शरिया क़ानून से ही महिलाओं को मिलेगा हक़, वो कंधे से कंधा मिला करेंगी काम, जानें तालिबान की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की 5 बड़ी बातें

ADVERTISEMENT

शरिया क़ानून से ही महिलाओं को मिलेगा हक़, वो कंधे से कंधा मिला करेंगी काम, जानें तालिबान की पहली प्...
social share
google news

Afghanistan Taliban's first press conference :

अफ़ग़ानिस्तान में कब्जा करने के बाद तालिबान पहली बार मीडिया के सामने आया. कैमरे पर पहली बार बयान जारी किया. इस दौरान तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुज़ाहिद ने कई ऐसी बड़ी-बड़ी बातें कहीं.

जिससे ऐसा लग रहा है कि तालिबान अपनी पुरानी छवि से बाहर निकलना चाहता है. तालिबानी प्रवक्ता से जब ये पूछा गया कि 1996 में तालिबान पहली बार सत्ता में आया था और 20 साल बाद फिर से काबिज हुआ, तो दोनों में क्या फर्क है?

ADVERTISEMENT

इस पर प्रवक्ता ने कहा कि, हम मुस्लिम हैं. इसलिए हमारी विचारधारा और विश्वास दोनों समान है. लेकिन अब वे पहले के मुक़ाबले ज्यादा अनुभवी हैं. पिछली बार की तुलना में तालिबान में आया ये बड़ा बदलाव है. इसलिए अब वे एक अलग दृष्टिकोण भी रखते हैं.

तालिबानी प्रवक्ता के इस दावे से एक बात तो साफ है कि जब विचारधारा और विश्वास वही 20 साल पहले वाला है तो ये महिलाओं के प्रति सोच में कितना बदलाव ला सकेंगे. और रही बात अनुभव ज्यादा होने की तो इसके मायने भी कुछ और ही है. दरअसल, तालिबान को अब ये समझ आ गया कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं और वैश्विक संगठन भी कोई चीज़ होती है.

ADVERTISEMENT

शायद यही वजह है कि तालिबान अब दुनिया के सामने अपनी छवि को बदलने का प्रयास कर रहा है. भले ही तालिबान के लड़ाके अपनी मनमर्जी कर रहे हों. तालिबान ने ये भी कहा कि लड़कियों को शिक्षा देने का वे विरोध नहीं करेंगे, लेकिन हाल में ही तालिबानी लड़ाकों ने स्कूल बंद करा दिए थे.

ADVERTISEMENT

ख़ैर, जैसा तालिबान अभी दावे कर रहा है, उनमें वाक़ई ऐसे बदलाव दिखने वाले हैं, ये तो वक़्त ही बताएगा. 17 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तालिबान की तरफ से किए गए वो दावे क्या हैं, उसे इन 5 बातों से समझते हैं.

AFGHANISTAN : जानिए कौन है मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर और हिब्तुल्लाह अख़ुंदज़ादा

जबीहुल्लाह मुज़ाहिद के प्रेस कॉन्फ्रेंस की 5 बड़ी बातें

  1. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ये आश्वसान देना चाहते हैं कि किसी को नुक़सान नहीं होने देंगे. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ कोई उलझन या विवाद नहीं चाहते. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हमें काम करने का अधिकार है. इसलिए हम अपने मूल्यों के मुताबिक, अफ़ग़ानों के लिए नियम और कानून तय करेंगे. ये हमारा अधिकार है.

  2. हम शरिया कानून के तहत ही महिलाओं के हक़ तय करेंगे. हम इसके तहत ही कानून बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. महिलाएं हमलोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगी. हमलोग इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं. हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पूरी दुनिया को ये भरोसा दिलाना चाहते हैं कि उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा.

  3. अफ़ग़ानिस्तान अब बदल चुका है. अब इसे संघर्ष का मैदान नहीं समझा जाए. हमने उन सभी को माफ़ी दे दी है, जिन्होंने हमारे ख़िलाफ़ लड़ाइयां लड़ी. विरोध किया. हम ये सोचते हैं कि अब हमारी दुश्मनी ख़त्म हो गई है.

  4. हम अब किसी को अपना दुश्मन ना ही मानते हैं और ना ही बनाना चाहते हैं. लिहाजा, हमारी नजरों में अब ना कोई बाहर और ना देश के भीतर कोई दुश्मन है. अब हम काबुल में अराजकता देखना नहीं चाहते हैं.

  5. अभी हम काबुल के अंदर नहीं आना चाहते थे. अभी काबुल के एंट्री प्वाइंट पर ही रुकने की योजना थी. लेकिन दुर्भाग्य से पिछली सरकार बहुत ही नाकाम थी. उसके पास क्षमता नहीं थी. उनके सुरक्षा बल पूरी तरह से विफल थे. ऐसे में हमें ही कुछ करना था. इसलिए काबुल के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए हमें काबुल में घुसना पड़ा.

Afghanistan-Taliban Crisis : आतंकी संगठन है तालिबान, FACEBOOK, INSTAGRAM और WHATSAPP पर बैन : फेसबुक प्रवक्ता अफ़ग़ानियों को रोकने के लिए ख़तरनाक दीवार बना रहा है ये देश, लंबाई 250 किमी, ऊंचाई 11 फुट, कंटीले तार और गहरी खाई

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT

    ऐप खोलें ➜