हापुड़ धौलाना विधानसभा : यहां राजनीति का भूलभुलैया 'संगम' तो क्राइम का 'कॉकटेल' है

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हापुड़ धौलाना विधानसभा : यहां राजनीति का भूलभुलैया 'संगम' तो क्राइम का 'कॉकटेल' है
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हापुड़ के धौलाना से देवेंद्र शर्मा, मनीषा झा, विनोद शिकारपुरी के साथ सुनील मौर्य की रिपोर्ट

UP Election 2022 Hapur Dholana Assembly Seat : राजनीति और अपराध का अनोखा कॉकटेल अगर देखना चाहते हैं तो इससे बढ़िया केस आपको शायद ही कहीं मिले. ये ऐसा कॉकटेल है जिसका पैमाना कब, कहां और कैसे छलक जाए, इसका अंदाजा तो राजनीति के बड़े-बड़े सूरमा भी नहीं लगा सकते.

क्योंकि राजनीति का ये ऐसा संगम है जिसमें यहां के माननीय ऐसे गोते लगाते हैं जैसे सुबह का भटका शाम को घर लौट आए. और घर से निकला कोई कब, कहां भटक जाए, ये कोई नहीं जानता. अब आपको ज्यादा भटकाते नहीं हैं. बल्कि बताते हैं उस राजनीति बिसात की जिसकी मिट्टी में ऐसे नेता हैं जिन पर दाग ही दाग हैं. और इस दाग से चाहे वो कोई भी बड़ी राजनीति पार्टी क्यों ना हों, उनका दामन दागदार हुआ ही है.

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हम बात कर रहे हैं दिल्ली से करीब 60 किमी दूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले की. इस जिले में वैसे तो 3 विधानसभा सीटें हैं. लेकिन इनमें से जो सबसे अलग है उसका नाम धौलाना है. ये धौलाना विधानसभा सीट राजनीति का भुलभुलैया वाला संगम है.

ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि 2017 में बसपा के सहारे विधायकी जीतने वाले असलम चौधरी अब उसी सीट से चुनाव तो लड़ रहे हैं लेकिन पार्टी बदल चुकी है. अब वो साइकिल यानी सपा से चुनाव मैदान में हैं.

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वहीं, पिछली बार सपा से चुनाव लड़ने वाले धर्मेश तोमर अबकी बार यानी 2022 में भाजपा से प्रत्याशी हैं. इससे पहले धर्मेश तोमर सपा से ही 2012 विधानसभा चुनाव में यहां से विधायक बने थे. जबकि बसपा से अबकी बार बाशिद अली चुनाव लड़ रहे हैं.

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लेकिन इससे पहले साल 2016 में वो बसपा छोड़ सपा में शामिल हुए थे. लेकिन 2017 में टिकट नहीं मिला तो 2022 आते ही फिर से पाला बदलकर बसपा में आ गए और टिकट हासिल कर ली. यानी सपा, भाजपा और बसपा तीनों के नेता तीनों ही पार्टियों में रह चुके हैं और फिर इनमें से कोई एक इस बार जीत हासिल कर अगले चुनाव में किस पार्टी में जाएगा, इसका अंदाजा लगाना बेहद ही मुश्किल है.

7 एनकाउंटर वाली इस अजीब कहानी का धौलाना से है नाता

ये तो रही इनके राजनीति वाली कॉकटेल की कहानी. अब जरा क्राइम वाली कहानी पर लौटते हैं. लेकिन उससे पहले आपको एक तस्वीर दिखाते हैं.

ये तस्वीर तो आपको याद ही होगी. अगर नहीं तो हम आपको फिर से याद दिला देते हैं. ये तस्वीर है गाजियाबाद में 11 नवंबर 2021 को हुए पुलिस एनकाउंटर की. ये एनकाउंटर भी बड़ा कमाल का था. अगर ध्यान से देखेंगे तो पता चलेगा कि इन सातों आरोपियों के पैर में ठीक एक ही जगह गोलियां लगीं हैं.

गोली लगने के बाद पैरों में पट्टी बांधी गई है. इन पर गौतस्करी के मामले में पुलिस ने घेराबंदी कर फायरिंग की थी. जिसके बाद बिल्कुल ओलिंपिंक में गोल्ड पर निशाने लगाने वालों की तरह इन आरोपियों पर भी गाजियाबाद की पुलिस ने निशान लगाया था.

लेकिन इस एनकाउंटर पर इतने सवाल उठे कि पुलिस टीम को लीड करने वाले उस समय के कोतवाल इंस्पेक्टर राजेंद्र त्यागी को पहले लाइनहाजिर फिर सस्पेंड कर दिया गया था. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस एनकाउंटर की चर्चा में हम चुनावी रंगबाजी में क्यों कर रहे हैं.

तो आपको वो भी बता देते हैं. दरअसल, इस एनकाउंटर के बाद एक नेताजी का वीडियो खूब वायरल हुआ था. उस वीडियो में जो नेताजी दिख रहे थे वो कोई और नहीं, बल्कि धौलाना विधानसभा सीट से चुनाव जीतने वाले बसपा के विधायक असलम चौधरी ही थे. जो अबकी बार सपा-रालोद गठबंधन से चुनाव लड़ने रहे हैं.

'अभी बहुत सारा हिसाब-किताब करना है'

उस वीडियो में इन माननीय ने कहा था कि अभी बहुत सारा हिसाब-किताब करना है. उस वायरल वीडियो में विधायक असलम चौधरी ने कहा था...

वहां हमारे मुसलमान भाइयों को मजदूरी तक नहीं करने दे रहे थे, दुकान भी नहीं खोलने दे रहे थे. आज वो मजदूरी पर भी जा रहे हैं और दुकान भी खोल रहे हैं. मैं फिर विधायक (नंद किशोर) को कह रहा हूं कि जो सात बेटों (एनकाउंटर में घायल सातों आरोपी) को गोली लगवाई है, तेरे बाप से भी इसका बदला मैं लेकर दिखाउंगा। अभी बहुत सारा हिसाब-किताब करना है...

असलम चौधरी की क्राइम लिस्ट

अब खुले मंच से धमकी देने के इस मामले में माननीय के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई. लेकिन ये उनके खिलाफ दर्ज हुई कोई पहली एफआईआर नहीं थी. बल्कि उसकी एक लंबी फेहरिस्त है. अब उस लंबी लिस्ट की कहानी भी देख लेते हैं.

असलम चौधरी ने 2022 वाले चुनाव के लिए जो नामांकन किया है उसमें 12 केस का जिक्र हैं. उसमें भी आईपीसी की धारा-307 यानी हत्या के प्रयास से लेकर बलवा, हंगामा करने की कई धाराएं हैं. जान से मारने की धमकी देने के मामले तो कई हैं. पिछले साल यानी 2021 में ही इन पर 4 केस दर्ज हुए थे.

अब उसी शपथपत्र में इनकी दबंगई की भी एक रिपोर्ट समझ लीजिए. इन महाशय के खुद के पास 30 तोला सोना है जिसकी कीमत करीब साढ़े 13 लाख बताई है. जबकि इनकी पत्नी के नाम पर 50 तोला सोना है. जिसकी कीमत करीब साढ़े 22 लाख रुपये आंकी है.

धौलाना विधानसभा सीट के 2 और बड़े प्रत्याशियों की कुंडली

ये तो रही असलम चौधरी की क्राइम की कहानी. अब जरा दूसरे नेता धर्मेश तोमर की दबंगई की बात करते हैं. बीजेपी की तरफ से जो इन्होंने नामांकन दाखिल किया है उस रिपोर्ट के अनुसार, इनके खिलाफ सिर्फ एक ही आपराधिक मामला दर्ज है. लेकिन धौलाना विधानसभा क्षेत्र के लोग इससे इत्तेफाक नहीं रखते.

क्राइम तक से लोगों ने बताया कि जब सपा सरकार में ये साल 2012 में विधायक बने थे तब जमीनों पर कब्जाने में इनका नाम आया था. लेकिन उनके खिलाफ कभी मामला दर्ज नहीं हो सका. हालांकि, इस बारे में जब धर्मेश तोमर से संपर्क किया गया तो उनके पार्टी नेताओं ने इसे निराधार बता दिया. वहीं, गोल्ड के मामले में धर्मेश तोमर के पास 11 तोला सोना तो पत्नी के पास 71 तोला सोना है. संपत्ति के मामले में इनके पास खुद से अर्जित 46 लाख रुपये की संपत्ति है.

लेकिन बसपा प्रत्याशी बाशिद अली के शपथपत्र में क्राइम का ग्राफ पूरे 2 पन्नों में हैं. इसमें हत्या से लेकर हत्या का प्रयास, बलवा, जान से मारने की धमकी देने की एक दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं. अगर इनकी संपत्ति की बात करें तो इनके पास लाखों रुपये की संपत्ति है.

हापुड़ जिले की 3 विधानसभा सीटों पर एक नजर

हापुड़ जिले में 3 विधासभा सीटें हैं. पहली सीट हापुड़ सदर, गढ़ मुक्तेश्वर और तीसरी धौलाना.

जिले में कुल मतदाता 1123742

हापुड़ सदर सीट 365584

धौलाना सीट 411332

गढ़ मुक्तेश्वर सीट 347026

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