पाकिस्तानी ISI की मदद से तालिबान ने ऐसे किया पंजशीर पर कब्जा, सालेह ताजिकिस्तान भागे, पंजशीर ने कहा : जंग अभी जारी

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आखिरकार पाकिस्तान की मदद से तालिबान ने पंजशीर पर पूरी तरह से कब्जा कर लेने का दावा किया है. ये भी दावा है कि पंजशीर में प्रमुख नेता और पूर्व उप राष्ट्रपति अमरूल्लाह सालेह जिस जगह थे वहां भी ताबड़तोड़ हवाई हमले हुए. जिसके बाद अमरूल्लाह सालेह ताजिकिस्तान भाग गए. लेकिन, पंजशीर प्रांत ने हाल में ट्वीट करके ये दावा किया है कि उन्होंने अभी हार नहीं मानी है. वो आखिरी दम तक लड़ेंगे.

पाकिस्तान के ड्रोन अटैक से पलटा पासा

बताया जा रहा है कि पिछले दिनों पंजशीर की जवाबी कार्रवाई में तालिबान को मुंह की खानी पड़ी थी. इसके बाद तालिबान को पाकिस्तान से मदद मिली. बताया जा रहा है कि जिस तरह काबुल समेत अफ़ग़ानिस्तान के अन्य इलाक़ों में कब्जा करने के लिए पाकिस्तान ने मदद की थी उसी तरह से आखिरी दौर में भी मदद की. इस बार पाकिस्तान की तरफ से आए CH-4 ड्रोन ने ताबड़तोड़ कई अटैक किए.

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इसमें पंजशीर में एक गाड़ी पर दो मिसाइल दागीं गईं. इसी में पंजशीर के प्रवक्ता फहीम दश्ती और पांच अन्य लड़ाकों की मौत हुई थी. बता दें कि फहीम पत्रकार थे और इससे पहले वो काबुल डेली के एडिटर थे.

लेकिन 15 अगस्त को जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया तब से वे पंजशीर आ गए थे. तालिबानी हमले में अहमद मसूद के करीबी और पंजशीर बलों के प्रमुख सालेह मोहम्मद रेगिस्तानी की भी इन हमलों में मौत हुई है.

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इस घटना को लेकर तालिबानी प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने दावा किया है कि फहीम दश्ती की मौत हमलोगों की तरफ से हुए हमले में नहीं हुई है. ये भी कहा है कि तालिबान ने फहीम को मारने के संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया था.

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पाकिस्तान ISI ऐसे दे रहा तालिबान का साथ

अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान को कब्जा दिलाने में पाकिस्तान की सबसे बड़ी भूमिका रही है. इस बात की पुष्टि एक बार फिर पंजशीर में ISI द्वारा किए गए ड्रोन अटैक से हुई है. इससे पहले, पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के बीच फोन पर हुई बात में भी इसका खुलासा हुआ था.

फोन पर बातचीत के दौरान अशरफ गनी ने साफतौर पर कहा था कि तालिबान को पाकिस्तान पूरी तरह से मदद कर रहा है. हथियार से लेकर सभी जरूरी सामान मुहैया करा रहा हे. यहां बता दें कि आईएसआई अभी से नहीं बल्कि तालिबान जब पहली बार साल 1996 से 2001 से अफ़ग़ान पर कब्जा किया था तभी भी करीबी दोस्त है. उस समय भी यूएई, सऊदी अरब के अलावा पाकिस्तान ने ही तालिबान को मान्यता दी थी.

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