UP Election: पुलिसिया ताले ने बदरंग कर दिया हापुड़ के इन रंगबाजों का रंग, कई जेल में तो कई अंडरग्राउंड

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UP Election: पुलिसिया ताले ने बदरंग कर दिया हापुड़ के इन रंगबाजों का रंग, कई जेल में तो कई अंडरग्रा...
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हापुड़ से देवेंद्र, मनीषा झा, विनोद शिकारपुरी के साथ सुनील मौर्य की रिपोर्ट

UP Election Hapur News : ये वक्त का तकाजा है. जो कभी देशभर की गाड़ियों को मिनटों में काटकर गायब कर देते थे. वो अब एक अदने से ताले को नहीं काट पा रहे हैं. वो ताला उन दुकानों पर ऐसे चमक रहे जैसे कोई लक्ष्मण रेखा हो.उसे अब वो रंगबाज छू भी नहीं रहे हैं जो कभी पुलिस के सामने ही चोरी या लूट की गाड़ी को काट देते थे. वो अब पुलिस के नाम से भी डर रहे हैं.

अब तो आलम ये है कि वही गाड़ी काटने वाले या खुद ही जेल चले गए या फिर अंडरग्राउंड हो गए हैं. ये पूरा मामला है हापुड़ के बुलंदशहर रोड पर एक किमी के दायरे में बनीं उन खास दुकानों का. ये दुकानें किसी भी वाहन के लिए भस्मासुर की तरह हुआ करतीं थीं.

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देश के कोने-कोने से चोरी या लूट की गाड़ी को भले यहां तक लाने में घंटों देर लग जाए लेकिन यहां आने के बाद तो पलक झपकते ही गायब हो जातीं थीं. क्योंकि यहां मिनटों में उन गाड़ियों को काटकर महंगे पुर्जे अलग कर दिए जाते थे.

यहां अब से एक महीने पहले तक चोरी और लूट की गाड़ियों की भारी डिमांड थी. लेकिन यहां की रंगबाजी पर अब ताला लग चुका है. ये ताले तब लगे जब जनवरी में चुनावी घोषणा हुई. इन दुकानों में अचानक छापेमारी कर पुलिस ने ये ताले लगा दिए और कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन अभी भी चोरी के वाहनों को काटने वाले कई रंगबाजों की तलाश जारी है.

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गाड़ियों के काटने वालों की ही अब कट गई

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हापुड़ में एसबीआई चौराहे से बुलंदशहर रोड पर करीब 1 किलोमीटर का दायरा. इस सड़क के दोनों तरफ दुकानें. ज्यादातर दुकानों पर स्क्रैप का कारोबार. लेकिन अब इनमें से ज्यादातर दुकानों पर या तो ताले लगे हैं या फिर जो खुले हैं उनमें फर्नीचार या फिर कोई दूसरा कारोबार हो रहा है.

लेकिन अब से तीन हफ्ते पहले तक यहां का नजारा कुछ और हुआ करता था. यहां अलग-अलग नंबरों की गाड़ियां खड़ीं होती थीं. ये गाड़ियां कुछ देर के लिए ही खड़ी होतीं थीं और फिर कट जातीं थीं. लेकिन अब गाड़ियां काटने वालों की ही कट रही है.

शाकिर है यहां का सबसे बड़ा रंगबाज

हापुड़ में चोरी और लूट की गाड़ियों को काटने वालों में सबसे बड़ा रंगबाज है शाकिर. इसके अलावा भी एक दर्जन ऐसे लोग हैं जो पिछले कई सालों से गाड़ियों को काटने के गोरखधंधे में हैं. यूपी में दो ही जगह ऐसी गाड़ियों को काटने का गोरखधंधा चलता रहा है.

पहला मेरठ का सोतीगंज और दूसरा हापुड़ का बुलंदशहर रोड की दुकानें. पहले सोतीगंज पर पुलिसिया कहर बरपा और अब हापुड़ में. हापुड़ के स्थानीय लोग बताते हैं कि शाकिर यहां का सबसे बड़ा रंगबाज था. उसे कभी भी पुलिस का खौफ नहीं रहा. क्योंकि उसके नेटवर्क में कई बड़े-बड़े नेता भी रहे हैं. जिनकी वजह से वो पनप रहा था.

लेकिन चुनावी घोषणा के तुरंत बाद अचानक पुलिस ने इन पर डंडा बरसाया और रातोंरात दर्जनों दुकानों को खाली कर उन पर अपना ताला लगा दिया. अब पुलिस द्वारा लगाए ताले को किसी में तोड़ने की हिम्मत नहीं है. शाकिर अभी अंडरग्राउंड हो चुका है.

शहीद स्मारक के ठीक सामने रंगबाजी से होता है दुख

हापुड़ के इसी बुलंदशहर रोड पर 1857 की क्रांति के दौरान चौधरी जबरदस्त खां शहीद हुए थे. अंग्रेजों ने उन्हें यहां के एक पीपल के पेड़ पर फांसी से लटका दिया था. उनकी याद में इसी रोड पर शहीद स्मारक बनाया जा रहा है.

शहीद जबरदस्त खां के परपोते मरगूब बताते हैं कि जहां देश की आजादी के लिए बलिदान देने वाले की यादें हैं वहां के पास में चोरी के वाहनों को काटने का कारोबार होता था. इससे बड़ा दुख होता है. लेकिन अब थोड़ी राहत मिली है कि इन दुकानों को बंद करा दिया गया है.

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