा गया कि हम उम्मीद करते हैं कि हालात जल्द सामान्य हो जाएंगे और संबंधित पार्टियां मानवीय और सुरक्षा मसले का हल निकालेंगी। भारत ने अफगानिस्तान में काफी निवेश किया है। बीते सालों में अफगानिस्तान में विद्युत, पानी, रोड, स्वास्थ्य, शिक्षा, निर्माण और कृषि क्षेत्रों में अफगानिस्तान के मदद के लिए भारत ने कई परियोजनाएं शुरू की हैं। मौजूदा संकट से पहले भारत अफगानिस्तान के सभी 34 प्रांतों में विकास कार्यों पर काम कर रहा था।
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मानवाधिकारों की रक्षा हो : UNSC
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बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक स्वर में बोलना चाहिए। मैं तालिबान और सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और सभी व्यक्तियों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करने का आह्वान करता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि हमें पूरे अफगानिस्तान से मानवाधिकारों पर प्रतिबंधों की चौंकाने वाली रिपोर्टें मिल रही हैं। मैं विशेष रूप से अफगानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ते मानवाधिकारों के उल्लंघन से चिंतित हूं जो तालिबान राज के काले दिनों की वापसी से डरते हैं।
अफगानिस्तान के राजदूत ने कहा - अफगानिस्तान के लोग भय में जी रहे हैं
वहीं संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि गुलाम एम इसाकजई ने कहा कि आज मैं अफगानिस्तान के लाखों लोगों की ओर से बोल रहा हूं। मैं उन लाखों अफगान लड़कियों और महिलाओं की बात कर रहा हूं, जो स्कूल जाने और राजनीतिक-आर्थिक और सामाजिक जीवन में भाग लेने की स्वतंत्रता खोने वाली हैं। तालिबान दोहा और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर किए गए अपने वादों और प्रतिबद्धताओं का सम्मान नहीं कर रहा है। आज अफगानिस्तान के लोग भय में जी रहे हैं।
अमेरिका ने क्या कहा
वहीं संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि हमें इस बात की गहरी चिंता है कि संकट में फंसे लोगों को किसी तरह की सहायता नहीं मिल रही है। विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत 500 टन से अधिक सहायता सीमा पर फंसी है। यह सहायता वितरण तुरंत फिर से शुरू होनी चाहिए। हम अफगानिस्तान के पड़ोसियों और अन्य देशों से अफगान लोगों को शरण देने की गुजारिश करते हैं।
एकजुट होने की अपील
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने यह भी कहा कि मैं यूएनएससी और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से एक साथ खड़े होने और एक साथ काम करने की गुजारिश करता हूं। सभी राष्ट्र अफगानिस्तान में वैश्विक आतंकी खतरे को दबाने के लिए उपायों का इस्तेमाल करें और सुनिश्चित करें कि बुनियादी मानवाधिकारों का सम्मान किया जाएगा।
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