देश का एकमात्र ऐसा गांव, जहां लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं जोड़े
Jharkhand News: खूंटी जनजातीय बहुल इलाका है। यहां गरीबी भी ज्यादा है। लिहाजा भोले आदिवासियों के पास इतने पैसे नहीं होते कि वो वैवाहिक खर्च उठा सके और तामझाम से शादी विवाह कर सके।
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खूंटी गांव में 501 जोड़े 'खूंटी' में बंधे, लिव इन में रहते हैं इस गांव के लोग
Jharkhand News: आपने शहर में लिव इन रिलेशनशिपस के बारे में जरूर सुना होगा, अब गांवों में भी कई जोड़े लिव इन में रह रहे हैं। शहर में लिव इन में रहना फैशन या जरूरत हो, लेकिन गांव में ये लिव इन में रहना मजबूरी है। जी हां, सही समझे। गांव में जोड़ों के पास शादी के लिए पैसे नहीं है, लिहाजा वो बिना शादी के ही पति-पत्नी के तौर पर रह रहे हैं। कौन सा गांव है ये। आइये आपको बताते हैं - (live-in Relationship)
Jharkhand News: झारखंड। वो झारखंड, जो कभी बिहार का हिस्सा होता था। झारखंड में एक गांव है खूंटी। यहां हाल ही में 501 जोड़िया, जो लिव इन में रहते थे, उनका सामूहिक विवाह कराया गया। पिछड़े आदिवासी बाहुल जिला खंटूी में केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा और उनकी पत्नी मीरा मुंडा की उपस्थिति और उनकी पहल से 501 जोड़ियां, जो लिव इन में रहते थे, का सामूहिक विवाह करवाया गया। शादी करने वालों में युवक, युवतियों से लेकर अधेड़ उम्र के लोग भी शामिल है। (Jharkhand: 501 couples were living in live-in in this village)
खूंटी गांव की अजीबोगरीब कहानी
Jharkhand News: खूंटी जनजातीय बहुल इलाका है। यहां गरीबी भी ज्यादा है। लिहाजा भोले आदिवासियों के पास इतने पैसे नहीं होते कि वो वैवाहिक खर्च उठा सके और तामझाम से शादी विवाह कर सके। ऐसे में इस गांव में लिव इन में रहने की परंपरा और चलन चल पड़ा है। इसके लिए इन्हें जिल्लत भी झेलनी पड़ती है। ऐसे लिव इन में रहने वाले को सामाजिक कार्यों में नहीं बुलाया जाता। साथ ही इनको समाज में दोयम नजर से देखा जाता है।
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501 Couples were Living in Live-in Relationship in Jharkhand: खूंटी गांव के कर्रा प्रखंड के चोलवा पतरा स्टेशन रोड़ जम्हार में रविवार को बृष्टि ग्रीन फार्मर्स संस्था (तोरपा रोड़ खूंटी ) द्वारा सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
यहां 501 जोड़े सामूहिक वैवाहिक सूत्र में बंधे। विवाह समारोह में सरना धर्म के 203 जोड़े, इसाई धर्म के 100 जोड़े व हिन्दू धर्म के 198 जोड़ों की शादी हुई। Jharkhand गांव में इसे ढुकू के नाम से जलील होना पड़ता है, लेकिन अब धीरे-धीरे परिस्थितियां बदल रही है और कुछ वर्षों से कई संस्थाएं ऐसे लोगों का सामूहिक विवाह करवा रही है।
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