बुलंदशहर के ऐतिहासिक 'क़त्ल-ए-आम चौराहे' की कहानी

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बुलंदशहर के ऐतिहासिक 'क़त्ल-ए-आम चौराहे' की कहानी
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बुलंदशहर विधानसभा से मनीषा झा, सुप्रतिम बनर्जी, विनोद शिकारपुरी के साथ प्रिवेश पांडे की रिपोर्ट

UP ELECTION 2022: बुलंदशहर में कदम रखते ही हम पहुंचे काला आम चौराहे पर। वही काला आम चौराहा जिसे असलियत में नाम क़त्ल-ए-आम चौराहा है। वक़्त के साथ क़त्ल-ए-आम चौराहे का नाम काला आम चौराहा हो गया और अब लोग इसे काला आम चौराहे के नाम से जानने लगे हैं। एक ज़माने में यहां आम का विशाल बगीचा हुआ करता था और यहीं इस बगीचे में आम के पड़े पर आज़ादी के क्रांतिकारियों को फांसी दी जाती थी। हालाकि अब यहां ना तो आम का बगीचा ही बचा है और ना ही कोई आम का पेड़ लेकिन काला आम चौराहे पर शहीद स्मारक बनाया गया है जिससे देख कर लोग शहीदों को याद करते हैं।

क्राइम तक की टीम ने इसी शहीद स्मराक या यूं कहें की काला आम चौराहे से बुलंदशहर का मिज़ाज़ जानने की कोशिश की तो ये पता चला कि यहां के लोगों को लगता है कि योगी के राज में काम हुआ है लेकिन कुछ नामों का सुनकर असहज होते हुए भी दिखाई दिए। हालांकि यहां के लोग योगी बाबा का नाम तो रटते हुए क्राइम ख़त्म होने की दलील तो दे रहे थे लेकिन जैसे ही क्राइम तक ने प्रदेश में हुए अपराधों के कुछ नाम लिए तो थोड़ी असहजता के साथ कहते नज़र आए कि थोड़े बहुत मामले तो आते रहते हैं और उन्नाव, हाथरस जैसी घटनाओं को पॉलिटिक्स का मायाजाल बता दिया।

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ये तो बात रही लोगों के मिजाज़ की, लेकिन जिस चौराहे पर हमने लोगों से क्राइम की स्थिति जानने की कोशिश की और जो निचोड़ हमें मिला, क्या यही पूरे बुलंदशहर की जनता मानती है ये बड़ा सवाल है। हालांकि सुरक्षा का अंदाज़ा आप इससे भी लगा सकते हैं ये वही बुलंदशहर है जहां चंद महीने पहले ही RLD नेता के काफ़िले पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी जिसमें करीब 50 राउंड फ़ायरिंग की बात सामने आई थी। इस हमले में RLD नेता हाजी यूनुस के हाथ में गोली लगी और वो बाल-बाल बचे। हाजी यूनुस ने अपने बड़े भाई के बेटे हाजी अली के बेटे अनस पर ही हत्या की आशंका जताई। आपको बता दे कि अनस अपने पिता की हत्या के मामले में डासना जेल में बंद है। हालाकि हाजी यूनुस पर ख़ुद ही कई मुकदमें है जिसे उन्होंने पारिवारिक रंजिश का शिकार बताते हुए ख़ुद को निर्दोष बताया। गुड्डू पंडित का नाम भी इसी बुलंदशहर से सामने आया। चलिए इन सब बातों पर यकीन ना हो तो ज़रा बीते कुछ सालों में बुलंदशहर की घटनाएं ही आपको गिनवा देते हैं ।

हर साल 25 हज़ार मुक़दमें दर्ज

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ये आंकड़ें अपने-आप में ये बता रहे हैं कि जुर्म के मामले में ज़िले की स्थिति कैसी है। बुलंदशहर में सबसे ज़्यादा मर्डर और रेप की घटनाएं सामने आती हैं।

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हर साल क़रीब 100 लोगों का मर्डर होता है और लगभग रेप के मामले भी कुछ ऐसे ही सामने आते हैं।

साल 2019 के आंकड़ें

- पहले नंबर पर क़त्ल,107 मामले दर्ज

- दूसरे नंबर पर बलात्कार, 77 मामलें दर्ज

- लूट की 52 वारदात के मामले दर्ज

साल 2020 के आंकड़ें

- 95 मर्डर के केस दर्ज हुए

- रेप की 54 मामले दर्ज हुए

- लूट के ग्राफ में कमी, 25 मामले ही दर्ज हुए

बीते वर्ष 2021 के आंकड़ें

-69 हत्या के मामले दर्ज हुए

- 53 बलात्कार के साथ ग्राफ में दूसरे नंबर पर

- लूट की घटनाओं के 14 मामले ही हुए दर्ज

ऐसे में कुछ लोगों की राय ही पूरे बुलंदशहर का मिजाज़ है या नहीं ये कह पाना थोड़ा मुश्किल है लेकिन हां जनता सीएम योगी पर भरोसा दिखा रही है इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।

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