अमरमणि, आनंद मोहन के बाद अब डॉन बबलू श्रीवास्तव पूछ रहा : मेरी रिहाई कब
Bablu Srivastava Case : यूपी का किडनैपिंग किंग बबलू श्रीवास्तव अब क्यों पूछ रहा है मेरी रिहाई कब.
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Kidnapping don Bablu Srivastava : यूपी का एक डॉन। नाम ओमप्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू श्रीवास्तव। वही बबलू श्रीवास्तव जिसे भारत में किडनैपिंग इंडस्ट्री का सबसे बड़ा किंगपिन भी कहा जाता है। पिछले कुल 28 साल से ज्यादा वक्त से जेल की सलाखों में है. जवानी की उम्र में जेल गया और अब सीनियर सिटिजन वाली दहलीज पर आ चुका है. करीब-करीब 60 की उम्र के पार. हाल में ही जिस जेल में वो किडनैपिंग किंग बंद है वहां के जेलर ने कैरेक्टर सर्टिफिकेट में अच्छा आचरण वाली बात लिखी है. यानी बबलू श्रीवास्तव का जेल में आचरण भी ठीक है. फिर ये सवाल उठता है कि जब उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों को रिहाई मिल रही है तो एक और को क्यों नहीं. यहां हम किसी दोषी की रिहाई का पक्ष नहीं ले रहे हैं बल्कि ये सवाल उठा रहे हैं कि जब अदालत ने सजा दी है तो फिर सरकारें पक्षपात क्यों करती हैं. अगर किसी दोषी की रिहाई का पैमाना उसका जेल में गुजारा जाने वाला अच्छा कैरेक्टर और 14 साल से ज्यादा का वक्त है तो ऐसे तमाम कैदियों की भी रिहाई एक उनके साथ मिलने वाला इंसाफ जैसा ही है. लेकिन अगर हाल के कुछ केसों पर चर्चा करेंगे तो इसमें भी काफी कुछ अलग नजर आएगा. पढ़िए शम्स ताहिर खान के साथ संजय शर्मा की ये स्पेशल रिपोर्ट
इन 3 केस पर पहले नजर डालिए
सबसे पहले बिलकिस बाने केस की. बिल्किस बानो केस 11 दोषियों को उम्र क़ैद 14 साल बाद सभी रिहा।
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बिहार के बाहुबली नेता आनंदमोहन की रिहाई। गोपालगंज डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड बाहुबली नेता आनंदमोहन को पहले फांसी और फिर उम्र क़ैद 16 साल बाद रिहा।
मधुमिता शुक्ला हत्याकांड पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उसकी बीवी मधुमणि को उम्र कैद 20 साल बाद पति-पत्नी दोनों रिहा हालांकि इनमें से दस साल से ज्यादा अस्पताल में रहे।
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जेल में व्यवहार अच्छा का इन तीनों को मिला रिहाई का इनाम
वक्त से पहले इन तमाम लोगों की रिहाई को लेकर तमाम सवाल उठे। लेकिन दलील दी गई कि जेल में इनका बर्ताव बहुत अच्छा था। फिर अच्छी खासी उम्र भी कैद में काट डाली। इसीलिए इनकी रिहाई तो बनती है। तो अगर जेल के अंदर एक तय उम्र काटने वाले कैदियों का अच्छा आचरण और उसकी ढलती उम्र ही वक्त से पहले उसकी रिहाई का पैमाना है तो फिर इस लेटर के बारे में क्या कहेंगे? उम्र कैद में से कायदे से सिर्फ 12 -13 साल जेल में काटने वाले अमरमणि को तो यूपी सरकार रिहा कर देती है। लेकिन यहां एक कैदी पिछले 28 सालों से उम्र कैद की सजा काट रहा है, और खुद जेलर ये लिख रहा है कि उसका आचरण अच्छा है, फिर भी वो रिहा नहीं होता।
बबलू श्रीवास्तव का जेल में कैरेक्टर : अच्छा
Bablu Srivastava Story : ये बरेली सेंट्रल जेल के जेलर का 18 अगस्त 2023 का निरुद्धि प्रमाण पत्र है। यानी एक तरह से स्कूल कॉलेज में छात्रों को दिए जाने वाला कैरेक्टर सर्टिफिकेट। ये कैरेक्टर सर्टिफिकेट 80 के दशक के डॉन रहे, उस ओमप्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू श्रीवास्तव का है जिसे भारत में किडनैपिंग इंडस्ट्री का सबसे बड़ा किंगपिन भी कहा जाता है। बरेली जेल से जारी इस कैरेक्टर सर्टिफिकेट में लिखा है कि 18 अगस्त 2023 तक बबलू श्रीवास्तव ने कुल 28 साल तीन महीने और 28 दिन जेल में काटे। जबकि जेल में मिलने वाली छुट्टियां और छूट को जोड़ दें तो 18 अगस्त 2023 तक बबलू श्रीवास्तव जेल के अंदर कुल 33 साल तीन महीने और 14 दिन से बंद है।
जेलर की आखिरी लाइन है कि बंदी का इस कारागार में आचरण अच्छा है। हाल के वक्त में जिस तरह उम्र कैद को वक़्त से पहले रिहाई मिल रही है उससे बबलू श्रीवास्तव को भी उम्मीद जगी है। जेल के कैरेक्टर सर्टिफिकेट और एक उम्र कैद में दो उम्रकैद काटने वाले बबलू ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में वक्त से पहले रिहाई की अर्जी लगाई है।
21 अप्रैल 1995 को सिंगापुर से CBI ने किया था बबलू को गिरफ्तार
Bablu Srivastava in Jail : बबलू श्रीवास्तव के वकील सैयद अहमद सऊद ने कहा है कि दरअसल बबलू श्रीवास्तव इस वक़्त बरेली जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है। बबलू श्रीवास्तव पर कस्टम अफसर एल डी अरोड़ा के कत्ल की साजिश में शामिल होने का इल्जाम था। बबलू को 21 अप्रैल 1995 को सीबीआई की टीम सिंगापुर से गिरफ्तार करके लाई थी। गिरफ्तारी के बाद बबलू कुछ वक़्त तिहाड़ जेल में रहा फिर वहां से कानपुर जेल में, फिर कानपुर से नैनी जेल। उसके बाद 1999 में बबलू को बरेली सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया गया। पिछले 24 सालों से बबलू इसी बरेली जेल में बंद है। 28 साल के बाद बबलू अब कुछ यूं दिखता है। बबलू के खिलाफ कुल चार बड़े मामले थे। जिनमें से तीन में वो बरी हो गया। जबकि कस्टम अफसर एलडी अरोड़ा मर्डर केस की साजिश में बबलू को उम्र कैद की सजा मिली। पिछले 28 सालों से वो यही सजा काट रहा है।
बबलू श्रीवास्तव ने जेल से ही लिखीं दो किताबें
Bablu Srivastava Books : बबलू श्रीवास्तव के वकील सैयद अहमद सऊद कहते हैं कि जेल में रहने के दौरान बबलू श्रीवास्तव ने दो किताबें लिखीं। लेकिन अब 60 पार कर चुका बबलू आंखों की रोशनी से परेशान है। उसकी रोशनी धीरे धीरे कम हो रही है। साथ ही बढ़ती उम्र की कई बीमारियों से भी वो घिरा है। बबलू के वकील के मुताबिक अगर मेरिट के हिसाब से जाएं तो जिस तरह हाल में उम्र कैद की सजा पाए कई कैदियों को वक्त से पहले रिहा कर दिया गया वैसे ही बबलू को भी रिहा कर दिया जाना चाहिए।
बबलू के वकील ने कहा कि बरेली सेंट्रल जेल के इस कस्टडी सर्टिफिकेट के हिसाब से पिछले 28 सालों में बबलू को कोई पेरोल नहीं मिला। यानी इस पूरी मुद्दत में वो एक दिन के लिए भी जेल से बाहर नहीं गया। जबकि उधर बाबा राम रहीम साल में दो चार चक्कर घर आश्रम के लगा ही आते हैं।
सैयद अहमद सऊद कहते हैं कि हालांकि पिछले दो चार सालों में कई बार ऐसी अफवाह उड़ी थी कि बबलू को वक्त से पहले रिहायी मिल रही है। अभी पिछले महीने अगस्त में ही मीडिया में ये खबरें तैर रही थी कि 15 अगस्त के मौके पर यूपी सरकार बबलू को रिहा कर देगी। बबलू तो रिहा नहीं हुआ, हां अमरमणि और मधुमणि जरूर रिहा हो गए। जबकि अमरमणि पर सात महीने की एक गर्भवती महिला के कत्ल का इल्जाम था।
राज्य सरकारें ही करती हैं रिहाई की फरमान तो बबलू को क्यों नहीं
Bablu Srivastava Case : सैयद अहमद सऊद कहते हैं कि अमूमन वो केस जिसकी जांच सीबीआई करती है और सीबीआई ही सजा दिलाती है, ऐसे केस में सजा पाए कैदियों की रिहाई के लिए जरूरी है कि राज्य सरकार के साथ साथ उस सेंट्रल एजेंसी की भी राय ली जाए। बिल्किस बानों केस से लेकर आनंद मोहन और अमरमणि केस की जांच भी सीबीआई ने की थी। लेकिन रिहाई का फरमान राज्य सरकार ने जारी किया। ठीक ऐसे ही बबलू केस में भी उसकी रिहाई का फरमान यूपी सरकार ही जारी कर सकती है। इसीलिए बबलू ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से साथ साथ योगी सरकार के यहां भी वक्त से पहले रिहाई की अपनी अर्जी लगाई है।
क्यों बबलू की जान को है खतरा
Bablu Srivastava News : हालांकि कहा जाता है कि बबलू श्रीवास्तव ने देश के बाहर चलाए गए कई ऑपरेशन में भारतीय एजेंसियों की मदद की है। खासकर नेपाल, यूएई, बांग्लादेश और पाकिस्तान में। ऐसे में सेंट्रल एजेंसियां बबलू की वक्त से पहले रिहाई में रोड़ा अटकाएंगी इसकी उम्मीद कम है। यानी पूरा मामला राज्य सरकार में लटका है। हालांकि कहा ये भी जाता है कि जेल के बाहर बबलू श्रीवास्तव की जान को खतरा है खासकर डी कंपनी से।
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