UP Election : गौतमबुद्ध नगर के चुनाव पर नहीं है जुर्म की काली छाया! जानिए क्या है वजह?

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UP Election : गौतमबुद्ध नगर के चुनाव पर नहीं है जुर्म की काली छाया! जानिए क्या है वजह?
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  • गौतमबुद्ध नगर के चुनाव में इस बार नहीं है जुर्म की काली छाया!

  • करीब 15 लाख वोटर चुनेंगे नोएडा, दादरी और जेवर के विधायक

  • कभी भाटी और दुजाना के इशारे पर तय होती थी यहां हार-जीत

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    गौतमबुद्ध नगर से मनीषा झा और विनोद शिकारपुरी के साथ सुप्रतिम बनर्जी की रिपोर्ट

    UP Election 2022 GautamBudh Nagar : गौतमबुद्ध नगर के चुनाव में इस बार नहीं है जुर्म की काली छाया! क्योंकि जेल में बंद गैंगस्टर सुंदर भाटी और अनिल दुजाना को पड़े जान के लाले जो कभी गौतमबुद्ध नगर पर राज करते थे आज उनका कोई 'नाम लेवा' नहीं 15 लाख से ज़्यादा वोटर चुनेंगे नोएडा, दादरी और जेवर के विधायक कभी भाटी और दुजाना के इशारे पर तय होती थी हार-जीत. CRIME TAK पर जानिए गौतमबुद्ध नगर की तीन विधानसभाओं सीट के बारे में.

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    इंडस्ट्रियल एरिया नोएडा की चुनावी सीट को समझिए

    UP Election News : ये नोएडा है. नोएडा.. यानी नवीन ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ऑथोरिटी. और जैसा कि इसके नाम से ही ज़ाहिर है इस शहर की बुनियाद में ही इंडस्ट्री है, उद्योग हैं. लेकिन ये भी सही है कि अगर दुनिया में कहीं भी कोई उद्योग लगता है, तो उसके प्रोडक्ट के साथ-साथ बाइ-प्रोडक्ट भी अपने-आप सामने आने लगता है.

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    और इत्तेफ़ाक से नोएडा यानी गौतमबुद्ध नगर का ये बाइ-प्रोडक्ट क्राइम है. गौतमबुद्ध नगर के पिछले पांच सालों के क्राइम के आंकड़ों पर गौर करें, तो ये बात साफ़ भी हो जाती है. यहां हर साल आईपीसी की धाराओं के तहत औसतन 10 से 12 हज़ार मामले दर्ज किए जाते हैं और ये आंकड़े बताते हैं कि इन अपराधों में सबसे ज़्यादा तादाद जहां चोरी की वारदातों की है, वहीं दूसरी सबसे ज़्यादा तादाद दंगों (सारे सांप्रदायिक नहीं) की है और तीसरी गुनाह-ए-अज़ीम यानी क़त्ल की.

    नोएडा में साल 2019 में चोरी के 248 मामले दर्ज किए गए थे साल 2020 में 181 मामले और पिछले साल यानी 2021 में143 मामले दर्ज हुए. इसी तरह साल 2019 में दंगों के 192 मामले दर्ज हुए 2020 में 129 और 2021 में 125 मामले सामने आए. जबकि क़त्ल के मामलों की बात करें तो साल 2019 में 96 2020 में 81 और 2021 में 79 मामले सामने आए.

    अपराधों से समझिए शहर के मिजाज को

    Noida Election News : इन तीनों अपराधों के आंकड़ों में इस शहर के मिज़ाज को समझा जा सकता है, जो कहीं ना कहीं इसके मेहनतकश मज़दूरों का शहर होने की तरफ़ इशारा करता है. और अब पूरे यूपी के साथ-साथ मज़दूरों के इस शहर यानी नोएडा में भी चुनाव की रणभेरी बज चुकी है.

    गौतमबुद्ध नगर के तीन विधान सभा क्षेत्रों यानी नोएडा, दादरी और जेवर के क़रीब 15 लाख लोग अपने-अपने इलाक़े के नुमाइंदे यानी एमएलए चुननेवाले हैं. लेकिन दूसरे सालों से अलग इस बार गौतमबुद्ध नगर के चुनावों से अपराध की काली छाया ग़ायब है. पिछले पांच सालों में पूरे यूपी में अपराधियों के ख़िलाफ़ हुई सख़्ती के बाद बड़े अपराधियों के हौसले बुरी तरह पस्त हुए हैं.

    कई मारे गए हैं और जो बचे हैं, वो जेल में हैं. हालांकि ज़िले में वैसे जुर्म की अब भी कोई कमी नहीं, जो आम आदमी की रोज़ाना की ज़िंदगी पर अपना असर डालते हैं. अगर छोटे-मोटे अपराधियों को छोड़ दिया जाए, तो हाल के सालों में सुंदर भाटी और अनिल दुजाना ही वो दो नाम हैं, जिन्होंने नोएडा में जुर्म की काली दुनिया पर राज किया है और कर रहे हैं.

    फिर चाहे वो कंपनियों से वसूली का धंधा हो, खनन का, ज़मीन की ख़रीद-फ़रोख़्त का, स्क्रैप का या फिर किडनैपिंग का, इन दोनों ने इसी गौतमबुद्ध नगर में करोड़ों के वारे-न्यारे किए हैं। मगर फिलहाल हालत ये है कि दोनों की यूपी की अलग-अलग जेलों में बंद हैं और दोनों की ज़िंदगी पर बाबा जी यानी योगी आदित्यनाथ की पुलिस का ख़तरा मंडरा रहा है।

    यही वजह है कि जिस सुंदर भाटी और अनिल दुजाना के इशारे पर कभी दादरी और जेवर जैसे विधान सभा क्षेत्रों में 20 से 25 हज़ार वोट आसानी से इधर-उधर हो जाया करते थे, इस बार चुनावों में इन दोनों के नाम का असर ही ग़ायब है.

    नोएडा को जाननेवाले लोग बताते हैं कि एक वक़्त ऐसा था जब यहां विधान सभा तो छोड़िए, संसद का चुनाव लड़नेवाले बड़े दल के प्रत्याशियों तक को भाटी और दुजाना से आशीर्वाद लेने और उन्हें ख़ुश करने की ज़रूरत पड़ती थी, कई तो इन्हें जेल में जाकर माथा टेक आते थे. चढ़ावा दे आते थे.

    असल इनका दबदबा तब कुछ ऐसा था, जब जीत हार तो दूर की बात, चुनाव लड़ना ही तभी मुमकिन हो पाता था, जब ये इजाज़त देते थे. लेकिन अब ये गुज़रे ज़माने की बात है. स्थानीय पत्रकार अनुराग बताते हैं कि अपराधियों के खिलाफ़ हुई कार्रवाई का ही असर है कि इस बार तीनों ही विधान सभा क्षेत्र में ऐसा कोई प्रत्याशी नहीं है, जिसका क्रिमिनल रिकॉर्ड हो या जिसे हार्डकोर क्रिमिनल कहते हों.

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