प्लास्टिक बैग की मुहर से खुला Blind Murder Case, शव को Freezer में पैक करके किया था Transfer, हैरतअंगेज खुलासा

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Navi Mumbai, Maharashtra: नवी मुंबई पुलिस ने प्लास्टिक के बैग में बंद उस लावारिस लाश का किस्सा सुलझाने का दावा किया है जो उन्हें मुंबई गोवा हाईवे पर मिली थी। लेकिन जब इस गुत्थी को सुलझाया तो एक बेहद चौंकानें वाली हैरत अंगेज कत्ल की कहानी सामने आ गई। उससे भी दिलचस्प है पुलिस की सिलसिलेवार तफ्तीश जिससे कत्ल के आरोपियों तक पहुँचने में कामयाबी मिल गई। 

Plastic Bag में मिली लाश

असल में 22 मई को मुंबई-गोवा हाईवे सड़क किनारे अंबिवली फाटा पर एक शव एक बोरे में बंद मिला था। शव की हालत और बोरे का यूं हाईवे पर मिलने से ये बात तो साफ हो गई थी कि मामला कत्ल है। लेकिन बुनियादी सवाल यही था कि आखिर किसकी हत्या हुई, किसने हत्या की और ये हत्या कहां की गई?पुलिस इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने शव को साथ लेकर रायगढ़ के अपने थाने में लौट आई। 

Blind Murder Case

पुलिस के पास शव था, जिसका पोस्टमॉर्टम करवाया गया, और वो प्लास्टिक का बैग जिसमें बंद थी लाश। इसके अलावा पुलिस के पास न कोई सुराग और न ही कोई चश्मदीद गवाह। ये पुलिस के लिए किसी अंधेरे में तीर चलाने जैसा था। पुलिस को मरने वाले की पहचान का भी अता पता नहीं मिला। अब इस कत्ल की गुत्थी को सुलझाया कैसे जाए इसी उधेड़बुन में पुलिस ने उल्टी दिशा पकड़ी और सीधे कातिलों तक जाने का इरादा किया। लेकिन सवाल यही था कि आखिर कातिलों तक जाने का कौन सा रास्ता हो सकता है। पुलिस ने तब उस प्लास्टिक के बैग को जरिया बनाया जिसमें पुलिस को लाश मिली थी। उस प्लास्टिक की बोरी पर एक मुहर लगी थी। उसी मुहर की मदद से पुलिस को ये पता लगाना आसान हो गया कि वो बोरा पनवेल बाजार के बिग साड़ी बाजार से लिया गया है। 

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CCTV से मिला सुराग

पुलिस के मुताबिक उस बाजार का पता लगने के बाद सीसीटीवी की मदद से आरोपी का चेहरा और स्कूटर की तस्वीरें भी मिल गईं। आरोपी का चेहरा तो साफ था लेकिन स्कूटर का नंबर साफ साफ नजर नहीं आया। इसके बाद पुलिस ने डंप डेटा पर काम करना शुरू किया। पुलिस का अंदाजा था कि शव को 19 मई की रात को फेंका गया हो सकता है लिहाजा उसी हिसाब से उन्होंने डंप डेटा से कुछ मोबाइल नंबरों को टटोलना और खंगालना शुरू किया। और जिन जिन नंबर का पता चलता जा रहा था उन पर कॉल करके उनके बारे में पूछ भी लेते थे।

Restaurant का मिला पता

इसी सिलसिले में पुलिस को एक शख्स के बातचीत के रवैये से शक हुआ। पहचान की गई तो उसका नाम अनुज भालचंद्र मोरे था जो माटुंगा का रहने वाला था। थोड़ी पूछताछ में ये साफ हो गया कि मोरे पनवेल के पंजाबी पैलेट नाम के एक ढाबे में काम करता था। लेकिन पुलिस ने जब थोड़ा और मोरे को खंगाला तो उसने सब कुछ उगलना शुरू कर दिया।उसी ने बताया कि जो शख्स बोरे में बंद लाश की शक्ल में पुलिस को मिला उसका नाम अभिषेक था। और अभिषेक भी उसी रेस्टोरेंट में काम करता था। 

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महिला कर्मचारी के अश्लील Video 

मृतक का पूरा नाम और उसके बारे में तो ज्यादा किसी को पता नहीं था। लेकिन आरोपी ने बताया कि रेस्टोरेंट में एक महिला सफाईकर्मी थी जिसे अभिषेक लगातार परेशान करता था। वह महिला के अश्लील वीडियो भी बनाता था जिसको लेकर वो बेहद परेशान थी। इसी बीच अभिषेक ने नौकरी छोड़ दी थी। लेकिन 17 मई को वह अपना बकाया भुगतान लेने के लिए फिर से रेस्टोरेंट गया था। भुगतान इकट्ठा करने के बाद, उसने वहां से निकलने से पहले महिला कर्मचारी का मोबाइल फोन चुरा लिया। 

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कर्मचारियों ने मिलकर मारा 

महिला कर्मचारी ने इसकी शिकायत रेस्टोरेंट के मैनेजर मनोज गांगुर्डे से की। 19 मई की सुबह, गांगुर्डे ने अभिषेक को रेस्टोरेंट में आने के लिए कहा, जिसके बाद उसने महिला समेत दूसरे कर्मचारियों के साथ मिलकर उसे पकड़कर पूछताछ करनी शुरू कर दी। महिला को परेशान करने और उसका मोबाइल फोन चुराने के बारे में उसे सवाल जवाब तो किए ही साथ ही सबने मिलकर उसे लात-घूंसों से बहुत मारा। जिससे उसकी मौत हो गई। गांगुर्डे और महिला कर्मचारी के अलावा, उन पर हमला करने वाले अन्य लोग गणेश नारायण देशमुख, कनीफनाथ सुरेश म्हात्रे और सुमित केशव चैरे थे।

फ्रीजर में छुपाया था शव

जब यह महसूस हुआ कि अभिषेक मर चुका है तब उन्होंने शव को रेस्टोरेंट के बड़े फ्रीजर में छिपा दिया और फिर रात में फ्रीजर को कपड़े से पैक किया। इसे बाद  फ्रीजर को मुंबई-गोवा रोड के पास एक दूसरे ढाबे पर ले जाने के लिए टेम्पो किराए पर लिया। राजमार्ग पर जब चेकिंग हुई तो ढाबा कर्मचारियों ने कहा कि फ्रिज काम नहीं कर रहा था। फ्रीजर के तय ठिकाने पर पहुँचने के बाद ही गांगुर्डे ने मोरे को बुलाया और शव को फ्रीजर से हटाने के लिए कहा। मामले की जांच कर रहे क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर बालासाहेब खड़े बताया कि जिस रेस्टोरेंट में हत्या की गई थी आमतौर पर लोग वहां आकर शराब पीते हैं लेकिन जिस वक़्त वारदात हुई तब वहां कोई ग्राहक नहीं था। 
 

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