WHO की REPORT: अफगानिस्तान में 150 प्रेग्नेंट महिलाओं की मौत हर रोज होगी

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WHO की REPORT: अफगानिस्तान में 150 प्रेग्नेंट महिलाओं की मौत हर रोज होगी
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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा करने के बाद देश में हर तरफ चिल्लाहट मची हुई है। तालिबान के खौफ की वजह से हजारों लोग हर रोज देश छोड़ने के लिए एयरपोर्ट की ओर भाग रहे हैं। जिससे अफगानिस्तान में गहरा मानवीय संकट पैदा हो गया है।

अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने अफगानिस्तान को लेकर लोगों को आगाह करते हुए कहा है कि तालिबान के कब्जे के बाद से देश में मानवीय संकटों की एक सीरीज शुरु हो गई है जिसमें हेल्थ के अलावा भी कई चीजें शामिल हैं।

अफगानिस्तान के लोग भूखमरी और बिमारियों की चपेट में हैं। इनमें सबसे जायादा बुरा हाल बच्चों और महिलाओं का है। इनकी संख्या 1 करोड़ से भी ज्यादा है।

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अगर विश्व बैंक BPHS और EPHS को फंड देना बंद कर देता है, तोअफगानिस्तान में प्रतिदिन कम से कम 150 प्रेंगनेंट महिलाओं की मौत हो जाएगी। एक तरीके से आप ये कह सकते हैं कि इस दौर का सबसे खराब मानव स्वास्थ्य संकट का इतिहास अफगानिस्तान में बन रहा है।

COVID-19 की चौथी लहर अक्टूबर में अफगानिस्तान को प्रभावित कर सकती है। हमारे गरीब लोग विश्वासघात की कीमत चुका रहे हैं।

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जिसे अफगानी कभी नहीं भूल पाएंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शनिवार यानी की 28 अगस्त को एक बयान जारी कर अफगानिस्तान में स्वास्थ्य देखभाल की हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि यहां अनगिनत लोग संघर्ष के चलते भूख और बीमारी की चपेट में हैं।

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WHO के मुताबिक देश की आधी आबादी को मानवीय मदद की जरूरत है जिसमें करोड़ों बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूनाइटेड नेशन के स्पोकपर्सन तारिक जसारेविक ने भी अपने एक बयान में कहा कि अफगानिस्तान में मौजूदा सूखे से पहले से ही हालात काफी खराब है जो कि और बिगड़ सकती है।

WHO के प्रवक्ता ने कहा, "महिला स्वास्थ्य कर्मियों तक महिलाओं की पहुंच सुनिश्चित करने पर ध्यान देने के साथ देश भर में बिना किसी रुकावट के स्वास्थ्य सेवाओं का निरंतर जारी रहना जरूरी है।"

इस ओर एक अच्छा कदम उठाया है यूनाइटेड किंगडम ने।विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूनाइटेड किंगडम ने कहा है कि वह तालिबान से भागकर देश में आने वाले अफगान शरणार्थियों को कोविड -19 के टीके लगवाएगा। कई देश जैसे इंग्लैंड, स्कॉटलैंड वहां आने वाले अफगानों को रहने की जगह और उनकी हेल्प के लिए इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल कर रहे हैं।

यूके ने तो शरणार्थीओं की मदद के लिए मानवीय सहायता की अपनी राशि को दोगुना करने वाला है। जो कि लगभग 20,000 कमजोर अफगानों को फिर से बसाना चाहता है।

यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फार रिफ्यूजी (UNHCR) ने शनिवार को ही देश में आवश्यक मानवीय सहायता उपल्ब्ध करने के लिए "निरंतर समर्थन" की अपील की है।

और "अफगानिस्तान के भीतर मौजूदा मानवीय जरूरतों" के बारे में अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि मौजूदा हालातों के चलते अगले चार माह में पांच लाख से ज्यादा अफगान नागरिक अफगानिस्तान छोड़ देंगे। पूरे देश में जमीनी स्तर पर हालात बेहद ही खराब है।

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