जुर्म और सियासत : जानते हैं न इन गैंगस्टरों को...दुबारा मत पूछना

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जुर्म और सियासत : जानते हैं न इन गैंगस्टरों को...दुबारा मत पूछना
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जुर्म और सियासत

  • नोएडा के गैंगस्टरों के लिए कैसे 'सपना' बनी सियासत?

  • 'बाबा जी' की पुलिस से अनिल दुजाना को पड़े जान के लाले!

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  • 'गाड़ी पलटने' के डर से दिल्ली में गिरफ़्तार हुआ रंगबाज़ दुजाना

  • UP Election : अगर आप नोएडा या ग्रेटर नोएडा में रहते हैं, तो आपने अनिल दुजाना और सुंदर भाटी जैसों का नाम तो ज़रूर सुना होगा. अगर नहीं सुना है, तो फटाफट गूगल ही कर लो, क्योंकि आजकल अपने यहां क्राइम और क्रिमिनल्स की दुनिया में अपने यही दोनों 'भैया' सबसे ऊपर चल रहे हैं.

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    इन्होंने अपने नाम मर्डर, हाफ़ मर्डर, किडनैपिंग और फिरौती समेत तमाम छोटे बड़े गुनाहों के 50-60 से ज़्यादा तमगे बटोर रखे हैं. लेकिन इस बार यूपी के इस विधानसभा चुनाव से अनिल दुजाना और सुंदर भाटी ऐसे ग़ायब है, जैसे गदहे के सिर से सिंग. अब आप ये पूछने की गलती तो बिल्कुल मत करना कि चुनाव में इन रंगबाज़ों का क्या काम?

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    क्योंकि अगर आपने ऐसा पूछा तो हम ये मान लेंगे कि आप अपने देश में जुर्म और सियासत के चोली-दामन वाले रिश्ते से बिल्कुल बेख़बर हैं और आपने क्लोरोमिंट की मीठी गोली वाला वो एड भी नहीं देखा है, जिसमें ऐसे सवालों की सज़ा के तौर पर --दुबारा मत पूछना-- वाली पंचलाइन के साथ मुंह पानी से भरी बाल्टी में डाल दिए जाने का रिवाज है.

    "बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले.."


    ख़ैर.. अब सबसे पहले बात दुजाना की और उसके सियासी अरमानों की. जुर्म की दुनिया के इस पुराने खिलाड़ी के सीने में भी सियासत की दुनिया में अपनी पैठ बनाने के अरमान हिलोरें मारते रहे हैं, लेकिन इस बार बाबा जी ने दुजाना जैसों का सारा खेल ही ख़राब कर दिया है.

    तभी तो चुनाव की रणभेरी बजते ही एक तरफ़ जहां झकाझक सफ़ेद कुर्तों में भांति-भांति के नेता अपने-अपने आरामगाहों से बाहर निकल आए हैं, वहीं दुजाना जैसों को जान बचाने के लिए जेल का रुख करना पड़ गया है. दुजाना के बारे में कहते हैं कि वो तो पिछले विधान सभा चुनावों में ही अपनी किस्मत आज़मा कर सफ़ेदपोश का चोला ओढ़ लेना चाहता था, लेकिन ऐन साल भर पहले यानी 2016 में उसे एक केस में पौने चार साल की सज़ा हो गई और सारा खेल ख़राब हो गया.

    लड़ना तो वो इस बार भी चाहता था, लेकिन योगी बाबा के राज में ख़ुद उसकी जान के लाले पड़े हुए थे, चुनाव लड़ना तो दूर की बात थी. तभी तो दुजाना सिर्फ़ जेल ही नहीं गया, बल्कि गिरफ्तार होने के लिए भी उसने यूपी की जगह दिल्ली को चुना. क्योंकि उसे डर था कि कहीं बाबा जी की पुलिस ने 'कानपुर वाले भैया' की उसकी भी गाड़ी पलट दी, तो लेने के देने पड़ जाएंगे.

    जुर्म के रास्ते पर 'पीछे मुड़ना' सुंदर के लिए हुआ मुश्किल


    कुछ यही हाल जुर्म के मामलों की हाफ़ सेंचुरी अपने नाम लिए घूमनेवाले सुंदर भाटी का भी रहा. सुंदर भाटी ने अपनी पत्नी को दनकौर का ब्लॉक प्रमुख बनवा कर सियासत में अपने पैर जमाने की कोशिश की थी. लेकिन इसके बाद उसने एक कारोबारी से रंगदारी मांगी.

    रंगदारी नहीं मिलने पर कथित तौर पर उसकी हत्या कर दी और आख़िरकार इसी मामले में उसे आजीवन कारावास की सज़ा हो गई. लेकिन इसी बीच अनिल दुजाना भी सुंदर भाटी से टकराता रहा और जुर्म के रास्ते पर भाटी कुछ इतना आगे निकल गया कि फिर उसके लिए पीछे मुड़ने की गुंजाइश ही नहीं बची.

    रही-सही कसर 2017 की नई सरकार ने पूरी कर दी, जिसने बदमाशों पर शिकंजा कस दिया. इन दिनों बांदा जेल में बंद सुंदर भाटी और उसके गुर्गों की संपत्ति कुर्क कर दी गई. यानी सियासत चमकाने से पहले ही भाटी की कमर टूट चुकी थी.

    'गाड़ी पलटने' के डर ने करा दी दुजाना की गिरफ़्तारी?


    अपने सिर पर 50 हज़ार का इनाम लेकर घूमने वाले दुजाना को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 6 जनवरी को मयूर विहार के चिल्ला गांव से गिरफ्तार किया. सूत्रों की मानें तो दुजाना ने ये गिरफ्तारी जानबूझ कर दी, ताकि यूपी पुलिस से उसका पीछा छूटे और वो गाड़ी पलटने से पहले ही बड़े घर यानी जेल पहुंच जाए.

    दुजाना के साथ उसके दो गुर्गे भी पकड़े गए और असलहों की खेप भी हाथ लगी, लेकिन इतने बड़े क्रिमिनल की गिरफ्तारी के दौरान दोनों तरफ़ से एक भी गोली का नहीं चलना भी एक अजीब बात थी और यही वो बात थी जिसे देखते हुए पंडितों को ये लगता है कि शायद दुजाना की दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के हाथों हुई ये गिरफ्तारी 'फ्रेंडली' थी.

    क्या है पुलिस से 'सेटिंग' का गेम?


    फ्रेंडली और सेटिंग वाली गिरफ्तारी की बात आपको थोड़ी अजीब लग सकती है. लेकिन जुर्म की दुनिया की ख़बर रखनेवाले लोग ये जानते हैं कि पुलिस अक्सर कई गुनहगारों को उनके चाहने और नहीं चाहने पर ही गिरफ्तार करती और जाने भी देती है.

    असल में पुलिस में भी तो ऐसे रंगबाज़ों और गैंगस्टरों के अपने लोग होते हैं. दिल्ली में इसी महीने के शुरुआती दिनों में हुई दुजाना की गिरफ्तारी को लेकर भी ऐसे ही सवाल उठ रहे हैं. आपको याद होगा कि साल 2018-19 में यूपी के अपराधी ताबड़तोड़ दिल्ली में गिरफ्तार हो रहे थे और तब नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण ने बाक़ायदा दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को एक चिट्ठी लिख कर ऐसे सेटिंगबाज़ पुलिस अफ़सरों पर कार्रवाई करने की मांग की थी, जो बदमाशों से टांका भिड़ा कर उन्हें गिरफ़्तार कर उनके आराम से जेल चले जाने का रास्ता खोल देते हैं.

    ज़िला पंचायत सदस्य से आगे नहीं बढ़ सके अरमान

    अनिल दुजाना ने साल 2016 में जेल में रहते हुए ही गौतमबुद्ध नगर के वार्ड नंबर-2 से पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था और दस हज़ार से ज़्यादा वोटों से जीत हासिल की थी। बताते तो यहां तक है कि वो ज़िला पंचायत का अध्यक्ष बनना चाहता था, लेकिन हाई कोर्ट ने यहां ज़िला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव पर ही रोक लगा रखी थी।

    वैसे दुजाना ने अपने बाद साल 2021 में अपनी पत्नी पूजा नागर को वार्ड नंबर 2 से चुनाव लड़वाने की कोशिश की, क्योंकि पिछले साल चुनावों से पहले ये सीट महिलाओं के लिए रिज़र्व कर दी गई थी। लेकिन कहते हैं कि 'सरकार की धमकी' से ही उसे पीछे हटना पड़ गया. दुजाना ने 16 फरवरी 2019 को सूरजपुर कोर्ट में पेशी के दौरान ही पूजा नागर से सगाई थी और इसी के साथ रजिस्टर्ड शादी की अर्ज़ी भी दी थी.

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