Ukraine Russia War: निर्बल से लड़ाई बलवान की, ये कहानी है दीये की और तूफ़ान की

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उम्मीद से ज़्यादा लम्बा खिंच रहा युद्ध

Ukraine Russia War: असल में कई जानकार ये मानते हैं कि व्लादिमीर पुतिन ये उम्मीद पाले बैठे थे कि यूक्रेन और वहां की आर्मी बहुत जल्दी अपने हथियार डाल देगी। मगर ऐसा हुआ नहीं। रूसी मामलों के जानकार माइकल कॉफमैन का मानना है कि रूसी सेना इसी उम्मीद में थी कि यूक्रेन की सेना जल्दी ही हार मान लेगी। लेकिन युद्ध के बदलते हुए हालात में ऐसे संकेत मिलने लगे कि रूसी सेना की उम्मीदों से परे यूक्रेन की सेना ने उम्मीद से बढ़कर रूसी सेना के सामने डटने की हिम्मत दिखाई है।

इस मामले में उस वक़्त सबसे बड़ा ट्विस्ट आया जब रूस ने कज़ाखस्तान से अपनी सेना के इस्तेमाल के लिए मदद मांगी लेकिन यूक्रेन के हक़ में कजाखस्तान ने रूस को इनकार कर दिया। ऐसे में जानकारों को महसूस होता है कि पुतिन की रणनीति का ये सबसे बड़ा झोल है क्योंकि जंग छेड़ने से पहले अपने सहयोगी देश बनाने की बजाए जंग छेड़ने के बाद उन्होंने ये पहल की।

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ढेर हो गए पुतिन के अनुमान

Ukraine Russia War: अंदाजा यही लगाया जा रहा है कि पुतिन ने यही अनुमान लगाया होगा कि वो अपने दम पर ही यूक्रेन को हरा लेंगे लेकिन ऐसा हो नहीं सका। कुछ जानकारों का मानना है कि अभी तक रूस की सेना ने बहुत तगड़ा हमला यूक्रेन में कहीं भी नहीं किया है। और न ही लगातार बमबारी की, जैसा रूस की सेना के बारे में लोगों ने कयास लगाए थे।

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जानकार ये भी मानते हैं कि पुतिन ने ऐसा शायद जानबूझकर किया क्योंकि अगर पुतिन भारी बमबारी करते तो उससे यूक्रेन के कई नागरिकों के हताहत हो सकते थे। उस सूरत में रूस का पलड़ा हल्का भी पड़ सकता था और खुद रूस के साथ साथ पूर्वी यूरोप में माहौल और भी ज़्यादा पुतिन के ख़िलाफ़ हो जाता।

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यूक्रेन की सेना ने फेरा पुतिन की उम्मीद पर पानी

Ukraine Russia War: लंदन में शोध छात्र रॉब ली का मानना है कि अभी तक युद्ध की स्थिति को देखकर तो यही लगता है कि व्लादिमीर पुतिन का मकसद यूक्रेन पर कब्ज़ा करने का कतई नहीं था बल्कि वो यूक्रेन की राजधानी कीव पर अपना नियंत्रण करना चाहते थे। ताकि वो यूक्रेन की सत्ता पर समझौता करने के लिए दबाव बना सकें।

मगर ऐसा हो नहीं सका। यूक्रेन की सेना ने रूसी सेना का न सिर्फ डटकर मुकाबला किया बल्कि उन्हें आगे बढ़ने से भी रोके रखा। यूक्रेन के शहर खारकीव में दोनों सेनाओं की भिड़ंत इस बात का उदाहरण है कि यूक्रेन की सेना ने किस तरह अपना ज़ज्बा दिखाया है।

रूस के बड़े हथियारों के सामने यूक्रेन का ताक़तवर मनोबल

Ukraine Russia War: इसमें कोई शक है ही नहीं कि रूस के मुकाबले यूक्रेन की सेना बेहद कमज़ोर और कम ताक़तवर है। जबकि रूस की सेना हर लिहाज से बहुत बेहतर मानी जाती है। लेकिन किसी भी जंग में सेनाओँ की जीत और हार के बीच एक सबसे बड़ा कारण होता है ज़ज़्बा, मनोबल यानी मोराल। और इस मायने में यूक्रेन ने रूसी सेना के मुकाबले बाजी मार ली है। कम से कम अभी तक।

इसके अलावा मिलिट्री का एक अघोषित नियम है ametures talk tectise and professionals talk logistics. यानी जिसको युद्ध नीति के बारे में नहीं पता होता है वो टैक्टिस के बारे में बात करता है जबकि युद्ध नीति को समझने वाले पेशेवर लोग गोला बारूद और दूसरी ज़रूरी चीज़ों की सप्लाई के बारे में जिसे लॉजिस्टिक्स कहा जाता है उसके बारे में बात करते हैं।

तभी तो बातचीत की मेज तक आया रूस

Ukraine Russia War: अब तक की लड़ाई को देखने के बाद जानकार मानते हैं कि रूस ने अपनी लाजिस्टिक्स के बारे में ज्यादा तवज्जो नहीं दी थी। इसीलिए इस युद्ध में कई जगह ये भी देखने को मिला कि रूसी सेना कई जगहों पर जाकर ठिठक सी गई क्योंकि उनके पास टैंक को आगे ले जाने तक का पेट्रोल नहीं बचा था। मतलब साफ है कि इस लड़ाई में रूस बिना प्लानिंग के उतर आया है। हर गुज़रते दिन के साथ रूस को बहुत पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।

इसके ठीक उलट अभी तक की जंग में ये देखने को मिल गया है कि यूक्रेन की सेना और वहां के लोगों का मनोबल बहुत ज़्यादा अच्छा और ऊंचा है। ऐसा शायद इसलिए भी है क्योंकि यूक्रेन के लोगों को लगता है कि वो अपने वजूद के लिए लड़ रहे हैं इसलिए वो पूरे मनोबल से रूसी सेना का मुकाबला कर पा रहे हैं।

शायद यही वजह है कि पांच दिन तक खिंच गई इस लड़ाई के बाद अब रूस यूक्रेन से बात करने को राजी हुआ और बेलारूस में दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच तीन घंटे तक बातचीत भी हुई ऐन जंग के दौरान।

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