तो इसलिए तालिबान भारत से सीधी टक्कर नहीं लेगा

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तो इसलिए तालिबान भारत से सीधी टक्कर नहीं लेगा
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क्या ये सच में बदल गए हैं ?

क्या ये कभी भी बदल सकते हैं?

क्या इनकी कथनी और करनी में फर्क नहीं होगा?

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तालिबान पर यकीन करना दुनिया के लिए बहुत मुश्किल है. क्या पता दुनिया का भरम टूट ही जाए ? और ये वैसे के वैसे ही रहें जैसे पहले थे, हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार का जो डिजाइन तैयार किया गया है. उसका सीधा- सीधा इशारा तो इसी तरफ है कि पहले की तालिबानी सरकार और अब की सरकार में ज़्यादा फर्क होने वाला नहीं है.

क्या तालिबान अपने आतंकी चरित्र को छोड़कर एक जिम्मेदार सरकार की तरह काम करेगा क्योंकि तालिबान के सामने भी ये चुनौती है कि उसकी सरकार को दूसरे देश मान्यता दें. ऐसे में तालिबान की रणनीति क्या होगी।

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हालांकि अब हालात बदल गए हैं.

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ना 1990 वाली दुनिया है .

ना 1990 वाला हिंदुस्तान.

लिहाजा तालिबान के ऊपर भी दुनिया का भरोसा जीतने का भी दवाब है क्योंकि पूरी दुनिया से लोहा लेकर तालिबान का बच पाना मुश्किल है. भारत की पूरी दुनिया में स्वीकार्यता है. ये बात तालिबान बखूबी जानता है. ऐसे हालात में तालिबान भारत से भी सीधी टक्कर नहीं लेगा. वहीं भारत भी तालिबान पर फूंक फूंक कर कदम उठा रहा है. ये माना जा रहा है कि भारत तालिबान से ना तो दूरी बनाएगा ना मजबूत संबंधों की दिशा में आगे बढ़ेगा.

क्या ये उम्मीद की जा सकती है कि तालिबान अपनी पहली वाली सरकार की गलतियों को नहीं दोहराएगा. हालांकि भी वो शरियत का ही कानून चाहता है. लेकिन इसके बावजूद क्या इस बार उसका रुख नरम हो सकता है.

जहां तक कश्मीर का सवाल है तो तालिबान की तरफ से बीते 7 दिनों में दो अलग-अलग बयान आये हैं. पहले तालिबान के प्रवक्ता ने कहा था कि तालिबान को

"कश्मीर में मुसलमानों के लिए आवाज़ उठाने का अधिकार है".

अब कश्मीर पर तालिबान का बयान भी बदल गया है अब तालिबान की तरफ से कहा गया है कि भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे और कश्मीर का मसला भारत-पाकिस्तान के बीच का मसला है।

तालिबान का कश्मीर पर बदला बयान भी भारत के लिए चिंता की बात है. एक और चिंताजनक संकेत चीन के साथ अफ़ग़ानिस्तान की नई सरकार का जुड़ाव कैसा होगा, ये देखने वाली बात होगी. हालांकि तालिबान के सामने अभी कई चुनौतियां आने वाली हैं. जिनमें खासतौर से तालिबान सरकार की चुनौतियां

अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था

अफ़ग़ानिस्तान में कानून व्यवस्था

अफ़ग़ानियों का भरोसा जीतना

इन तमाम चुनौतियों को पूरा करने के लिए तालिबान को अपनी कार्यशैली में बदलाव करने की जरूरत है. अब तक तालिबानियों ने बंदूक की दम पर सत्ता हासिल की है. लेकिन सरकार चलाने और बंदूक चलाने में काफी अंतर है. लिहाजा तालिबान को अपनी छवि बदलने के लिए कई बड़े कदम उठाने होंगे.

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