फूलन बलात्कार की वजह से नहीं बल्कि गैंगवार की वजह से बनी डाकू!
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फ़र्रुख़ हैदर, चिराग गोठी और विनोद शिकारपुरी के साथ मनीषा झा क्राइम तक।
पूरी दुनिया ये जानती है फूलन डाकू इसलिए बनी क्योंकि उसके नज़दीक के गांव के कुछ ठाकुरों ने उसे बंधक बनाकर हफ्तों बलात्कार किया और इस वजह से वो डाकू बनी थी। लेकिन हकीकत वो है जो दुनिया को नहीं पता, ये सच हमने तब खोद निकाला जब हम उस बेहमई गांव में गए जहां फूलन के साथ ये अत्याचार हुआ।
क्राइम तक की टीम जब बेहमई गांव पहुंची तो शुरुआत में हमें कुछ लोग मिले और ये बताया कि फूलन देवी ने यहीं पर 22 ठाकुरों को गोली मारी थी और गांव वालों ने यहां शहीद स्मारक बनवा दिया। हमारी टीम आगे बढ़ी तो कुछ और गांव वाले मिले जिन्होंने फूलन की एक अलग कहानी बताई। गांव के ही एक बुजुर्ग ने बताया कि पहले ठाकुर गैंग और विक्रम मल्लाह गैंग एक ही हुआ करता था। लाला राम गैंग ने विक्रम मल्लाह को मार दिया। फिर ठाकुर और लााल राम गैंग अलग हो गए और दुश्मनी यहीं से शुरु हुई।
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बेहमई गांव ठाकुरों का गांव था और मल्लाह गैंग को लगता था कि गांव वाले ठाकुर गैंग के लोगों को पनाह देते थे। यही वजह थी कि एकाएक इस गांव पर धावा बोल दिया गया। शाम के करीब 4 बजे 50 लोगों ने उनके गांव को घेर लिया और जो भी लोग मिले सबको इकट्ठा कर लिया। फूलन देवी और उसके गैंग ने एक-एक कर ठाकुरों पर गोलियों की बौछार कर दी। इस घटना के बाद गांव वालों ने इन ठाकुरों की मौत को शहादत बताते हुए शहीद स्थल बनवा दिया।
गांव वाले बताते हैं कि ठाकुरों पर लगा रेप का आरोप गलत था और ये सब आपसी गैंगवार का नतीजा था। वो ये तर्क देते हैं कि असलहों से लैस महिला जिसका एक समय पर आतंक हुआ करता था, आखिर कोई उसके साथ गलत कैसे कर सकता था। एक बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया कि जब फूलन देवी सांसद बनी तो कुछ गांव वाले मिलने गए और ईमानदारी से रेप कांड मामले पर जवाब देने को कहा तो फूलन देवी ने इस कहानी को गलत बताया। हालाकि रिकॉर्ड में ये बात कहीं नही है।
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बेहमई गांव के लोगो आज भी परेशान हैं। इनका मानना है कि पहले जब डाकुओं का आतंक था तब उन्होंने पुलिस और डकैत दोनों को ही सहा है। ग्रामीण बता रहे थे कि डकैतों का ख़ौफ़ तो होता ही था लेकिन पुलिस से शिकायत करने जाते थे तो दरोगा हमें ही मारते थे। स्थिति आज ऐसी है कि डकैत भले ही ना हो लेकिन गांव के लोगों को आज भी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। अस्पताल जाने के लिए लगभग 18 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, सड़कें भी नहीं बनी। सभी पार्टियों की सरकार देख ली चाहे कांग्रेस हो, मायावती की सरकार हो, समाजवादी पार्टी से लेकर बीजेपी तक को आज़मा लिया। गांव का विकास कोई नहीं करवा पाया।
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ऑफरिकॉर्ड गांव के एक श़ख़्स ने बताया कि हमने सभी सरकारों को आज़मा लिया लेकिन हमारे लिए कोई नहीं सोचता। लेकिन फिर भी अगर थोड़ा बहुत भी काम किया है तो वो बीजेपी है। राशन-पानी की सुविधा है। संतु्ष्ट तो बीजेपी से भी नहीं है लेकिन फिर भी उम्मीद पर ये गांव वाले जी रहे हैं।
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