कातिलों की टोली ने 21 फरवरी को किया था उमेश पाल की हत्या का रिहर्सल

ADVERTISEMENT

कातिलों की टोली ने 21 फरवरी को किया था उमेश पाल की हत्या का रिहर्सल
तीन दिन पहले के सीसीटीवी फुटेज से खुला राज
social share
google news

ये बात तो सारी दुनिया जानती है कि प्रयागराज में राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या 24 फरवरी 2023 को हुई थी। लेकिन ये बात अब निकलकर सामने आई है कि 24 फरवरी वाला हत्याकांड दरअसल पहले 21 फरवरी को होने वाला था। यानी उमेश पाल को 21 फरवरी के रोज ही दोपहर में ऐन उसी जगह मौत के घाट उतारने का प्लान था जहां उसे 24 फरवरी को गोलियों से छलनी किया। यानी साफ तौर पर ये भी कहा जा सकता है कि 21 फरवरी को एक तरह से उमेश पाल के हत्यारों ने वारदात का पूरा रिहर्सल कर लिया था जिसे तीन दिनों के बाद बाकायदा अंजाम दिया। 

21 फरवरी को थी उमेश की हत्या की प्लानिंग


ये बात यूं ही हवा में नहीं कही जा रही बल्कि उत्तर प्रदेश की पुलिस और SIT ने प्रयागराज हत्याकांड की तफ्तीश के दौरान जब सबूतों और सुरागों को खंगाला तो इस हकीकत से पर्दा उठा। दरअसल यूपी पुलिस को एक सीसीटीवी की फुटेज हाथ लगी है। लेकिन ये सीसीटीवी वीडियो प्रयागराज के धूमनगंज इलाके का है। 21 फरवरी का वो वीडियो शाम के 5 बजकर 27 मिनट का है। 

पूरे इलाके में हत्याकांड का रिहर्सल किया था


हुआ यूं कि पुलिस जब मामले को गहराई से खंगालने में जुटी तो उसने उसी इलाके के तमाम सीसीटीवी फुटेज देखने शुरू किए। वो इस बात का पता लगाना चाहती है कि आखिर उमेश पाल की हत्या करने से पहले क़ातिलों ने कैसे कैसे उसकी रेकी की थी। इसी उधेड़बुन में जब पुलिस उमेश पाल की उस गली के आस पास के वीडियो खंगाल रही थी तभी उसकी नज़र पड़ी उस वीडियो पर, जिसमें कातिलों की पूरी फौज पूरी तरह से मुस्तैद होती नज़र आ गई। वीडियो को देखने से पता चलता है कि कातिलों की टीम कई कारों से बाकायदा उमेश पाल का पीछा कर रही थी। एक मोटरसाइकिल पर गुड्डू मुस्लिम भी सवार था और पीछे पीछे वहां तक पहुँच गया था। जबकि दो शूटर एक लाल रंग की मोटरसाइकिल पर सवार होकर वहीं मुस्तैद थे। 

ADVERTISEMENT

उमेश पाल के हत्यारों ने 21 फरवरी को पूरी घेराबंदी कर रखी थी

इसी बीच उमेश पाल की गाड़ी उसके घर वाली गली के सामने रुकती है और वो गाड़ी से उतर कर अपने एक गनर के साथ गली में चला जाता है। जबकि उसका पीछा करने वाले कातिलों की टीम दूर खड़ी हो जाती है। 
ऐन तभी प्रयागराज पुलिस की एक जीप उनके बगल से गुज़र जाती है...और तमाम कातिल करीब दो मिनट तक उसी जगह पर अलग अलग तरीके से वहां से धीरे धीरे खिसक जाते हैं... 
इस सीसीटीवी की फुटेज ने पुलिस के सामने कई चीजों को साफ कर दिया। 
1)- क़ातिलों की टीम ने किस तरह से उमेश पाल की रेकी की
2)- उमेश पाल कब घर से निकलता है और कब लौटता है, इसका पूरा पता कातिलों की टीम को था
3)- जिस जगह वारदात को अंजाम दिया जाना है वहां पर कैसा ट्रैफिक रहता है
4)-  उमेश पाल के घर के पास की सड़क के ट्रैफिक को कैसे रोका जा सकता है
5)-  हत्याकांड के बाद उस इलाके से किन किन रास्तों से होकर भागा जा सकता है
6)- मौका-ए-वारदात पर पुलिस को चकमा कैसे दिया जा सकता है
7)- वारदात को अंजाम देने के वक़्त उस सड़क पर किस तरह की रुकावटें उनके प्लान में खलल डाल सकती हैं
8)-  उस सड़क पर पुलिस की गाड़ियों के आने जाने का रुटीन क्या है
9)- उस सड़क पर पुलिस की पहरेदारी का बंदोबस्त कैसा है?
10)- सड़क की भीड़ में वो लोग कैसे खुद को छुपाकर रख सकते हैं जिससे पहचान मुश्किल हो जाए?
ऐसे ही अनगिनत सवालों के बीच पुलिस अब उमेश के कातिलों की रेकी और रिहर्सल के उस वीडियो को बार बार घुमाकर देख रहे हैं। 
हालांकि पुलिस अभी उस घूमनगंज की सड़क पर मौजूद तमाम सीसीटीवी कैमरों पर नज़र रखे हुए हैं और उनके फुटेज को देखकर कातिलों की टोली का पूरा पता लगाने की जुगत में लगी हुई है। मगर इतना तो तय है कि पुलिस की एक जीप ने उमेश पाल को तीन दिनों का जीवनदान तो दे ही दिया था। 
 

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT

    ऐप खोलें ➜