पब्लिक की मदद के लिए कोई बाहुबली समझे तो गलत क्या? विरोधी जान लें, 'मेरा नाम है मदन भैया'

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पब्लिक की मदद के लिए कोई बाहुबली समझे तो गलत क्या? विरोधी जान लें, 'मेरा नाम है मदन भैया'
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गाजियाबाद से मनीषा झा, विनोद शिकारपुरी के साथ सुनील मौर्य की रिपोर्ट

यो भैया का तो गजब का भौकाल है. एही वजह से तो हमलोग उन्हें मदन भैया कहते हैं. वैसे नाम तो उनका मदन गोपाल कसाना है. लेकिन कोई उनके पास मदद के लिए जाए और भैया किसी को फोन कर दें, तो समझो उस काम को अब कोई माई का लाल नहीं रोक सकता है.

ये बातें बाहुबली और दबंग नेता की छवि रखने वाले मदन भैया के लिए उनकी विधानसभा सीट के लोगों ने कही. लेकिन खुद बाहुबली नेता क्या सोचते हैं और क्या कहते हैं. अब जरा उसे भी जान लेते हैं.

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मदन भैया गाजियाबाद की लोनी विधानसभा सीट से सपा-रालोद गठबंधन से प्रत्याशी हैं. लेकिन विरोधी दल के नेता इन्हें दबंग और बाहुबली छवि वाला कहते हैं. इस सवाल के जवाब में मदन भैया तपाक से कहते हैं, कुछ लोगों का काम है कहना.

लेकिन वो लोग एक सीमा में रहकर ही बयान दें. क्योंकि जो लोग आरोप लगा रहे हैं वो पब्लिक से किए वादे को तो पूरा नहीं किए. मुंह छुपाकर चलते हैं. खुद पर भी कई मामले दर्ज हैं. लेकिन अपने गिरेबां में नहीं देखते हैं. वो भूल जाते हैं कि मेरा नाम भी मदन भैया है.

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पुलिस पर फायरिंग और बूथ कब्जे का है मामला दर्ज

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Bahubali Madan Bhaiya Story : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सपा-रालोद गठबंधन (SP-RLD alliance) से मदन भैया ने गाजियाबाद की लोनी सीट के लिए नामांकन किया है. बाहुबली मदन भैया ने शपथ पत्र ने खुद पर चुनाव के दौरान दो मुकदमे दर्ज होना बताया है.

दोनों मामले बड़े दबंगों वाली है. एक तो साल 2001 में पुलिस पर फायरिंग कराने का ही है. दूसरा केस तो बूथ कैप्चरिग का. वही बूथ कैप्चरिंग का जिसमें ये कहा जाता है कि चुनाव जीतने के लिए बूथ पर कब्जा कर लेना. इनके इन चर्चों पर यूपी के सीएम योगी भी कमेंट मार चुके हैं.

लोगों की मदद करने पर कोई बाहुबली कहे तो मैं हूं

क्राइम तक से बात करते हुए मदन भैया कहते हैं कि अक्सर लोग हमें बाहुबली कहते हैं. हम तो पब्लिक के लिए हैं और रहेंगे. अब पब्लिक के लिए कुछ करते हैं तो कुछ गिने चुने लोग ही उसे बाहुबली कह देते है. अगर कोई इसे बाहुबली कहता है तो कहे. क्योंकि मैं तो पब्लिक के लिए हमेशा से हूं और रहूंगा.

वो ये भी कहते हैं कि बाहुबली होना कोई बुरी बात नहीं है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सरकारी सिस्टम में इतना भ्रष्टाचार है कि उसे दूर करने के लिए बाहुबली रहना जरूरी है. अब आप खुद लीजिए कि किसी विकास के लिए जितना बजट आता है उसमें से आधे से ज्यादा तो भ्रष्टाचार में ही खत्म हो जाता है. ऐसे में अगर हम रहते हैं तो 90 फीसदी से ज्यादा पैसों का विकास कार्य में लगना तय है.

करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं मदन भैया

लोनी से रालोद प्रत्याशी मदन भैया के शपथपत्र से पता चलता है कि साल 1996 में चुनाव के दौरान जावली गांव में बूथ कैप्चरिग के आरोप में उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ था. दूसरा मामला साल 2001 में पुलिस पर फायरिंग कराने का है.

मदन भैया ने बीए फर्स्ट ईयर तक की पढाई की है. शपथपत्र के अनुसार, इनके पास 28.15 लाख रुपये की चल और 13.70 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है. हालांकि, इन पर 40.50 लाख रुपये का कर्जा भी है. वहीं, इनकी पत्नी गीता देवी के पास 60.87 लाख रुपये की चल संपत्ति और 1.50 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है.

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