Tillu Tajpuria Updates: ऐसे रची गई थी टिल्लू की हत्या की साजिश! Inside Story
Tillu Tajpuria Updates: Crime Tak आपको बताता है कि कैसे टिल्लू की हत्या की साजिश रची गई थी?
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अरविंद ओझा, सुनील मोर्या के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट
Tillu Tajpuria Updates: टिल्लू ताजपुरिया की हत्या को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। टिल्लू ताजपुरिया को 20 दिन पहले ही जेल नंबर 8 के वार्ड नंबर 5 में शिफ्ट किया गया था। टिल्लू वार्ड नंबर 5 के ग्राउंड फ्लोर के सेल में रखा गया था, जब कि फस्ट फ्लोर पर जितेंद्र गोगी और लॉरेंस बिश्नोई के कई गुर्गें पहले से बंद थे। उन्हें जैसे ही टिल्लू के ग्राउंड फ्लोर पर आने की खबर मिली। उसी दिन से वो अपनी तैयारी में जुट गए। फस्ट फ्लोर से ग्राउंड फ्लोर या ग्राउंड फ्लोर से फस्ट फ्लोर जाने का कोई रास्ता नहीं है। फस्ट फ्लोर और ग्राउंड फ्लोर के बीच बस लोहे की जाली की एक छत है। ग्राउंड फ्लोर पर जाने के लिए हमलावरों ने लोहे की जाली की उसी छत से नीचे जाने का प्लान बनाया। लोहे की जाली पुरानी और जंग लग हुई थी। उस जाली को कवर करने वाला कोई सीसीटीवी कैमरा भी नहीं था। लिहाजा हमलावरों ने धीरे-धीरे लोहे की जाली को काटना और कमजोर करना शुरू कर दिया। जब उन्हें यकीन हो गया कि पैर के एक दो जोरदार हमले से जाली अपनी जगह से इतनी सी हट जाएगी कि एक शख्स एक वक्त में आसानी से नीचे जा सके तो उन्होंने जाली को और कमजोर करना बंद कर दिया।
हथियार कैसे बनाया?
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Tillu Tajpuria : अब दूसरा मसला था हथियार का। हमलावरों ने फस्ट फ्लोर के अपने बैरक में लगे एग्जॉस्ट फैन को निकाल कर उसके पीछे की लोहे की जाली से हथियार बनाने का फैसला किया। लोहे की उसी जाली को घिस-घिसकर नौकीला बनाया और उससे पांच-छह छारदार हथियार तैयार किए। सारी तैयारी के बाद साजिश 1 मई की सुबह ही टिल्लू पर हमला करने की थी, लेकिन 1 मई की सुबह टीएसपी यानी तमिलनाडू सिक्योरिटी पुलिस जेल के राउंड पर थी। हमलावरों को मौका नहीं मिला। तब उन्होंने अगले दिन यानी 2 मई को इस काम को अंजाम देने का फैसला लिया।
Tihar Jail: 1 मई की पूरी रात फस्ट फ्लोर पर बंद सभी हमलावर जागते रहे। पूरी रात उन लोगों ने अपने जूते तक नहीं उतारे। बस मौके की तलाश में थे। फिर सुबह 6 बज कर 10 मिनट पर उन्हें मौका मिला और एक-एक कर उन्होंने लोहे की उसी जाली से नीचे कूद कर टिल्लू पर धावा बोल दिया। इस हमले के बाद कुछ कैदियों ने सायरन बजाने की कोशिश की, लेकिन हैरतअंगेज तौर पर 2 मई की सुबह जेल नंबर 8 का सायरन खराब था, तब शोर मचाने के बाद पहली बार बराबर के जेल नंबर 9 में सायरन बजा। इस पूरे हमले के दौरान टीएसपी एक बार भी वार्ड नंबर 5 में नहीं आई। हमले के बाद पता चला कि सभी हमलावरों ने 8 से 10 पेन किलर खा रखी थी, ताकि हमले के बाद जब तिहाड़ के सुरक्षाकर्मी उन्हें पीटे तो उन्हें दर्द न हो। इन सभी हमलावरों के सेल से अफीम भी मिले हैं।
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इसके बाद हमने दो सीसीटीवी देखें जिससे उनकी पूरी प्लानिंग का पता चला गया।
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पूरा वीडियो नीचे देखें
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