पहली बार पढ़िए ISIS पर एयर स्ट्राइक की इनसाइड स्टोरी, आत्मघाती दस्ते ने 5 गुना ज्यादा विस्फोटक से किया था धमाका

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पहली बार पढ़िए ISIS पर एयर स्ट्राइक की इनसाइड स्टोरी, आत्मघाती दस्ते ने 5 गुना ज्यादा विस्फोटक से क...
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26 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर आत्मघाती बमबारी हुई थी। इस धमाके में अबतक 170 लोगों की मौत हो चुकी है। और घायलों की संख्या अभी भी करीब 150 से ज्यादा है। इन मरने वालों में 1 दर्जन अमेरिकी सैनिक भी थे। काबुल एयरपोर्ट पर हुए इस धमाके के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन ने बदला लेने का वादा किया था। ये तो सबको पता था कि अमेरिका बदला लेगा लेकिन इतनी तेजी से कार्रवाई की उम्मीद किसी ने नहीं की थी। पर अमेरिका ने अपने सैनिक के मारे जाने का बदला ले लिया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के वादे पर तेजी से कार्रवाई करते हुए, अमेरिकी सेना ने बयान जारी कर बताया कि काबुल हवाईअड्डे पर घातक बम धमाके के जवाब में अमेरिका ने अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर हवाई हमले किए। ये अटैक शनिवार तड़के नंगहार प्रांत में अमेरिका के खिलाफ हमलों की योजना बनाने में शामिल आईएस के आतंकी के खिलाफ किया गया है। इस ड्रोन हमले में इस्लामिक स्टेट समूह के एक आतंकवादी मारा गया है। हालांकि इस पर बात करते हुए नेवी के प्रवक्ता कैप्टन विलियम अर्बन ने कहा। ये स्पष्ट नहीं है कि जो आदमी मारा गया है वो गुरुवार को हुए आत्मघाती विस्फोट में सीधे तौर पर शामिल था

बता दें कि काबुल में दो आत्मघाती बम धमाके के बाद अमेरिका ने बदले में बड़ी कार्रवाई की है। जिसमें अमेरिका ने अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत में आईएसआईएस खुरासान के ठिकाने पर ड्रोन अटैक किया है, इस अटैक में एक आतंकी के मारे जाने की सूचना आई है। बताया जा रहा है कि अमेरिकी फोर्स जबरदस्त स्ट्राइक की है।

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काबुल एयरपोर्ट पर धमाकों के बाद अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि इस हमले का बदला लिया जाएगा। हमले के अपराधी छिप नहीं पाएंगे। "हम आपका शिकार करेंगे और आपको भुगतान करना होगा" काबुल एयरपोर्ट पर गुरुवार को हुए धमाकों की जिम्मेदारी ISIS के खुरासान ग्रुप ने ली थी।

अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट के आसपास के एरिया में लोगों को दूर रहने की सलाह दी है क्योंकि खतरा अभी टला नहीं है।वहां पर एक और घातक हमले की आशंका हैं, कभी भी कोई बम धमाका हो सकता है। इसको सीरियसनेस दिखाते हुए राष्ट्रपति ने शुक्रवार को चेतावनी दी थी कि वे एक और घातक हमले की उम्मीद कर सकते हैं, जो कि अमेरिकी सेना के निकलने के अंतीम दिन में होगा। जिके बाद काबुल हवाई अड्डे पर अधिकतम सुरक्षा उपाय किए जा रहे हैं। हालांकी एक देन बाद ही हवाईअड्डे पर हमले के बारे में कुछ नए विवरण सामने आए, जिसके बाद पेंटागन ने अपनी पहली रिपोर्ट में सुधार किया कि बैरन होटल में दूसरी बमबारी की प्रारंभिक रिपोर्ट गलत थी।एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रारंभिक अंदाजे के आधार पर, अमेरिकी अधिकारियों का मानना ​​​​है कि हमले में इस्तेमाल किया गया Explosive belt, जिसमें 13 अमेरिकियों के अलावा कम से कम 169 अफगान मारे गए थे, लगभग 25 पाउंड विस्फोटक थे और छर्रे से लदे थे। एक आत्मघाती बम में आम तौर पर पांच से 10 पाउंड विस्फोटक होते हैं,

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बाइडेन अभी भी अफगानिस्तान में स्थित संभावित चरमपंथी खतरों का सामना कर रहा है, वहां पर इन हालातों में सैन्य उपस्थिति कठिन होगा। सीआईए की पूर्व विश्लेषक और सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी के डिप्टी स्टाफ डायरेक्टर एमिली हार्डिंग ने कहा कि उन्हें बाइडेन के इस आश्वासन पर संदेह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका अफगानिस्तान की सीमाओं पर आतंकी खतरों की निगरानी और हमला करने में सक्षम होगा।

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शुक्रवार को ओवल ऑफिस में बिडेन ने हमले के पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। आने वाले दिनों में अमेरिकी सैन्य सदस्यों के अवशेषों की वापसी न केवल काबुल हवाई अड्डे पर तबाही की दर्दनाक और मार्मिक याद दिलाएगी बल्कि युद्ध के समाप्त होने के महंगे तरीके की भी याद दिलाएगी।

युद्ध में 2,400 से अधिक अमेरिकी सेवा सदस्य मारे गए और पिछले दो दशकों में दस हज़ार घायल हुए। वहीं मरीन कॉर्प्स ने कहा कि मारे गए 13 अमेरिकियों में से 11 मरीन थे। एक नौसेना का नाविक और एक सेना का सिपाही था। उनके नामों को उनके परिवारों को जानकारी नहीं दी गई है। पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि कभी-कभी लंबी प्रक्रिया में "कठिन बातचीत" शामिल होती है।

फिर भी, मारे गए लोगों के नाम सामने आने लगे थे। व्योमिंग का एक मरीन अफगानिस्तान के अपने पहले दौरे पर था और कुछ हफ्ते में उसकी पत्नी बच्चे को जन्म देने वाली है। एक सैनिक जिसकी एज अभी 20 साल है उसकी शहीद हो जाने के बाद उसके पिता सदमें में हैं। टेक्सास का ये 20 वर्षीय सैनिक हाई स्कूल के बाद ही अमेरिकी सेना में भर्ती होकर देश की सेवा में शामिल हो गया था।

जिस गति के साथ अमेरिकी सेना ने जवाबी कार्रवाई की, वह आईएस की करीबी निगरानी और दुनिया के दूरदराज के हिस्सों में चरमपंथियों को निशाना बनाने के वर्षों के अनुभव को दर्शाती है। लेकिन यह चरमपंथी खतरों को खत्म करने के लिए अमेरिकी शक्ति की सीमा को भी दर्शाता है, जो कुछ लोगों का मानना ​​​​है कि अब अफगानिस्तान में आंदोलन की अधिक स्वतंत्रता होगी क्योंकि तालिबान सत्ता में है।

वहीं अफगानिस्तान द्वारा बीते दिनों अमेरिकी सेना को 31 अगस्त तक लोगों को इवैक्युएट करके अफगानिस्तान से निकल जाने की चेतावनी दी गई थी। इसके बाद इस घटना के बाद ISIS-K के तार तालिबान से भी जुड़ने लगे हैं।हालांकि तालिबान इस बात को मानने से इनकार कर रहा है और इस हमले के पीछे अमेरिकी शासन का हाथ बता रहा है।

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