सिवान में डर गई है डॉन शहाबुद्दीन की बीवी, सिर उठाने लगा है ख़ान ब्रदर्स का नया ख़ौफ़

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SHAMS KI ZUBANI: एक डॉन के परिवार को अपने उस शहर से डर लग रहा जिस शहर को उस डॉन ने बरसों तक डरा कर रखा। एक डॉन की बीवी अब उस शहर को छोड़ने का इरादा करने लगी है, जिस शहर में उसके डॉन शौहर ने न जाने कितनी बीवियों के सुहाग को उजाड़ दिया। जिस शहर में उसके नाम का सिक्का चलता था, आज वहां उस डॉन की हरेक निशानी को ख़ुरच ख़ुरचकर मिटाया जा रहा है। जिस शहर में डॉन के नाम का डर चलता था वहां अब उसी डॉन की बीवी डरने लगी है।

जिस शहर में डॉन के सामने किसी की नज़र नहीं उठती थी उस डॉन की हैसियत और उसके रसूख को सीधी आंख दिखाई जा रही है। ये सारे जुमले उस उस शहाबुद्दीन के लिए कहे जा रहे हैं जिसकी वजह से बिहार का सीवान कई बरसों तक हिन्दुस्तान की सुर्खियों में बना रहा।

KAHANI SIVAN KE DON KI: हालांकि बिहार के सिवान का नाम सुर्खियों में आना कोई नई बात नहीं थी। क्योंकि आज़ाद हिन्दुस्तान के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद भी बिहार के इसी सिवान ज़िले से आते हैं। शायद सिवान की सबसे पहली और सबसे बड़ी ये पहचान हो सकती है। मगर इसी ज़िले से एक और नाम सामने आया जिसने सिवान को सुर्खियों में तो पहुँचाया मगर जुर्म के ठप्पे के साथ। वो नाम था मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव उर्फ नटवरलाल। जिन्हें सिवान में लोग मिस्टर नटवरलाल कहकर आज भी बुलाते हैं।

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लेकिन बिहार का सिवान पिछले 20 सालों से जिस एक नाम की वजह से सबसे ज़्यादा मशहूर हुआ वो नाम था मोहम्मद शहाबुद्दीन का। जिसकी दबंगई और जिसका ख़ौफ़ इस क़दर सिवान पर छाया कि इस नाम के अलावा वहां किसी दूसरे नाम को सुर्खियों तक में जगह नहीं मिली।

SHAMS KI ZUBANI: सिवान में नए बनते डॉन के क़िस्से से पहले उस डॉन का ख़ुलासा ज़रूरी हो जाता है जिसके नाम का ख़ौफ़ सिवान की रग रग में समाया हुआ था। उस डॉन का नाम था मोहम्मद शहाबुद्दीन जो दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहा था लेकिन कोरोना की चपेट में आने के बाद 1 मई 2021 को उसकी मौत हो गई। और उसकी मौत के बाद ही सिवान का सारा आलम बदल गया।

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तो सबसे पहले डॉन मोहम्मद शहाबुद्दीन का खुलासा।

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शेख़ मोहम्मद हसीबुल्लाह मगध के प्रतापपुर इलाक़े की कचहरी में स्टॉम्प पेपर बेचते थे। मोहम्मद शहाबुद्दीन उन्हीं मामूली हैसियत के मोहम्मद हसीबुल्लाह का बेटा था, मगर बचपन में ही उसकी सोहबत बिगड़ गई और शहाबुद्दीन पढ़ने लिखने की बजाए मार पीट गुंडागर्दी और दबंगई के साथ साथ रंगदारी वसूलने लगा। रिकॉर्ड के मुताबिक़ 19 साल की उम्र में 1986 में शहाबुद्दीन के ख़िलाफ़ मारपीट और गुंडई करने की पहली FIR सिवान के हुसैनगंज थाने में दर्ज हुई थी।

Crime Tak Kahani: उसके बाद तो मोहम्मद शहाबुद्दीन जुर्म की दुनिया में इतना आगे निकल गया कि मोस्टवॉन्टेड क्रिमिनल बन गया। उसके ख़िलाफ़ 56 मुक़दमें दर्ज हुए। एक दौर ऐसा था जब सिवान में मोहम्मद शहाबुद्दीन का नाम तक लेने में लोग घबराते थे। मोहम्मद शहाबुद्दीन की गुंडई और दबंगई के यूं तो कई क़िस्से मशहूर हुए लेकिन उसका एक क़िस्सा आज भी लोगों को दहला देता है जब उसने दो सगे भाइयों को तेज़ाब से नहलाकर मार डाला था।

ये ऐसा कांड था जो आज भी सिवान के तेज़ाब कांड के नाम से लोगों की जुबान और ज़ेहन से निकल ही नहीं पाता। 1996 में मोहम्मद शहाबुद्दीन की दबंगई इसलिए और बढ़ गई क्योंकि निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर वो लोकसभा का चुनाव जीत चुके थे और सांसद बन गए थे।

गुंडई से सियासत के मैदान तक पहुँचा मोहम्मद शहाबुद्दीन असल में एक बाहुबलि नेता था, जिसके बारे में ये बात मशहूर थी सिवान की सारी राजनीति उसके ही इर्द गिर्द अपनी शक्ल अख़्तियार करती है, फिर चाहे वो पंचायत का चुनाव हो, विधान सभा का चुनाव हो या फिर लोकसभा का चुनाव हो।

SHAMS CRIME TAK KAHANI : असल में 1990 में लालू यादव के उभरने के बाद जनतादल के युवा मोर्चा के ज़रिए शहाबुद्दीन की सियासत के मैदान में एंट्री हो जाती है। मुसलमान वोटरों पर शहाबुद्दीन का खासा असर था जिसकी वजह से लालू प्रसाद यादव की नज़र में शहाबुद्दीन लंबी रेस का घोड़ा थे। इसी लिए 1995 में पहली बार जनता दल के टिकट से विधान सभा के चुनाव में जीत दर्ज की थी। लेकिन 1997 में राष्ट्रीय जनता दल के बनने के बाद और बिहार में लालू यादव की सरकार होने के बाद मोहम्मद शहाबुद्दीन की ताक़त और गुनाहों का ग्राफ़ दोनों बढ़ गए।

लेकिन 1997 का साल मोहम्मद शहाबुद्दीन के लिए अच्छा नहीं रहा क्योंक इसी साल जवाहरलाल नेहरू के छात्र नेता और भाकपा माले के नेता चंद्रशेखर प्रसाद हत्याकांड की वजह से पहली बार शहाबुद्दीन की हैसियत को क़ानून के शिकंजे ने कसना शुरू किया था।

असल में चंद्रशेखर और उसके साथी श्याम की सिवान के बीच चौराहे पर गोली मारकर हत्या की गई थी। उस हत्या कांड के बाद जेएनयू के छात्रों का इस कदर दबाव बढ़ा जिसकी वजह से बात CBI जांच तक पहुँच गई थी। ये उसी जांच का नतीजा था कि शहाबुद्दीन को 1999 में लोकसभा चुनावों से बहुत पहले ही गिरफ़्तार कर लिया गया था।

SHAMS KI ZUBANI: यूं तो शहाबुद्दीन ने मुकदमों का अर्धशतक पूरा कर लिया था। कई मामलों में उसे सज़ा मिली। मगर तेज़ाब कांड में उसे उम्रक़ैद, छोटेलाल अपहरण कांड में उम्रक़ैद। सिवान के SP पर गोली चलाने वाले मामले में दस साल की सज़ा, इसके अलावा आर्म्स एक्ट में दस साल की जेल। ये वो मामले थे जिनकी वजह से मोहम्मद शहाबुद्दीन को दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद कर दिया गया था।

हालांकि मोहम्मद शहाबुद्दीन का जेल से भी रुआब चलता रहा और पहले वो खुद चुनाव लड़कर जीतता रहा। मगर बाद में जब उसे सज़ा हो गई तो शहाबुद्दीन ने अपनी पत्नी हीना शहाब को चुनाव लड़वाया मगर वो चुनाव नहीं जीत सकीं।

SHAMS KI ZUBANI: उसी डॉन मोहम्मद शहाबुद्दीन की बीवी हीना शहाब ने इसी साल कुछ रोज़ पहले एक बयान में इस बात की आशंका ज़ाहिर की थी कि वो और उनका परिवार सिवान छोड़कर शायद कहीं और चला जाए क्योंकि सिवान में अब उनकी जान को ख़तरा पैदा हो गया है।

यहां ये सवाल ज़रूर खड़ा हो जाता है कि आखिर एक दबंग डॉन और बाहुबलि नेता की बीवी को कौन डरा धमका सकता है। किसकी हिम्मत हो गई जिसने डॉन के परिवार के बुलंद रुआब को मिट्टी में मिला दिया। और इतना ख़ौफ़ पैदा कर दिया कि उसे जान की सलामती के लिए परिवार के साथ वहां से भागने के बारे में सोचना पड़े।

SHAMS KI ZUBANI: तो सिवान के उस डॉन का नाम है ख़ान ब्रदर्स। असल में ख़ान ब्रदर्स के बढ़ते रुतबे और ख़ौफ़ के साथ साथ मोहम्मद शहाबुद्दीन की दबंगई की विरासत को हथियाने वाले ख़ान ब्रदर्स के इस सिलसिले की शुरुआत होती है फरवरी 2018 से। जब शहाबुद्दीन के नज़दीक़ी रिश्तेदार फ़िरोज़ ख़ान को दिल्ली के द्वारका इलाक़े में दिन दहाड़े और सरेआम गोली से उड़ा दिया जाता है।

इस हत्या का कनेक्शन निकलता है बिहार के सिवान से। क्योंकि प्रॉपर्टी डीलिंग करने वाले फ़िरोज़ ख़ान को गोली से उड़ाने वाले शूटर के तार सिवान के ख़ान ब्रदर्स से जुड़े मिले। बताया जाता है कि शहाबुद्दीन के जेल जाने के बाद सिवान में हत्या लूट और रंगदारी वसूली का सारा काम फ़िरोज़ ख़ान ही देख रहा था।

फिरोज़ ख़ान को गोली मारने वाले शूटर शब्बीर हुसैन ने पुलिस को बताया था कि सिवान के रईस ख़ान ने इसके लिए एक लाख रुपये की सुपारी दी थी। हालांकि रईस ख़ान उस वक़्त सिवान की जेल में बंद था और उसके ख़िलाफ़ कई आपराधिक मामले दर्ज थे। केवल सिवान में ही नहीं बल्कि दूसरे ज़िलों में भी।

SIVAN KA SULTAN: एक बार सिवान के रईस ख़ान का नाम सामने आया तो फिर सिवान के ख़ान ब्रदर्स का ज़िक्र होने लगा। क्योंकि सिवान में अब रईस ख़ान और उसके बड़े भाई अयूब ख़ान के नाम से ही वहां की जुर्म की हुकूमत चल रही थी।

कहा जा रहा है कि मई 2021 के बाद से ही ये दोनों भाई सिवान पर उसी तरह से अपने नाम का रुतबा और दबदबा बनाना चाहते हैं जैसा किसी ज़माने में उन्होंने मोहम्मद शहाबुद्दीन का देखा था। असल में ख़ान ब्रदर्स का मोहम्मद शहाबुद्दीन से गहरा कनेक्शन है। बल्कि ये कहा जा सकता है कि किसी ज़माने में दोनों भाई मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेहद क़रीबी हुआ करते थे। लेकिन बाद में दोनों भाइयों ने शहाबुद्दीन से दूरी बना ली और अपना अलग गैंग बना लिया।

THE STORY OF GANGWAR: असल में मोहम्मद शहाबुद्दीन और ख़ान ब्रदर्स के बीच ठनी दुश्मनी के पीछे एक बड़ी वजह भी थी। ये वाक्या 2005 के आस पास का था। जब बिहार में चुनाव होने वाले थे। हालांकि शहाबुद्दीन उस वक़्त सिवान की जेल में बंद था लेकिन जेल में ही उसका दरबार लगता था और उसके जुर्म की हुकूमत जेल से ही चलती भी थी।

ये वो दौर था जब शहाबुद्दीन के ख़िलाफ़ चुनाव तक लड़ने की हिम्मत किसी की नहीं होती थी। और अगर कोई चुनाव लड़े तो उसे शहाबुद्दीन की तरफ से धमकियां मिलने लगती थीं। अब हुआ ये कि 2005 के विधान सभा चुनाव में ख़ान ब्रदर्स के पिता मोहम्मद कमरुल हक़ रघुनाथपुर सीट से चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे।

शहाबुद्दीन को उनका चुनाव लड़ना पसंद नहीं आया, क्योंकि इस सीट पर उस वक़्त शहाबुद्दीन के बेहद ख़ास विक्रम कुंवर चुनाव लड़ रहे थे। लिहाजा पहले तो कमरूल हक़ को चुनाव में न उतरने के लिए धमकी दी गई लेकिन जब वो नहीं मानें तो कमरूल हक़ को अगवा कर लिया गया। और किडनैपिंग की इस वारदात के लिए शहाबुद्दीन का नाम सामने आते ही रईस ख़ान और अयूब ख़ान को अखर गया और उन दोनों ने शहाबुद्दीन से किनारा करके अपना गैंग बना लिया।

SHAMS KI ZUBANI: मोहम्मद शहाबुद्दीन से अलग होते ही ख़ान ब्रदर्स ने सिवान में गैंगवॉर शुरू कर दी। इधर शहाबुद्दीन को सिवान से दिल्ली के तिहाड़ जेल भेज दिया गया और उसका दबदबा सिवान के जुर्म की दुनिया में कम होने लगा। इसी मौके का फायदा उठाकर रईस खान और अयूब ख़ान ने सिवान में अपने नाम का सिक्का जमाना शुरू कर दिया। आलम ये हु आ कि कुछ ही दिनों के भीतर ख़ान ब्रदर्स के ख़िलाफ़ हत्या लूट किडनैपिंग रंगदारी के दर्जनों मुक़दमें दर्ज हो गए।

सिर्फ सिवान में ही नहीं बल्कि सिसवन, हुसैनगंज, पचरुखी, रघुनाथपुर और माझी इलाक़े में उनका नाम चलने लगा। सिवान में दो पुलिसवालों की हत्या के मामले में ख़ान ब्रदर्स का नाम आने के बाद तो उनके नाम का ख़ौफ़ तेजी से बढ़ने लगा।

ख़ान ब्रदर्स में बड़ा भाई अयूब ख़ान तो छटा हुआ क्रिमिनल बन गया जबकि छोटा भाई रईस ख़ान ने शहाबुद्दीन के नक्शे क़दम पर चलने की कोशिश की और इसी वजह से उसने बिहार में MLC का चुनाव भी लड़ा। ये और बात है कि वो चुनाव हार गया।

TWIST IN STORY OF DON: बिहार विधान परिषद के चुनाव के दौरान 4 अप्रैल 2022 को रईस ख़ान पर एक जानलेवा हमला हुआ। और उस हमले में रईस ख़ान तो बच गया लेकिन उसके दो साथी मारे गए। इस हमले के बाद रईस ख़ान ने पुलिस में दर्ज कराई अपनी शिकायत में हमले के लिए ओसामा को जिम्मेदार बताया।

ओसामा इस क़िस्से में सामने आया सबसे नया और रोचक किरदार है, जिसकी वजह से सिवान की कहानी में ट्विस्ट आ गया। असल में ओसामा मोहम्मद शहाबुद्दीन का वो बेटा है जिसने लंदन में रह कर क़ानून की पढ़ाई की है।

हालांकि कहा जाता है कि ओसामा सिवान में नहीं दिल्ली में रहता है और जिस वक़्त रईस ख़ान पर हमला हुआ उस वक़्त भी ओसामा दिल्ली में ही था।

SHAMS KI ZUBANI: इसी वाकये के बाद शहाबुद्दीन की बीवी हिना शहाब ने मुख्यमंत्री से लेकर तमाम अफसरों और मंत्रियों को चिट्ठी लिखकर अपनी आशंका ज़ाहिर की कि सिवान में उनकी और उनके परिवार की जान को ख़तरा है। और इस पूरे हालात के लिए हिना शहाब ने ख़ान ब्रदर्स का नाम लिया है।

एक तरफ डॉन की बीवी डरी हुई है और बार बार ख़ान ब्रदर्स को निशाना बना रही है उधर ख़ान ब्रदर्स का रईस ख़ान लगातार सिवान में शहाबुद्दीन के परिवार को ये कहकर चुनौती दे रहा है कि चुनाव लड़ने की बपौती सिर्फ एक परिवार की नहीं हो सकती। लिहाजा अब सिवान में दबदबे की ये जंग और तेज़ हो गई है।

असल में सिवान को एक बार फिर डॉन के साये में ढकेलने की फिराक़ में लगे ख़ान ब्रदर्स का ख़ौफ़ तेजी से बढ़ता जा रहा है। क्योंकि पुलिस के एक ख़ुलासे ने ख़ान ब्रदर्स के अयूब ख़ान में लोगों को मोहम्मद शहाबुद्दीन और उसकी बेरहमी का चेहरा नज़र आने लगा है।

SHAMS KI ZUBANI: असल में पुलिस की तरफ से आई जानकारी के मुताबिक नवंबर 2021 को सिवान से तीन दोस्त विशाल सिंह, अंशू सिंह और परमेंदर यादव अचानक लापता हो जाते हैं। और दो महीने तक तीनों का पता नहीं चलता।

पुलिस के पास पहुँची इन तीनों के किडनैपिंग की रिपोर्ट के बाद पुलिस मामले की तह तक जाती है और जेल में बंद अयूब ख़ान से पूछताछ करती है। क़रीब दो महीने की पूछताछ के बाद पुलिस ऐलान करती है कि अयूब ख़ान ने तीनों लड़कों की गुमशुदगी का राज़ खोल दिया। असल में अपनी दुश्मनी की वजह से ही अयूब ख़ान तीनों को उठवा लेता है। उन तीनों का गमछे से गला घोंटकर मार दिया जाता है और फिर तीनों के शरीर के टुकड़े करके नदी में बहा दिए जाते है, जिससे न तो उनकी कोई लाश मिलती है और न ही कोई और सबूत।

इस खुलासे के बाद सिवान में ख़ान ब्रदर्स के नाम की दहशत और फैल गई है। शायद इस क़िस्से का असर शहाबुद्दीन के परिवार और बीवी हिना शहाब पर गहरा पड़ा तभी तो वो अपने बच्चों की हिफ़ाज़त की ख़ातिर सिवान छोड़ देना चाहती है।

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