दिल्ली वाले तो साक्षी को नहीं बचा पाए पर पूणे वालों ने लड़की को मरने से बचा लिया !

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Delhi Loot: पूणे के लोगों ने उस हमले में लड़की को बचाने की पूरी कोशिश की जिस वजह से आज वो जिंदा हैै, अगर ऐसा ही दिल्ली के लोग करते तो शायद साक्षी भी बच जाती.

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Crime News: ये देश के दो अलग-अलग शहरों की दों तस्वीरें हैं। दोनों ही तस्वीरों में दो अलग-अलग लड़की है। और दो अलग-अलग हमलावर। दोनों हमलावरों के पास तेजधार हथियार हैं। दोनों ही हमलावर दोनों लड़कियों पर उसी तेजधार हथियार से हमला कर रहे हैं। इस हमले में एक लड़की दम तोड देती है। जबकि दूसरी लड़की बच जाती है। वो तो शुक्र है कि ये दूसरी तस्वीर दिल्ली की नहीं है। पुणे की है। अगर ये तस्वीर भी दिल्ली की होती तो शर्तिया ये लड़की भी मारी जाती। इसलिए मारी जाती क्योंकि दिल्ली वाले तमाशे के शौकीन हैं। यानी तमाशबीन हैं। जबकि पुणे के लोगों ने इस लड़की की जान बचा कर दिल्ली वालों को सीधे सीधे आईना दिखाया है। दिल्ली वाली तस्वीर हम आपको इसी वारदात में पहले ही दिखा चुके हैं। लेकिन आज इस मौके पर वही तस्वीर फेम दर फेम एक बार फिर दिखाएंगे। लेकिन उससे पहले पुणे से आई वो तस्वीर देख लेते हैं, जिसकी वजह से दिल्ली की तस्वीर याद आई है।

लोग घरों से अपने अपने काम के लिए निकलना शुरू हो चुके थे। बच्चे स्कूल कॉलेज जा रहे थे। ठीक उसी वक्त कैमरे में एक सफेद स्कूटी नजर आती है। स्कूटी एक लड़का चला रहा है। जबकि पीछे एक लड़की बैठी है। लड़की कॉलेज जा रही थी। तभी अचानक पीछे से दौड़ता हुआ एक लड़का आता है। वो लड़का और लड़की से कुछ कह रहा है। इसी दौरान स्कूटी चलानेवाला लड़का, उसे पीछे हटाता है। तभी दूसरा लड़का अपने बैग से एक तेजधार हथियार निकाल लेता है। सबसे पहले वो स्कूटी चालक पर ही हमला बोलता है। स्कूटी चला रहा लड़का घबरा जाता है। वो उससे बचते हुए पीछे की तरफ भागता है। इधर लड़की अपनी जान बचाने के लिए सामने की तरफ भागती है। सेकंड भर के इस खेल में अब तक बहुत से लोगों की नजर हमलावर लड़के, हथियार और भागती लड़की पर पड चुकी थी। फिर क्या था... एक एक कर राहगीर हमलावर लड़के की तरफ दौड़ने लगे। इधर दूसरी तरफ हमलावर लड़का भागती हुई लड़की पर तेजधार हथियार से अंधाधुंध हमला करने की कोशिश कर रहा था।

Delhi Crime News: पहले कैमरे से अब दोनों बाहर निकल चुके थे। इसके बाद एक दूसरे कैमरे में दोनों कैद हो जाते हैं। लडकी तेजधार हथियार के हमलों से शायद घायल हो चुकी थी। इसी हालत में खुद को बचाते हुए वो अचानक नीचे गिर पड़ती है। एक तरह से अब वो हमलावर के पूरी तरह से चंगुल में थी। हमलावर के सर पर खून सवार था। लड़की के बचने की उम्मीद ना के बराबर थी। लेकिन कमाल पुणे के लोग... खुद की जान की परवाह ना करते हुए यहां से गुजर रहे कई राहगीर तमाशबीन बन कर खड़े नहीं रहे, बल्कि उनके हाथों में जो भी मिला, उसी को लेकर हमलावर पर टूट पडे। थोडी ही देर में अब हमलावर भीड के शिकंजे में था। लोगों ने पहले उसकी पिटाई की, फिर उसे पुलिस के हवाले कर दिया। इस दौरान पुलिस भी मौके पर पहुंच चुकी थी। फौरन घायल लडकी को अस्पताल ले जाया गया। पुलिस और डॉक्टरों के मुताबिक लडकी की जान खतरे से बाहर है। उसके सिर और हाथों पे चोट आई थी। इलाज के बाद लड़की को अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई। और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पुणे के आम लोगों ने ऐन वक्त पर उस लडकी को उस सिरफिर से चंगुल से छुड़ा लिया था।

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हमलावर लड़के की पहचान शांतनु लक्ष्मण जाधव के तौर पर हुई है। पीड़ित लडकी ने पुलिस को बताया कि बीस साल का शांतनु काफी पहले से उसका पीछा कर रहा था। मंगलवार को भी उसने स्कूटी रोक कर उससे जबरन बात करने की कोशिश की थी। लड़की के इनकार करने पर उसने हमला बोल दिया। बकौल पुलिस शुरुआती जांच के मुताबिक मामला इकतरफा प्यार का है। पीड़ित लड़की ने ये भी कहा है कि वो काफी वक्त से उसे धमकी दे रहा था। अब जरा पुणे की इस तस्वीर को देख कर अंदाजा लगाइए कि पुणे के लोग भी एक सिरफिरे के हाथ में खंजर देख कर लड़की मदद करने के बजाय अपना मुंह मोड़ लेते या तमाशबीन बन कर तमाशा देखते रहते, तो क्या ये लड़की आज जिंदा होती?

Murder News: क्या अजीब इतेफाक है। पुणे की इस लड़की की जान पुणे के लोगों ने 27 जून को बचाई। पर ठीक एक महीने पहले 28 मई को दिल्ली वाले दिल्ली की साक्षी को बचा नहीं पाए थे। बल्कि उसे अपने सामने मरता देखते रहे। आईना दिखानेवाले पुणे की इस तस्वीर के बाद अब आइए 28 मई की दिल्ली की उस पत्थरदिल तस्वीर पर भी फिर से एक नजर डालते हैं। 28 मई की वो रात थी, शहर दिल्ली था और इलाका दिल्ली का शाहबाद डेरी। रात के करीब नौ बजे थे। सड़क से गुजर रही साक्षी को साहिल नाम का एक लडका अचानक रोक लेता है। इसके बाद पहले तेजधार हथियार और फिर पत्थरों से अंधाधुंध साक्षी पर हमला करता है। इस दौरान साहिल और साक्षी के पास से दर्जनों लोग गुजरते हैं। कुछ तो कुछ कदम दूरी पर खडे होकर बाकयदा तमाशा देख रहे होते हैं। कुछ तमाशा देखने के लिए पेड़ की ओट ले लेते हैं। लेकिन क्या मजाल जो एक भी शख्स साक्षी की मदद के लिए आगे आता। हालांकि जिस जगह लोग तमाशबीन बने खडे थे, वहीं पर पत्थरों का एक ढेर पड़ा था। अगर हर शख्स अपने-अपने हाथों में लेकर एक-एक पत्थर भी साहिल की तरफ उछाल देता, तो साक्षी आज जिंदा होती। कायदे से देखें तो पूरे देश को हर पैगाम दिल्ली से मिलता है। क्योंकि देश की राजधानी है। मगर इस बार पुणे के लोगों ने दिल्ली को पैगाम भेजा है। पैगाम इंसानियत का... पैगाम मरती हुई इंसानियत को बचाने का...

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Pragati Maidan: दिल्ली के पगति मैदान टनल के पास 24 जून की दोपहर को हुई तकरीबन 2 लाख रुपये की लूट की इस वारदात का पुलिस ने खुलासा तो कर दिया है, लेकिन अब इस लूटकांड को लेकर एक अलग ही कहानी सामने आ गई है। असल में दिल्ली पुलिस ने इस सिलसिले में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार करने के साथ-साथ उनके कब्जे से साढे 8 लाख रुपये बरामद कर लिए हैं। जबकि लूट की रकम पहले सिर्फ डेढ़ से दो लाख रुपये बताई गई थी। ऐसे में ये सवाल उठता है कि आखिर पुलिस ने इस सिलसिले में 7 लोगों को पकड़ कर उनके कब्जे से साढे 8 लाख रुपये कैसे बरामद कर लिए? तो क्या लूट की रकम को लेकर झूठ बोला गया था? तो पगति मैदान टनल के पास हुई लूटकांड से जुडे इन्हीं सवालों में इस वारदात का पूरा सच छुपा है।


लूट की इस वारदात ने लोगों को दहला दिया था। वजह ये कि ये वारदात ना सिर्फ एक हाई सिक्योरिटी इलाके में हुई थी, जहां से चंद मीटर के फासले पर सुप्रीम कोर्ट समेत तीन-तीन अदालते हैं, बल्कि आने वाले दिनों में टनल के ऊपर प्रगति मैदान में जी-20 देशों की एक समिट भी होनी है। ऊपर से इस वारदात की तस्वीरें भी सीसीटीवी कैमरे में साफ-साफ कैद हो गई थी। इन तस्वीरों में दिख रहा था कि किस तरह दो बाइक पर आए चार लुटेरों ने गन प्वाइंट पर एक टैक्सी को रोक कर उसमें बैठे लोगों से नोटों से भरा एक बैग महज 22 सेकंड में छीन कर फरार हो गए। चूंकि मामला हाई प्रोफाइल था, तो दिल्ली पुलिस फौरन एक्टिव मोड में आ गई। जांच के लिए नई दिल्ली और नॉर्थ दिल्ली के अलावा क्राइम ब्रांच की टीमों को भी तफ्तीश में शामिल किया गया। इस सिलसिले में पुलिस ने चांदनी चौक के इलाके से लेकर लूटपाट वाली जगह यानी प्रगति मैदान टनल से लेकर आगे कई अलग-अलग रास्तों पर लगे तकरीबन साढे तीन सौ सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की। सैकड़ों लोगों से पूछताछ की। लेकिन लुटेरों की पहचान एक अजीब से इतेफाक से हुई। पुलिस की मानें तो...

Delhi Loot: लूट में शामिल एक बदमाश दिल्ली के बुराडी इलाके में किराये के एक कमरे में रहता था। वारदात से एक रोज पहले उसने अपने कमरे में एक पार्टी की थी और इसी पार्टी में गलती से किसी से गोली चल गई। उसने और उसके साथियों ने गोली लगने से घायल अपने दूसरे साथी को दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में भर्ती करवाया। और भर्ती करवाने के लिए सफेद रंग की अपाचे बाइक लेकर गए। अभी पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी, तब तक लूट हो गई। अब पुलिस लूट के मामले की भी जांच करने लगी और इसी सिलसिले में सीसीटीवी फुटेज खंगाले जाने लगे। इतेफाक से इस सीसीटीवी फुटेज में भी एक सफेद रंग की अपाचे बाइक नजर आई, जिस पर लुटेरे सवार थे। और बस यहीं से बुराड़ी में चली गोली और टनल में हुई लूट का कनेक्शन जुड़ गया और पुलिस ने पूरे मामले का खुलासा कर दिया।

असल में पहले इस अपाचे बाइक का इस्तेमाल उस्मान ने किया था, जो ना सिर्फ इस लूट में शामिल था, बल्कि उसी ने ये पूरी साजिश भी रची थी। लेकिन वो लूट को खुद अंजाम देने नहीं गया था। उस्मान पहले कूचा महाजनी इलाके में एक डिलिवरी ब्वॉय के तौर पर काम करता था और उसे इस बात की खबर थी कि वहां से बडे पैमाने पर कैश टांजैक्शन का कारोबार होता है। उस्मान को बुरी आदतें भी थीं। जिसके चलते उस पर लाखों रुपये का उधार था। आईपीएल के दौरान सट्टा खेल कर भी उसने खुद पर लाखों का कर्जा चढ़ा लिया था। ऐसे में उसने लूट की प्लानिंग रची। इसमें अपने साथी इरफान को शामिल किया और फिर इरफान ने बाकी लुटेरों को। तय ये था कि उस्मान और इरफान सिर्फ रेकी करेंगे और कैश लेकर चांदनी चौक से चलने वाले लोगों के बारे में वारदात को अंजाम देनेवाले बाकी लुटेरों को खबर देंगे।

इसी के मुताबिक उस्मान और इरफान ने अनुज मिश्र उर्फ सनकी नाम के एक खूंखार बदमाश और उसके साथियों को चांदनी चौक से चली उस टैक्सी के बारे में खबर दी। जिसके बाद दो बाइक पर अनुज और उसके साथी कैश लेकर जा रहे कारोबारियों का पीछा करने लगे। और पीछा करते करते ही इन्होंने तय किया वो लूटपाट की वारदात को प्रगति मैदान टनल के पास अंजाम देंगे, क्योंकि वहां से आगे एक नहीं अलग-अलग कई रास्ते खुलते हैं। कोई सुप्रीम कोर्ट की तरफ, कोई हाई कोर्ट की तरफ तो कोई पटियाला हाउस कोर्ट की तरफ जाता है। ऐसे में अगर लूट के बाद कोई उनके पीछे भी पड़ जाए, तो किसी के लिए भी उन्हें पकड़ना मुमकिन नहीं होगा। साथ ही टनल में कोई आसानी से अपनी गाड़ी नहीं रोकेगा। इसी के बाद लूट को अंजाम दिया गया और चारों वहां से फरार हो गए।

अब बात लूटी गई रकम और उसके सस्पेंस की। लूट के फौरन बाद ओमिया इंटरपाइजेज से जुडे डिलिवरी एजेंट ने लूट की रकम महज डेढ-दो लाख रुपये बताई थी। इतना ही नहीं इतनी बड़ी वारदात हो जाने के बावजूद किसी ने मौके से पीसीआर कॉल तक नहीं की, बल्कि खुद ही शिकायत लेकर तिलक मार्ग थाने पहुंचे। जबकि पुलिस अब तक साढे 8 लाख बरामद कर चुकी है और इस वारदात में शामिल 3 से चार लोगों की गिरफ्तारी अभी बाकी है। ऐसे में शक है कि रकम साढे 8 लाख से भी कहीं बहुत ज्यादा 50 लाख की हो सकती है। अब सवाल उठता है कि अगर रकम पचास लाख की है, तो फिर पीड़ितों ने ही एफआईआर में रकम कम क्यों लिखवाई? तो इसके दो जवाब हो सकते हैं। मुमकिन है कि ये पैसा व्हाइट नहीं बल्कि ब्लैक मनी हो, जिसका हिसाब देने से खुद कारोबारी भी कतरा रहे हों। ऊपर से पुलिस वाले भी लूट की रकम कम दिखाना चाहते हों, जिससे मामले की गंभीरता को कम किया जा सके और बाद में जरूरत पड़ने पर रकम को दूसरे तरीके से एडजस्ट करना भी संभव हो। ज़ाहिर है, सच्चाई क्या है... इसका पता तो अब किसी और उच्च स्तरीय जांच से खुल सकता है।

सूत्रों की मानें तो लुटेरों ने इस वारदात को अंजाम देने के लिए लगातार तीन दिनों तक कूचा महाजनी इलाके में रेकी की और जब उन्हें कुछ डिलिवरी एजेंट को बड़े से बैग के साथ वहां से निकलते देखा, तो उसके पीछे पड़ गए। लुटेरों को उम्मीद थी कि बैग में कम से कम 1 करोड़ रुपये तो होंगे ही। लेकिन शायद उनका ये अंदाजा गलत निकला और शक है कि रकम तकरीबन 50 लाख रुपये निकली। अब तक की तफ्तीश में पता चला है कि इस वारदात में सिर्फ एक नहीं बल्कि तीन अलग-अलग गैंग के बदमाश शामिल थे, जो अपना-अपना हिस्सा लेकर अलग-अलग दिशाओं में भाग गए। इनमें एक गैंग उत्तर प्रदेश की ओर भागा और पकडे गए, जबकि दूसरा उत्तारखंड की ओर गया। जिन्होंने पकडे जाने से बचने के लिए अपना मोबाइल फोन भी हरिद्वार में गंगा में बहा दिए। लेकिन इसके बावजूद पकड़े गए। बहरहाल, पुलिस ने मामले को सुलझा तो लिया है, लेकिन अभी कई सवालों का जवाब मिलना बाकी है। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि रकम ठीक कितने की थी? रकम कम करके क्यों लिखवाई गई? इस वारदात में और कौन-कौन शामिल था?

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