फिर से गर्दिश में रंगबाज़ योगेश राज के सितारे!
up election 2022 फिर से गर्दिश में पहुंचे रंगबाज़ योगेश राज के सितारे!
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(मुकुल शर्मा, मनीषा झा और विनोद शिकारपुरी के साथ सुप्रतिम बनर्जी की रिपोर्ट)
योगेश राज के बारे में ज़्यादा जानने से पहले आपको इंस्पेक्टर सुबोध कुमार के क़त्ल के मामले को जान लेना चाहिए. बात 3 दिसंबर 2018 की है. जब बुलंदशर के स्याना इलाक़े में मुस्लिमों का एक मज़हबी प्रोग्राम इत्ज़मा चल रहा था। इसी बीच अचानक चिंगरावटी चौकी में जुर्म की चिंगारी भड़क उठी. हुआ यूं कि किसी ने इस इलाक़े में गौ हत्या कर उसके अवशेष फेंक दिए. ये ख़बर जंगल में आग की तरह फैली और देखते ही देखते बजरंग समेत तमाम हिंदूवादी संगठनों ने चिंगरावटी पुलिस चौकी को घेर लिया. मामले में केस दर्ज करने के सवाल पर भीड़ की इंस्पेक्टर सुबोध से बहस शुरू हो गई और इससे पहले कि मामले का कोई हल निकलता, किसी ने उन्हें गोली मार दी. इसके बाद तो बवाल और भी बढ़ गया. आगज़नी शुरू हो गई. इस वारदात में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की मौत हो गई. अब बारी पुलिस की थी. पुलिस ने बजरंग दल के नेता योगेश राज समेत कम से कम 20 लोगों को नामज़द किया और सौ से ज़्यादा पर मुक़दमा. योगेश राज को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया. हालांकि देर सवेर उसे भी ज़मानत मिली और ज़मानत मिलते ही उसने ज़िला पंचायत का चुनाव लड़ा और बीजेपी के उम्मीदवार को ही पटखनी देकर चुनाव जीत गया. लेकिन अतीत इतनी आसानी से पीछा कहां छोड़ता है?
इंस्पेक्टर सुबोध की पत्नी अब सुप्रीम कोर्ट चली गई. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की नज़ाकत को समझा और योगेश की ज़मानत ख़ारिज कर दी. वो फिर से 'बड़े घर' पहुंच गया. लेकिन सियासी अरमान अभी मरे नहीं थे. इस बार भी उसने स्याना विधान सभा हल्के के क़िस्मत आज़माने की कोशिश की. जेल में बैठे-बैठे पर्चा दाखिल कर दिया. लेकिन 'असली खेल' इसके बाद हुआ. तकनीकी कारणों से एक और चुनावी रंगबाज़ गुड्डू पंडित की तरह योगेश राज का नामांकन भी ख़ारिज हो गया. कुल मिलाकर.. चुनाव को लेकर उम्मीद की जो एक लौट टिमटिमा रही थी, वो भी बुझ गई. अब योगेश इस खेल के लिए स्याना के बीजेपी विधायक और उम्मीदवार देवेंद्र सिंह लोधी को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं. हालांकि नामांकन ख़ारिज करने-करवाने में लोधी का हाथ होने को कोई सबूत तो नहीं है, लेकिन अपने लोकतंत्र में इतना तो चलता ही है. बंदा चुनाव भी नहीं लड़ पा रहा है... कम से कम आरोप तो लगा ही लेने दो. क्यों..?
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