'BJP नेता' की पिस्तौल से निकली गोली से जख्मी हुई वेदिका ने दस दिन बाद तोड़ा दम
Jabalpur BJP Leader Shot MBA Student: जबलपुर में 16 जून को एक BJP नेता के दफ्तर में पिस्तौल से निकली गोली ने एमबीए की छात्रा को बुरी तरह जख्मी कर दिया था जिसने 10 दिन के बाद दम तोड़ दिया।
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Jabalpur BJP Leader Shot MBA Student: …और आखिर जबलपुर में गोली से जख्मी हुई छात्रा वेदिका ठाकुर ने अस्पताल के बिस्तर पर दम तोड़ ही दिया। कौन है ये वेदिका ठाकुर, उसको क्या हुआ था, जो खबर बन गई? आखिर क्यों उस छात्रा को अस्पताल के बिस्तर पर जाना पड़ा? ये पूरा किस्सा बेहद सनसनीखेज़ है। और ये वारदात सामने आई है मध्य प्रदेश के जबलपुर से। आरोप की उंगलियों ने निशाना लगाया है एक नेता पर, जिसने सोशल मीडिया पर खुद को बीजेपी का नेता बता रखा है। नाम हे प्रियांश विश्वकर्मा। जिसके खिलाफ दफा 302 में मामला भी दर्ज हो चुका है।
नेता के दफ्तर में चली थी गोली
पूरा मामला कुछ यूं है कि बीती 16 जून को जबलपुर के धनवंतरी नगर इलाके में प्रियांश विश्वकर्मा का दफ्तर है। 24 साल की वेदिका ठाकुर उसी दफ्तर में गोली लगी थी। अब उसे गोली मारी गई या अचानक चली गोली का वो शिकार हुई.. ये पुलिस की तफ्तीश का हिस्सा है। अलबत्ता ये जरूर है कि इस संगीन मामले में कई पेंच और कई सवाल हैं जिनके जवाब हासिल किए बिना किस्सा तमाम नहीं हो सकता।
वेदिका ठाकुर की मौसी को सबसे पहले पता चला
जबलपुर के संजीवनी नगर थाना के तहत आने वाले धनवंतरी नगर चौराहे के पास रहने वाले भारतीय जनता पार्टी के लोकल नेता और प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करने वाले प्रियांश विश्वकर्मा के ऑफिस में 16 जून को दोपहर 2.00 बजे अचानक एक गोली चली और उसके बाद बहुत कुछ शांत हो गया। उस वक्त उसके ऑफिस में मौजूद थी उसकी महिला मित्र वेदिका ठाकुर । और वो गोली सीधे वेदिका ठाकुर को ही लगी। गोली लगने की इस घटना के बाद प्रियांश ने वेदिका की मौसी भुवनेश्वरी ठाकुर को फोन किया और कहा कि वेदिका ठाकुर की तबीयत खराब हो गई है। भुवनेश्वरी ने पुलिस को बताया था कि वेदिका ठाकुर और प्रियांश में किसी तरह की कोई झगड़े वाली बात तो थी नहीं। अब गोली कैसे चली क्यों चली और किसने चलाई इसका पता तो पुलिस की तफ्तीश में ही लग सकेगा लेकिन न तो अभी तक प्रियांश ने कुछ बताया और न ही वेदिका ठाकुर की मौसी भुवनेश्वरी ठाकुर ने।
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6 घंटे तक दबी रही वारदात
24 साल की वेदिका ठाकुर पढ़ने लिखने में तेज थी और एमबीए कर रही थी। प्रियांश के बुलवाने पर ही वो उससे मिलने के लिए उसके दफ्तर पहुँची थी। इस किस्से का सबसे हैरतअंगेज पहलू ये है कि गोली तो दोपहर दो बजे चली लेकिन जमाने के सामने ये किस्सा तब आया जब उसे रात आठ बजे एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया गया और उसका ऑपरेशन किया गया। अस्पताल से निकली खबर के बाद ही वेदिका ठाकुर के घरवालों को इस वारदात के बारे में पता चल सका। यानी पूरे 6 घंटे तक ये वारदात और गोली की आवाज दोनों दबी रही।
अस्पताल से बाहर निकली वारदात की खबर
अस्पताल से लड़की को गोली लगने की खबर सामने आई और उसके बाद से ही वो लोकल नेता प्रियांश विश्वकर्मा और वो पिस्तौल जिससे निकली गोली ने वेदिका ठाकुर को मौत के घाट उतार दिया, वो दोनों ही लापता थे। 16 जून को ही वेदिका ठाकुर की हालत नाजुक हो गई थी। गोली उसकी पीठ में धंसी हुई थी, जिसकी वजह से उसकी हालत लगातार खराब होती जा रही थी। उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था लेकिन दस दिनों तक मौत से लड़ते लड़ते आखिकर कार सोमवार 26 जून को वेदिका ठाकुर ने मौत से हार मान ली।
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FIR में जोड़ दी गई दफा 302
मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी प्रियांश विश्वकर्मा के खिलाफ लिखी FIR में धारा 302 भी जोड़ दी गई जो अभी तक हत्या के प्रयास यानी दफा 307 के तहत FIR लिखी गई थी। 19 जून को पुलिस ने प्रियांश को गिरफ्तार किया था। तभी पुलिस की जांच में ये बात भी सामने आ गई थी कि प्रियांश विश्वकर्मा अपने दफ्तर के सीसीटीवी फुटेज की डीवीआर और गोली चलने वाले हथियार को लेकर फरार हुआ था। प्रियांश के समर्थकों का कहना है कि प्रियांश 19 जून को अपने समर्थकों के साथ थाने पहुँचा था और उसने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया, जबकि पुलिस का कहना है कि उसने प्रियांश को गिरफ्तार किया, लेकिन कहां से ये नहीं बताया।
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बीजेपी ने झाड़ा पल्ला
इसी बीच बीजेपी दफ्तर की तरफ से भी एक बयान जारी किया गया है। जिसके मुताबिक जिस प्रियांश को मीडिया की रिपोर्ट में बीजेपी का नेता बताया जा रहा है वो न तो बीजेपी का सदस्य है और न ही कार्यकर्ता और न ही वो किसी पद पर है। ऐसे में जो भी घटना हुई उसकी जांच पुलिस कर रही है और जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
वेदिका ठाकुर के पिता का भी हुआ था कत्ल
इस हादसे का एक और दर्दनाक पहलू ये है कि वेदिका ठाकुर के पिता का भी कत्ल किया गया है। दैनिक भास्कर में छपी खबरों पर यकीन किया जाए तो आठ साल पहले वेदिका ठाकुर के पिता महेंद्र सिंह ठाकुर की गोली मारकर हत्या की गई थी। उस वक्त बैंक के गार्ड ने उन्हें गोली मार दी थी। घरवालों का आरोप ये भी है कि प्रियांश की ऊंची पहुँच और उसके रुतबे की वजह से पुलिस ने शुरू शुरू में केस दर्ज नहीं किया था जिसकी वजह से प्रियांश को मौके से भागने और सबूतों को मिटाने का मौका मिल गया। और जब वो पकड़ा गया तो उसने उन तमाम सबूत नष्ट कर दिए जो उसे दोषी साबित कर सकें। घरवालों का कहना है कि वेदिका ठाकुर को प्रियांश ने गोली जानबूझकर मारी है, क्योंकि अगर धोखे से गोली चलती तो सबूत मिटाने की नौबत न आती।
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