Video: 15 साल बाद मिला इंसाफ, सौम्या विश्वनाथन की मां ने स्पेशल सीपी धालीवाल को गले लगा लिया, एचजीएस धालीवाल की टीम ने की थी जांच
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Super Video Saumya Murder: सौम्या की बूढ़ी मां को एक शख्स गले लगा रहे हैं। ये शख्स कोई और नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर एचजीएस धालीवाल थे।
Super Video Saumya Murder: सौम्या की बूढ़ी मां को एक शख्स गले लगा रहे हैं। ये शख्स कोई और नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर एचजीएस धालीवाल थे।
Super Video Saumya Murder: सौम्या के हत्यारों को अदालत ने दोषी करार दिया है। 15 साल बाद फैसला आने के बाद सौम्या के बूढ़े माता पिता ने कहा कि उन्हे इंसाफ मिला है। इसी दौरान कौर्ट परिसार का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें सौम्या की बूढ़ी मां को एक शख्स गले लगा रहे हैं। ये शख्स कोई और नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर एचजीएस धालीवाल थे। वही पुलिस अधिकारी जिन्होंने हत्याकांड के वक्त डीसीपी के तौर पर इस केस की जांच की थी।
एचजीएस धालीवाल की टीम ने की थी जांच
सौम्या की मां माधवी विश्वनाथन ने धालीवाल से गले लगकर धन्यवाद कहा। दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को चार आरोपियों को संगठित अपराध को अंजाम देने के दौरान टेलीविजन पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या का दोषी ठहराया और पांचवें आरोपी को मकोका के तहत अपराध से हुई आय प्राप्त करने का दोषी ठहराया। अदालत ने उन कारणों का भी विवरण दिया कि क्यों आरोपियों को कड़े अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया। महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) संगठित अपराध गिरोह द्वारा आपराधिक गतिविधियों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए बनाया गया एक विशेष कानून है।
सौम्या की मां ने स्पेशल सीपी धालीवाल को गले लगाया
अभियोजन पक्ष के अनुसार, रवि कपूर ने 30 सितंबर, 2008 को दक्षिणी दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर सौम्या की कार का पीछा करते हुए उन्हें लूटने के इरादे से उनपर देशी पिस्तौल से गोली चलाई थी। घटना के वक्त कपूर के साथ अमित शुक्ला, अजय कुमार और बलजीत मलिक भी थे। पुलिस ने पांचवें आरोपी अजय सेठी उर्फ चाचा के पास से हत्या में इस्तेमाल की गई कार बरामद की थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र कुमार पांडे ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने विधिवत साबित किया है कि 2002 से 2009 में गिरफ्तारी तक सभी आरोपियों के खिलाफ विभिन्न थानों में कई प्राथमिकी दर्ज थीं।
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सहायक पुलिस आयुक्त मोहम्मद अली की गवाही से साबित हुआ
अदालत ने कहा, ‘‘उल्लेखनीय है कि वर्तमान मामले में किए गए अपराध में आरोपी व्यक्तियों की संलिप्तता जांच एजेंसी को वसंत विहार थाने (आईटी पेशेवर जिगिशा घोष की हत्या का मामला) में प्राथमिकी में उनकी गिरफ्तारी के बाद ही पता चली। इसी कारण से, जब जांच के दौरान उनकी (आरोपियों) आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच की गई तो उनके खिलाफ मकोका के प्रावधानों को लागू करने का प्रस्ताव लाया गया।’’ अदालत ने कहा कि तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त मोहम्मद अली की गवाही से साबित हुआ कि कपूर संगठित अपराध सिंडिकेट का नेतृत्व कर रहा था और उसके तथा अन्य आरोपियों के खिलाफ कई आपराधिक मामले थे। एक गवाह के बयान पर गौर करते हुए अदालत ने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष ने विधिवत साबित कर दिया है कि जिन आपराधिक मामलों में गिरोह के इन आरोपियों की संलिप्तता थी, वे आरोपी रवि कपूर के साथ संयुक्त रूप से या उसके साथ मिलकर अंजाम दिए गए थे।’’
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