तीन दिन तक आंगन में पड़ा सड़ता रहा पिता का शव, USA और बेंगलुरू में रहने वाले बेटों को भनक तक नहीं लगी

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तीन दिन तक आंगन में पड़ा सड़ता रहा पिता का शव, USA और बेंगलुरू में रहने वाले बेटों को भनक तक नहीं लगी
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Kannauj, UP: हर मां बाप की तमन्ना होती है कि उनकी औलाद कामयाब हो और पूरी दुनिया में नाम कमाए। लेकिन हर मां बाप की ये भी हसरत होती है कि उनकी जिंदगी के आखिरी पलों में उन्हें उनकी औलाद के हाथों का सहारा मिले और जब मौत आए तो उनकी औलाद के ही कंधे पर वो अपनी आखिरी यात्रा पूरी करें। कुछ खुशनसीब मां बाप की ये चाहत पूरी हो जाती है मगर कुछ बदनसीब मां बाप ऐसे भी होते हैं जिनकी मौत लावारिस होती है। यूपी के कन्नौज से एक ऐसा ही दर्दनाक वाकया सामने आया जिससे देखने के बाद हर किसी के मुंह से यही निकला कि ऐसी मौत किसी को न मिले। 

तीन दिन तक आंगन में सड़ता रहा शव

यूपी के कन्नौज में 75 साल के एक बुजुर्ग का शव उनके ही मकान के आंगन में तीन दिन तक पड़ा सड़ता रहा। उनके मरने की खबर न तो उनके बेटों तक पहुँची और न ही किसी रिश्तेदार को उनकी मौत का पता लगा। पता तब चला जब बदबू से परेशान होकर पड़ोसियों ने पुलिस को बुलाया। मौके पर पहुंची पुलिस दीवार फांदकर मकान के भीतर दाखिल हुई तो जो मंज़र उसके सामने था उसे देखकर खुद पुलिस के होश गुम हो गए। गर्मी की वजह से आंगन में पड़ी लाश पूरी तरह सड़ चुकी थी। लाश मिलने के बाद पुलिस ने पहले तो सरकारी फर्ज अदायगी पूरी की, उसके बाद लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज कर उनके बेटों को इत्तेला दी जिनमें से एक सात समंतर पार अमेरिका में रहता है और दूसरा हिन्दुस्तान के साइबर सिटी बेंगलुरू में अपनी मां के साथ। 

कई बरसों से अकेले रह रहे थे बुजुर्ग

मरने वाले बुजुर्ग का नाम अरुण कुमार मिश्रा है। खुलासा हुआ है कि अरुण कानपुर की एक फैक्ट्री में काम करते थे। मगर रिटायरमेंट के बाद वो कन्नौज में ही अपने पैतृक घर में रहने लगे। आस पड़ोस के लोगों से पुलिस को पता चला है कि बुजुर्ग पिछले कई बरसों से घर में अकेले ही रह रहे थे। पता यही चला कि उनकी पत्नी बेंगलुरु वाले बेटे के साथ रहती हैं जबकि दूसरा बेटा अपने बीवी बच्चों के साथ अमेरिका में रह रहा है। 

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एक बेटे अमेरिका में दूसरा बेंगलुरू में

कन्नौज के सदर कोतवाली इलाके में मोहल्ला ग्वाल मैदान में अरुण कुमार मिश्रा बीते छह साल से अकेले ही रह रहे थे। उनका बड़ा बेटा प्रद्युम्न अमेरिका में नौकरी करता है और वहीं रह रहा है। जबकि, छोटा बेटा अक्षत बेंगलुरु में एक निजी कंपनी में जॉब करता है। अरुण की पत्नी रेखा देवी अपने छोटे बेटे अक्षत के साथ बेंगलुरु में ही रह रही थीं। 

दीवार फांदकर भीतर घुसी पुलिस

बीते बुधवार को अरुण मिश्रा की डेड बॉडी घर के आंगन में पड़ी मिली। अरुण मिश्रा के पड़ोस में रहने वाले उनके ही भतीजे पवन मिश्रा को जब मकान से बदबू आई तो अनहोनी की आशंका हुई। उसने जब अरुण के घर का दरवाजा खटखटाया तो भीतर से कोई आवाज नहीं आई। तब जाकर पुलिस को इसकी इत्तेला दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस दीवार फांदकर अंदर घुसी तो वहां आंगन में बुजुर्ग अरुण मिश्रा की सड़ी हुई लाश मिली और पास ही एक बाल्टी पानी रखा हुआ था।

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तीन दिन तक किसी ने कोई सुध नहीं ली

पुलिस का अंदाजा यही है कि घर में अकेले रहने वाले बुजुर्ग शायद पानी की बाल्टी लेकर कुछ काम कर रहे थे, तभी अचानक जमीन पर गिर पड़े और फिर उठ नहीं पाए। चूंकि घर में कोई और था नहीं लिहाजा उनकी मदद को कोई नहीं आया और बुजुर्ग ने वहीं तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया। पुलिस के अंदाजे के मुताबिक अरुण कुमार की मौत तीन दिन पहले हुई होगी। पुलिस को इस बात का ताज्जुब था कि तीन दिन तक अरुण कुमार के घरवालों ने उनकी खोज खबर क्यों नहीं ली? क्योंकि आमतौर पर दूर रहने वाले परिवार के लोग भी अकेले रहने वाले बुजुर्गों की कम से कम सुबह शाम तो खबर लेते ही हैं। बहरहाल पुलिस ने फॉरेंसिक टीम से जांच कराने का फैसला किया है। अरुण कुमार की अंतिम क्रिया उनके घरवालों के पहुंचने के बाद ही होगी।

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