Ukraine-Russia: रूस में जनता पुतिन के खिलाफ!

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Ukraine-Russia: मॉस्को से लेकर सैंट पीटर्सबर्ग जैसे शहरों में पुतिन की खिलाफत की वजह रूस के राष्ट्रपति का एक फैसला है, जिसमें उन्होंने 3 लाख रिजर्व सैनिकों को यूक्रेन जंग में तैनात करने का फैसला किया है। इसका ऐलान होने के साथ ही प्रदर्शनकारी सड़कों पर निकल आए और विरोध करने लगे। पुतिन की इस सैन्य तैनाती के आदेश के बाद आशंका जताई जा रही है कि यूक्रेन युद्ध और ज्यादा भड़क सकता है।

रूस के शहरों में दूसरे विश्व युद्ध के बाद इस तरह का प्रदर्शन हो रहा है । जो काम अमेरिका नहीं कर सका, वो पुतिन के एक फैसले से हो गया है।

एक तरफ पुतिन यूक्रेन से जंग लड़ रहे हैं। दूसरी तरह उसे अपनी जनता से ही चुनौती मिल रही है। रूस के एक दो नहीं बल्कि 38 शहरों में पुतिन और जंग के खिलाफ नारेबाजी हो रही है।

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Russia-Ukraine: मॉस्को से लेकर सैंट पीटर्सबर्ग जैसे शहरों में पुतिन की खिलाफत की वजह रूस के राष्ट्रपति का एक फैसला है, जिसमें उन्होंने 3 लाख रिजर्व सैनिकों को यूक्रेन जंग में तैनात करने का फैसला किया है। इसका ऐलान होने के साथ ही प्रदर्शनकारी सड़कों पर निकल आए और विरोध करने लगे। पुतिन की इस सैन्य तैनाती के आदेश के बाद आशंका जताई जा रही है कि यूक्रेन युद्ध और ज्यादा भड़क सकता है।

रूस के 38 शहरों में 1400 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिसमें 51 फीसदी महिलाएं हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह, पुतिन हैं, जिन्होंने इस साल महिला दिवस पर अपने देश की महिलाओं से वादा किया था कि वो रिजर्व फौज को युद्ध में तैनात नहीं करेंगे। तो मार्च से सितंबर तक पुतिन अपनी बात पर पलट गए हैं, जिस वजह से महिलाएं उनसे नाराज हैं। वहीं यू्क्रेन में तैनाती से रूस के लोगों को डर लग रहा है, जिसकी सबसे बड़ी वजह यूक्रेन में पीछे हटती पुतिन की सेना है, जो पिछले 7 महीनों में यूक्रेन से लड़ते हुए हांफती हुई दिख रही है। यूक्रेन अमेरिका और नाटो देशों से मिले हथियारों से कई इलाकों में उस पर भारी पड़ रहा है।

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युद्ध में क्या क्या गंवा चुका है रूस

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24 मार्च से शुरू हुए युद्ध में रूस 55110 सैनिकों को खो चुका है। इस तरह रूस अपनी सेना का एक बड़े हिस्से को गंवा चुका है। रूस यूक्रेन से लड़ते हुए 253 लड़ाकू विमान, 4748 आर्मर्ड व्हीकल, 217 हेलिकॉप्टर, 2227 टैंक, 1340 तोप, 3610 व्हीकल/फ्यूल टैंक और 239 क्रूज मिसाइल खो चुका है।

24 फरवरी के बाद से रूस प्रतिबंधों से दबा हुआ है। दुनियाभर की बड़ी कंपनियां अपना कारोबार बंद करके वहां से जा चुकी है। बेरोजगारी और महंगाई अपने चरम पर है। इसी गुस्से को दबाने के लिए पुतिन ने देशभक्ति का दांव चला है, जिसमें वो खुद को पश्चिमी देशों के खिलाफ कमर कसते हुए दिखाना चाहते हैं।

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