क्या इमरान के पॉलिटिकल करियर का हो जाएगा 'दी एंड'?

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Pakistan News: पाकिस्तान में चल रहे सियासी उठा पटक के बाद क्या इमरान खान का करियर खत्म हो जाएगा ?

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क्या इमरान के पॉलिटिकल करियर का हो जाएगा 'दी एंड'?
क्या इमरान खान को छोड़नी पडेगी राजनीति?
इमरान की पार्टी PTI पर बैन लगाने की तैयारी
9 मई के प्रदर्शन को फौज़, ISI और सरकार ने बनाया मुद्दा
अपने 'दुश्मनों' से आख़िर कब तक बचेंगे इमरान?

Pakistan News: पाकिस्तान में चल रहे सियासी उठा पटक से तो पूरी दुनिया वाकिफ है. जिसमें एक तरफ पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पीटीआई है, तो वहीं दूसरी तरफ तमाम विरोधी दल, फौज और पाकिस्तान की सबसे बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई. लेकिन 'पीटीआई वर्सेस रेस्ट' इस जंग में अब जो नया ट्विस्ट आया है, वो सबसे हट कर है. लेकिन इससे पहले कि हम इस ट्विस्ट की बात करें, आइए आपको पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के बयान दो सुनाते हैं. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री से लेकर गृह मंत्री तक पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ यानी पीटीआई को पाकिस्तान की सियासत से निकाल बाहर करने की बात कह रहे हैं... बल्कि खबर तो ये है कि सरकार ने इसके लिए अपनी तैयारी भी पूरी कर ली है और अब इस पर पाकिस्तानी संसद की मुहर लगनी भर बाकी है.

 

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Pakistan News: इमरान खान की इस नई मुसीबत की शुरुआत तब हुई, जब उन्होंने भ्रष्टाचार के इल्जाम में पाकिस्तान की एजेंसी नेशनल एकाउंटब्लिटी ब्यूरो यानी नैब ने गिरफ्तार कर लिया था. दरअसल, इस गिरफ्तारी के बाद इमरान के समर्थकों ने पूरे पाकिस्तान में ऐसा बवाल काटा कि देखते ही देखते पाकिस्तान में मचे इस घमासान की खबर पूरी दुनिया में सुर्खियां बन गईं. लेकिन इसी बवाल के दौरान इमरान के समर्थकों ने पाकिस्तानी फौज और सरकारी ठिकानों पर धावा बोल दिया और जम कर हिंसा की, जिसे अब पाकिस्तान की हुकूमत और वहां की फौज के लिए एक चैलेंज के तौर पर पेश करने की कोशिश शुरू हो गई है और इसी चैलेंज के बदले इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक एक इंसाफ यानी पीटीआई को बैन करने की तैयारी चल रही है.

 

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ये पाकिस्तान सरकार और वहां की फौज की सख्ती का ही असर है कि अब इमरान खान घर में ही अलग-थलग पड़ते नजर आने लगे हैं. इमरान के कई करीबी और भरोसेमंद नेताओं ने पिछले कुछ दिनों में फौज और सरकारी ठिकानों पर हुए हमले को गलत बताते हुए ना सिर्फ पीटीआई से किनारा कर लिया है, बल्कि कई नेता राजनीति से भी तौबा कर ली है. पिछले दो दिनों में 30 से ज्यादा पीटीआई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं. इनमें इमरान सरकार में कैबिनेट मंत्री रही शिरीन मजारी से लेकर कई बड़े नाम शामिल हैं. पूर्व मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने मंगलवार को पीटीआई से इस्तीफा देते हुए राजनीति से ही सन्यास का ऐलान कर दिया. इसके बाद पार्टी नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आमिर कियानी और मलिक असलम ने भी शिरीन की राह ली. पीटीआई के प्रवक्ता फैयाजुल हसन चौहान, महमूद मौलवी और आफताब सिद्दिकी जैसे नेताओं भी खुद को पीटीआई से अलग कर लिया.


Imran Khan: असल में पाकिस्तान में पीटीआई नेताओं पर अब सरकार और कानून का कहर टूट रहा है. हजारों कार्यकर्ता पहले ही गिरफ्तार कर जेल में डाले जा रहे हैं, जो नेता और कार्यकर्ता अब तक आजाद हैं, उनपर भी गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में अपने लिए कोई राहत ना मिलता देख कर इमरान के अपने ही इमरान को छोड़ कर जाने लगे हैं. पीटीआई के बड़े नेता शाह महमूद कुरैशी, पार्टी के एक और प्रवक्ता मुसर्रत जमशेद चीमा और उनके पति जमशेद चीमा को जमानत के बाद रावलपिंडी की अदियाला जेल से रिहाई मिल गई थी, लेकिन मंगलवार को उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. अब जाहिर है, जब पार्टी में घमासान मचा है तो फिर इमरान से सवाल भी लाजिमी है. पत्रकारों ने इसे लेकर जब इमरान से बात की तो उनका कहना था. "लोग पार्टी छोड़ नहीं रहे। उन्हें बंदूक की नोक पर पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। लेकिन उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि सियासी पार्टियों को इस तरह की चालों से मिटाया नहीं जा सकता।" उधर, ठीक इमरान की तरह ही विदेश में बैठे उनकी पार्टी के हिमायती अब 9 मई को पाकिस्तान में हुए बवाल के लिए सीधे-सीधे वहां की फौज और सरकार को ही जिम्मेदार ठहराने में लगे हैं. यानी 9 मई के बवाल का ठीकरा अब दोनों पक्ष एक दूसरे से सिर फोड़ना चाहता है.


ऐसे में अब सवाल उठता है कि फिर इमरान के पास पाकिस्तान में क्या रास्ता बचा है? आखिर वो कैसे पाकिस्तानी हुकूमत और वहां की फौज के इस गुस्से का मुकाबला कर सकते हैं? सवाल ये भी है कि इमरान को अदालत से और कब तक राहत मिल सकती है? तो जानकारों की मानें तो पाकिस्तानी हुकूमत ने इमरान के लिए अब भी एक रास्ता खोल रखा है. और इस थ्योरी पर यकीन करें तो इसके मुताबिक पाकिस्तानी फौज और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने इमरान के सामने ये विकल्प रखा है कि वो चाहें तो अब भी 9 मई को फौज और सरकार पर हुए हमले की निंदा कर देश छोड़ सकते हैं. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की ओर से इस सिलसिले में इमरान को दी गई सलाह को भी स्टैबलिशमेंट यानी फौज और खुफिया एजेंसी के एक इशारे के तौर पर देखा रहा है.आरिफ अल्वी ने इमरान से कहा था कि उन्हें 9 मई को पाकिस्तान में हुए सेना, उसके प्रतीक चिह्नों और सरकारी ठिकानों पर हमलों की निंदा करनी चाहिए... हालांकि इस कहानी का दूसरा पहलू ये है कि इमरान ने देश छोड कर जाने की बातों से इनकार कर दिया है... इमरान ने पहले ही साफ कर दिया है कि वो देश में ही रह कर आखिरी दम तक लडते रहेंगे.

 

Pakistan News: फिलहाल इमरान बेशक जमानत पर हैं, लेकिन पाकिस्तान में हालात पटरी पर लौटने का नाम नहीं ले रहा. इमरान लगातार अलग-अलग मामलों पर पेशी  के लिए अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं और हर पेशी पर जाने से पहले उन्हें अपनी गिरफ्तारी का डर सता रहा है. इमरान को लगता है कि कहीं सरकार और फौज के इशारे पर उन्हें फिर से किसी जुर्म में गिरफ्तार ना कर लिया जाए. दूसरी ओर पाकिस्तानी हुकूमत हर हाल में इमरान पर अपना शिकंजा और कसना चाहती है. इमरान और उनकी पार्टी को लेकर प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने पाकिस्तान के संसद में जो कुछ कहा, वो आपको सुनना चाहिए. जाहिर है शहबाज शरीफ इमरान के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई चाहते हैं और फौज पहले से ही इसकी तैयारी किए बैठी है. फौज ने इमरान के खिलाफ कई नई और संगीन धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है और इनमें कुछ धाराएँ तो ऐसी हैं, जिनमें जुर्म साबित होने पर सजा ए मौत तक की सजा दी जा सकती है.

 

इस बीच सवाल आईएसआई के चीफ आसिम मुनीर और इमरान खान के बीच चली आ रही दुश्मनी को लेकर एक नई कहानी सामने आई है. पाकिस्तान में एक आर्टिकल के हवाले से ये बताया गया है कि चूंकि अपने प्रधानमंत्री रहते हुए इमरान खान ने आईएसआई के डीजी रहे आसिम को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया था, इमरान और मुनीर के बीच दुश्मनी की शुरुआत हो गई. हालांकि इमरान ने इस सिलसिले में एक ट्वीट कर इस कहानी को झूठा करार दिया है.

 


खबरों के मुताबिक आईएसआई के डीजी रहने के दौरान आसिम मुनीर इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी के भ्रष्टाचार को लेकर एक डोजियर के साथ इमरान खान से मुलाकात की थी, जिसके बाद इमरान ने मुनीर को अपनी कुर्सी से हटने पर मजबूर कर दिया था. लेकिन इसके बाद पासा पलट गया और इमरान को कुर्सी से हटना पड़ा और तब इमरान और मुनीर की दुश्मनी की ये कहानी सतह पर आ गई. सरकार बदलते ही शहबाज शरीफ ने मुनीर को आईएसआई का चीफ बना दिया. लेकिन इमरान ने कहा है कि ना तो मुनीर ने ऐसे किसी डोजियर के साथ उनसे मुलाकात की थी, और ना ही उनके पास बुशरा बीबी के करप्शन का कोई सबूत ही था. खैर दुश्मनी की वजह जो भी हो, दोनों के बीच दुश्मनी है, ये तो अब जग जाहिर हो चुकी है और इसी दुश्मनी में फिलहाल पाकिस्तान झुलस रहा है.
 

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