'इलाके में तो कुत्ता भी शेर होवे है' : सीमा परिहार
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''साहब कोई पैदाइशी अपराधी नहीं होता है, बल्कि हालात उसे अपराधी बना देते है। इलाके में तो कुत्ता भी शेर होता है'' कभी बीहड़ो में इनका डंका बजता था। इनके नाम से लोग कंपकंपाते थे। पुलिस से मुठभेड़ करना आम बात थी। ये कहानी है सीमा परिहार।
वो सीमा जिसने जुर्म की कोई सीमा तय नहीं कर रखी थी, जो मजूबरी वश डकैतों के गैंग में शामिल तो हुई थी, लेकिन ये मजबूरी कैसे मजबूरी न रह कर काम धंधा बन गया, इसका पता ही नहीं चला। कई सालों तक बीहड़ों की खाक छानने के बाद आखिरकार कैसे सीमा की जिंदगी बदल गई। खुद सीमा से ही जानते है।
दस्यु संदरी सीमा परिहार की, जिसने जीवन में बहुत कुछ देखा, साहा और बहुत कुछ बदला। जब क्राइम तक की टीम उसने मिलने औरेया जिला पहुंची तो बीहड़ में मौजूद सीमा ने अपनी जिंदगी की किताब के एक एक पन्ना खोल कर रख दिया। खुद सीमा बताती है कि कैसे वो 9 साल की उम्र में डकैतों के चंगुल में फंस गई थी। सीमा के मुताबिक, दूसरे समुदाय के लोग उसकी शादी अपने समुदाय मे करवाना चाहते थे, जिसके लिए सीमा का परिवार तैयार नहीं हुआ।
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इसके बाद शुरू हुई सीमा की जिंदगी की उलटी गनती। उसका अपहरण करा दिया गया और जिस गैंग ने उसका अपहरण किया उस गैंग के मुखिया का नाम था लाला राम डकैत। शुरुआत में सीमा को कुछ भी समझ नहीं आया, लेकिन धीरे धीरे वो समझ गई कि इस गैंग से बाहर निकलना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव है। और फिर वो अपराध के दल दल में फंसती चली गई। शुरुआत में गैंग किसी का अपहरण करने जाता तो उस गैंग का हिस्सा रहती थी सीमा।
एक दिन डकैत लाला राम ने उसे बताया कि उसके खिलाफ सरकार प्रशासन ने कई मुकदमे ठोक दिए है। ऐसे में अब अगर वो जुर्म की इस काली दुनिया से बाहर निकलेगी तो उसकी बाकी की जिंदगी जेल के अंदर ही कट जाएगी। इसी वजह से सीमा ने शुरुआती दिनों में जंगल या यूं कहें कि जंगल में जुर्म की दुनिया से बाहर आना मुनासिब नहीं समझा और बस धीरे धीरे और अपराध करती चली गई।
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लेकिन पुलिस से भागते भागते सीमा थक चुकी थी और इसी बीच उसे एनकाउंटर का डर भी सता रहा था। खबर आई है कि लाला राम की पुलिस मुठभेड़ के दौरान मौत हो गई। बस तभी सीमा ने ये तय कर लिया था कि अब वो ज्यादा दिन बीहड़ यानी जंगल में नहीं रह पाएगी। और उसने 2000 में अदालत के समझ आत्म समर्पण कर दिया। सीमा के मुताबिक, उसके खिलाफ पुलिस ने कुल 35 मुकदमे दर्ज किए। जिनमें धीरे धीरे करते हुए वो 34 मुकदमों में बरी हो गई। अब 1 मुकदमा उस पर है। सीमा ने चुनाव में ही अपना हाथ आजमाया, लेकिन वो चुनाव हार गई। वो बिग बास के मंच पर भी दिखाई दी थी।
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यूपी चुनाव को लेकर जब क्राइम तक की टीम ने उनसे सवाल किया तो वो बोली पहले डकैत संरक्षण के लिए नेताओं की मदद करते थे। चुनाव को प्रभावित करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब डकैतों की दुनिया खत्म हो चुकी है लिहाजा चुनाव प्रभावित करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता है।
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