बुर्का पहन कट्टर मुस्लिम महिलाएं बन अफगानिस्तान से भागे ब्रिटिश सेना की स्पेशल यूनिट के 20 जवान
UK Special Forces Soldiers Dressed Up in burqa to Dodge Taliban
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इस बीच 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया। ब्रिटिश सेना की इस 20 सैनिकों वाली टुकड़ी को तुरंत मिशन छोड़कर काबुल आने को कहा, उनको बताया गया कि उनको देश से बाहर भेजने या उन्हें काबुल तक लाने के लिए हेलीकॉप्टर की व्यवस्था नहीं हो पाएगी। जवानों को ये भी कहा गया कि वो अपना सारा सामान वहीं पर छोड़ दे और जल्द से जल्द काबुल आने की कोशिश करें।
सेना की इस टुकड़ी ने पांच टैक्सियां ली और हर टैक्सी में चार-चार सैनिक सवार हो गए। काबुल तक पहुंचने के लिए इन सैनिकों ने अफगान पुलिस की मदद मांगी। अफगानी पुलिस ने इनको अलग-अलग रंग के कई बुर्के लाकर दिए। इसके बाद इन सभी सैनिकों ने बुर्का पहन लिया और काबुल की ओर रवाना हो गए। कुछ हथियारों को छोड़कर सैनिकों ने अपना सारा सामान पहले ही छोड़ दिया था।
रास्ते में पड़ने वाले तालिबान चैकपोस्ट को धोखा देने के लिए इन सभी सैनिकों ने तालिबान के झंडे अपने हाथ में लिए हुए थे। जैसे ही कोई तालिबान की चैक पोस्ट आती ये उससे पहले ही कार से बाहर झंडे लहराने लगते । तालिबान को मानो लगता था कि ये सभी महिलाएं तालिबान समर्थक हैं और तालिबान की जीत का जश्न मनाने के लिए काबुल जा रही हैं।
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सैनिकों के मुताबिक कुछ पल ऐसे भी आए जब तालिबान चैक पोस्ट पर उन्हें रोका गया लेकिन उन्होंने तालिबान के सवालों का जवाब नहीं दिया क्योंकि तालिबान के मुताबिक कोई भी अफगानी मर्द अपनी पत्नी या रिश्तेदार को छोड़कर किसी महिला से बात नहीं कर सकता। तालिबान ने भी उनका बुर्का हटाने की जहमत नहीं उठाई।
काबुल पहुंचने के बाद उन्होंने एयरपोर्ट के नजदीक से नजदीक पहुंचने की कोशिश की और जब वो एयरपोर्ट के पास पहुंच गए तो उन्होंने टैक्सियां छोड़ दीं। कई चैक पोस्ट से होते हुए ये सैनिक आखिरकार उस गेट तक पहुंच गए जहां पर अमेरिकी सैनिक तैनात थे।
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ब्रिटिश सैनिकों ने जब बुर्के के अंदर से अपनी पहचान बताई तो अमेरिकी सैनिक भी हैरान रह गए क्योंकि एयरपोर्ट पर बहुत ज्यादा भीड़ थी लिहाजा ब्रिटिश सैनिक सब के सामने अपने बुर्के नहीं निकाल सकते थे।
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लिहाजा उन्हें एक कमरे में ले जाया गया जहां पर उन्होंने अपने बुर्कों से आजादी पाई लेकिन इन्हीं बुर्कों को चलते ये सैनिक अफगानिस्तान के दूरदराज वाले इलाके से काबुल तक पहुंच पाए। सैनिकों के मुताबिक सेना की स्पेशल यूनिट के होने की वजह से उन्हें तालिबान से बेहद ज्यादा खतरा था। अगर वो तालिबान के हाथ लग जाते तो उनका बचना मुश्किल ही था।
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