दिल्ली के फास्ट ट्रैक कोर्ट में श्रद्धा मर्डर केस की शुरू हुई सुनवाई, जल्द ही होगा आफताब की किस्मत का फैसला
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Shraddha Walker Murder: श्रद्धा मर्डर केस में 7 महीने बाद शुरू हुई अदालत में इंसाफ की जंग.
Shraddha Walker Murder: श्रद्धा मर्डर केस में 7 महीने बाद शुरू हुई अदालत में इंसाफ की जंग.
Shraddha Walker Murder: देश को दहला देनेवाले श्रद्धा मर्डर केस में आखिरकार सात महीने बाद अदालत में इंसाफ के जंग की शुरुआत हो ही गई. सात महीने बाद अदालत (Court Case) में मामले का ट्रायल शुरू हुआ और सात महीने बाद ही श्रद्धा (Shraddha Father) के घरवालों को ये उम्मीद बंधी अब आनेवाले वक्त में आफताब को फांसी के तख्ते पर लटका दिया जाएगा. दिल्ली के महरौली में श्रद्धा के लिव इन पार्टनर आफताब ने रिश्ते में अनबन के बाद 18 मई 2022 को उसकी हत्या कर दी थी. 12 नवंबर 2022 को इस मामले का खुलासा हुआ और दिल्ली पुलिस ने 75 दिनों में इसकी जांच पूरी कर दिल्ली के साकेत कोर्ट में 6 हजार 629 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी. जिसके बाद गुरुवार 1 जून को फास्ट टैक कोर्ट में इसकी सुनवाई शुरू हुई.
ट्रायल की पहली तारीख यानी 1 जून को इस कोर्ट में अभियोजन पक्ष की ओर से श्रद्धा के भाई श्रीजय समेत तीन गवाह पेश हुए जिन्होंने अपनी-अपनी गवाही दी. श्रीजय ने कोर्ट को बताया कि श्रद्धा ने अपने जीते जी उससे आफताब को लेकर कई बार शिकायतें की थीं और इन शिकायतों में ये बताया था कि आफताब ना सिर्फ उससे झगड़ा करता है, बल्कि शारीरिक तौर पर भी उसे प्रताड़ित करता है यानी उसके साथ मारपीट करता है. कोर्ट में श्रीजय के अलावा और दो गवाहों ने भी अपनी बात रखी. जिसके बाद अदालत ने 12, 17 और 18 जुलाई को सुनवाई की अगली तीन तारीखें मुकर्रर कीं. इन तारीखों पर जहां बचाव पक्ष के वकील गवाहों से जिरह करेंगे, वहीं कम से कम पंद्रह और गवाहों के बयान भी दर्ज किए जाएंगे.
Aftab Poonawala: लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर ये पूरी की पूरी कानूनी प्रक्रिया कब तक पूरी कर ली जाएगी? अगर लोअर कोर्ट में आफताब को गुनहगार पाया जाता है और उसकी करतूत को देखते हुए उसे फांसी की सजा दी जाती है, तो उसे सचमुच फांसी पर लटकाए जाने में कितना वक्त लगेगा? हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में अपना आखिरी फैसला सुनाने में कितना समय लगेगा? और अगर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी उसकी सज़ा बरकरार रखता है, तो फिर आखिर कब तक उसे फांसी कब होगी? जाहिर है इन यक्ष प्रश्नों का साफ-साफ जवाब क्या है, फिलहाल किसी को पता नहीं. लेकिन श्रद्धा के पिता की तरफ से अदालत में मामले की पैरवी कर रही उनकी वकील सीमा कुशवाहा को उम्मीद है कि आफताब की फांसी में कम से कम उतना वक्त नहीं लगेगा, जितना निर्भया के गुनहगारों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में लगा था.
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Delhi Murder Case: वैसे लोअर कोर्ट से फैसला आने के बाद आफताब के पास हाई कोर्ट जाने के लिए अधिकतम तीन महीने का वक्त होगा और अगर हाई कोर्ट से भी फैसला उसके खिलाफ आ जाए, तो सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए उसे और तीन महीने मिलेंगे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला, फैसले बाद दया याचिका, क्यूरेटिव पिटिशन, रिव्यू पिटिशन जैसी तमाम प्रक्रियाएं चलेंगी और हो सकता है कि इसके बाद आफताब राष्ट्रपति के पास भी अपनी अर्जी लगाए और कहीं अगर वो अर्जी भी खारिज हो गई, तो फिर से सुप्रीम कोर्ट, जाहिर है, ये प्रक्रिया लंबी है. हालांकि वॉल्कर परिवार के वकील को लगता है कि चूंकि निर्भया के मामले में मुल्जिमों की तादाद चार थी, इसलिए वो मामला ज्यादा लंबा खिंच गया, लेकिन इस मामले में शायद ऐसा ना हो. वैसे आपको याद दिलाएं कि जो एडवोकेट सीमा कुशवाहा श्रद्धा के परिवार की ओर से अदालत में मामले की पैरवी कर रही हैं, वही सीमा कुशवाहा ही एक वकील के तौर पर निर्भया के गुनहगारों को फांसी के फंदे तक पहुंचा चुकी हैं.
Shraddha Father Vikas Walker: श्रद्धा के पिता विकास वाल्कर की वकील सीमा साल भर के अंदर आफताब के फांसी की उम्मीद तो जता रही हैं, लेकिन साथ ही मामले के टाइम बाउंड हियरिंग पर नहीं होने की वजह से अफसोस भी जता रही हैं. कहने का मतलब ये कि मामले की सुनवाई फास्ट टैक कोर्ट में तो चल रही है, लेकिन इसकी टाइम बाउंड हियरिंग नहीं हो रही. ऐसे में फास्ट टैक कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई पूरी होने में ठीक कितना वक्त लगेगा ये पक्के तौर पर कोई नहीं बता सकता. श्रद्धा के परिवार ने कुछ इसी इरादे से अदालत में अलग से अर्जी दाखिल कर इसकी टाइम बाउंड हियरिंग की भी अपील की है. इस मामले की जांच में दिल्ली पुलिस ने आफताब के खिलाफ सैकड़ों सबूत और गवाह इकट्ठा किए हैं.
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जिन्हें एक-एक कर अदालत के सामने पेश करने की तैयारी है. मामले में गवाहों की तदाद जहां कुल 180 हैं, वहीं सबूत के तौर पर कई ऐसी चीजें हैं, जिन्हें देखते हुए ये लगता कि आफताब का फांसी की सज़ा से बचना नामुमकिन है. सबसे अहम सबूत तो आफताब की निशानदेही पर बरामद श्रद्धा की हड्डियां ही हैं, जिनकी डीएनए रिपोर्ट श्रद्धा के माता-पिता से मैच कर गई है. यानी ये एक ऐसा कनक्लूसिव एविडेंस है, जो आफताब के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है. इसके अलावा श्रद्धा के कपडे, श्रद्धा की लाश को ठिकाने लगाने के लिए इस्तेमाल किए औज़ार, आफताब के मकान से मिले खून के धब्बे, फ्रिज में मौजूद लाश के अवशेष, श्रद्धा और आफताब के मोबाइल फोन की डिटेल जैसी और भी कई चीजें हैं, जो दिल्ली पुलिस सबूत के तौर पर अदालत में पेश कर चुकी है.
Murder Case: असल में इंसाफ की आस में श्रद्धा के घरवालों ने अब तक उसकी लाश का अंतिम संस्कार भी नहीं किया है. श्रद्धा के अंतिम संस्कार और इस मामले के फैसले के बीच एक मसला सबूतों के तौर पर श्रद्धा की वो हड्डियां भी हैं, जिन्हें केस प्रॉपर्टी के तौर पर फिलहाल अदालत ने अपने पास रखा है और जब तक ये केस प्रॉपर्टी एग्जीबिट ना हो जाए, यानी अदालत में उसे लेकर चलनेवाली कानूनी प्रक्रिया पूरी ना हो जाए, वो हड्डियां श्रद्धा के घरवालों को नहीं मिल सकती हैं और जब तक हड्डियां ना मिल जाएं, वो अपनी बेटी की लाश का अंतिम संस्कार भी नहीं कर सकते हैं. अंगेजी में एक कहावत है -- देयर इज अ स्लिप बिटविन ए कप एंड लिप -- यानी कई बार चाय की प्याली और होठों के दरम्यान भी एक बड़ा फासला होता है. ऐसे में फिलहाल बेशक अदालत में श्रद्धा मर्डर केस का ट्रायल शुरू हो चुका हो, सरसरी तौर पर आफताब के खिलाफ सबूत भी बडे पुख्ता नजर आ रहे हों, लेकिन आफताब को फांसी की ठीक कब तक होगी, होगी भी या नहीं. ये पक्के तौर पर कोई नहीं बता सकता.
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